बेसिक शिक्षा विभाग का अभ्युदय तथा विकास

शिक्षा व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का प्रमुख साधन है। ‍शिक्षित व्यक्ति ही राष्ट्र की आर्थिक प्रगति को वास्तविक गति प्रदान कर सकते है। प्राचीन शिक्षा की पद्धति गुरूकुल प्रणाली में निहित थी। कालान्तर में मन्दिरों, मठों एवं मस्जिदों में शिक्षा का ‍विकास कार्यक्रम चलता रहा । भारत की आजादी के पूर्व ब्रिटिश शासकों ने सन 1858 में म्योर सेन्ट्रल कालेज, इलाहाबाद के अन्तर्गत शिक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ की जिसमें प्राथमिक स्तर से विद्यालयों की शिक्षा का संचलान करने का अधिकार था।

सेडलर कमीशन सन् 1917 के संस्तुतियों के आधार पर विश्विद्यालय शिक्षा को माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा से अलग किया गया। माध्यमिक तक की शिक्षा की व्यवस्था के लिए माध्यमिक शिक्षा अधिनियम 1921 प्रकाशित व प्रभावित किया । इसी तारतम्य में राजाज्ञा संख्या 214/2-2 दिनांक 31 मार्च 1923 द्वारा म्योर सेन्ट्रल कालेज, इलाहाबाद में विश्विद्यालय स्तर की शिक्षा को छोड़कर शेष की शिक्षा इससे अलग करके माध्यमिक स्तर की शिक्षा हेतु "डायरेक्टर उत्तर प्रदेश शासन" के शिक्षा विभाग के साथ अभि‍लिखित किया गया। अप्रैल 1939 में शिक्षा विभाग को सचिवालय से पृथक कर उसे उत्त्तर प्रदेश का एक अलग विभाग बनाया गया। राजाज्ञा संख्या 3436/15'263'46 दिनांक 26 जून 1947 द्वारा डायरेक्टर आफ पब्लिक इन्स्ट्रक्सन का नाम बदल कर "डायरेक्टर आफ एजूकेशन'' और बाद में शिक्षा निदेशक किया गया ।

वर्ष 1972 तक उपर्युक्त व्यवस्था के अन्तर्गत प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर की शिक्षा निदेशक उत्तर प्रदेश के नियंत्रण, निदेशन एवं प्रशासन के अधीन थी। शिक्षा के बढ़ते कार्यों विद्यालयों एवं नये नये प्रयोगों के कुशल संचालन के कार्यक्रम को अधिक गतिशील एवं प्रभावी बनाने के उददेश्य से वर्ष 1972 में शिक्षा निदेशालय के विभाजन का निर्णय शासन स्तर पर लिया गया जिसके अनुसार विभाजन करके शिक्षा का प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च् स्तर तथा प्रशिक्षण तीन खण्डों मे किया किया गया जिसके अलग-अलग निदेशक बनाये गये और पृथक बेसिक शिक्षा निदेशक बनाये गये। बेसिक शिक्षा को अधिक प्रभावी एवं गतिशील बनाने के उद्देश्य से वर्ष 1985 मे पृथक बेसिक शिक्षा निदेशालय की स्थापना की गयी। प्रशिक्षण एवं शोध कार्यक्रमों एवं उर्दू तथा प्राच्य भाषा को अधिक गतिशील व प्रभावी बनाने के उद्देश्य से अलग-अलग निदेशालय स्थापित किये गये।

जनसंख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश का विशालतम प्रदेश है। शिक्षा जगत की व्यापक व्यवस्था के अनुरूप कार्य सम्पादन में सुविधा की दृष्टि से पूरे प्रदेश में प्रशासनिक कार्य सम्पादन के निर्मित 12 मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) के कर्यालय है जो समस्त प्रदेश का कार्य देखते है। जनपदीय स्तर पर प्राथमिक स्तर की शिक्षा व्यवस्था एवं नियंत्रण हेतु प्रदेश के जनपदों मे एक-एक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय स्थापित किये गये है। साथ ही विकास खण्ड स्तर पर सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की स्थापना की गई है जो विकास खण्ड स्तर पर शिक्षा का मार्ग दर्शन एवं मूल्यांकन सुनिश्चत करते हैं।

जनगणना 2001 के अनुसार प्रदेश की कुल जनसंख्या 166197921 है जिसमें 87565369 पुरूष एवं 78632552 महिलायें हैं। कुल साक्षरता 56.3 प्रतिशत है जब कि पुरूषों एव महिलाओं की साक्षरता क्रमश: 68.8 एवं 42.2 प्रतिशत है जब कि भारत देश मे साक्षरता 64.80 प्रतिशत है जिसमें पुरूषों की साक्षरता 75.28 प्रतिशत तथा महिलाओं की साक्षरता 53.67 प्रतिशत है।

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बेसिक शिक्षा विभाग का अभ्युदय तथा विकास Reviewed by Brijesh Shrivastava on 1:03 PM Rating: 5

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