बुनियादी शिक्षा सरकार के एजेंडे में है भी कि नहीं?

► देश के सबसे ब़डे राज्य उत्तर प्रदेश में करीब सात महीने पहले बनी नई सरकार से उम्मीद जगी थी कि युवा मुख्यमंत्री अखिलेश के नेतृत्व में प्रदेश की बदहाल शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आएगी लेकिन सात महीनों के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद सरकार 72,825 पदों पर शिक्षकों की भर्ती को लेकर अभी तक किसी अंतिम नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, लिहाजा अब सवाल यह भी ख़डा हो रहा है कि बुनियादी शिक्षा सरकार के एजेंडे में है भी कि नहीं?

► बेसिक शिक्षा परिषद में दो लाख से अधिक अध्यापकों की कमी है और सरकार के फैसलों में हो रही देरी की वजह से आए दिन यह संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। सरकार भले ही शिक्षकों की कमी को दूर करने की घोषणाएं कर रही है लेकिन उसे अमल में लाने के लिए रो़डे भी खुद ही अटका रही है। सरकार के फैसले के कारण एक बार फिर 72,825 पदों पर भर्ती शुरू होते-होते टल गई है। पिछले वर्ष 1,99,571 रिक्त पदों में से 72,825 सहायक अध्यापक पदों पर भर्ती का फैसला हुआ था। इसके बाद भी सवा लाख पद खाली थे। इसके साथ ही वर्ष 2011-12 में स्वीकृत 10,364 स्कूलों एवं 2012-13 के लिए स्वीकृत ढाई हजार से भी ज्यादा स्कूलों के लिए भी नए पद सृजित नहीं हुए हैं।
► सरकार सम्भवत: यह मानकर चल रही है कि इतने बडे़ पैमाने पर भर्ती निकालनी ही है तो उसे आम चुनाव के करीब ही निकाला जाए ताकि इसका राजनीतिक लाभ भी उठाया जा सके। सरकार को ऐसा लगता है कि यदि अभी भर्तियां हुई तो उसका असर लोकसभा चुनाव तक नहीं रह पाएगा और चुनाव के आसपास इन भर्तियों को अमली जामा पहनाया गया तो इसका राजनीतिक लाभ भी सरकार को जरूर मिल सकता है।

क्या शिक्षा पर ऐसी राजनीति सही व उचित नीति है ?


बुनियादी शिक्षा सरकार के एजेंडे में है भी कि नहीं? Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 1:18 PM Rating: 5

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