अब हर जिले में ‘स्कूल आपदा सुरक्षा’ योजना : राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने बनाया प्लान

सूबे में बाढ़, भूकंप, अग्निकांड व अन्य दैवी आपदाओं से निपटने के लिए हर जिले में स्कूली बच्चों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण की तर्ज पर योजना बनाई है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने लखीमपुर और गाजियाबाद जिले में आपदा के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों के 200-200 स्कूलों में आपदा प्रबंधन का कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें हर स्कूल के लिए एक आपदा प्रबंध योजना तैयार कराई गई और वहां शिक्षकों व बच्चों को आपदा से बचाव को लेकर प्रशिक्षित किया गया। 

राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि राष्ट्रीय प्राधिकरण का यह प्रयोग काफी उत्साहवर्धक रहा है। राज्य प्राधिकरण अब इसे प्रदेश के सभी जिलों तक ले जाएगा। इसके तहत संबंधित स्कूलों के शिक्षकों और बच्चों को बताया जाएगा कि उनका क्षेत्र किस तरह की आपदा के लिहाज से संवेदनशील है। इसके लिए स्कूल में उपलब्ध संसाधन का किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। स्कूल के सामानों को किस तरह रखें कि मुश्किल की घड़ी में वह नुकसान न कर पाएं। स्कूल स्तर पर आपदा प्रबंध, सर्च एंड रेस्क्यू और फर्स्ट एड टीम बनाई जाएगी।

साभार: अमर उजाला


अब हर जिले में ‘स्कूल आपदा सुरक्षा’ योजना : राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने बनाया प्लान Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:44 AM Rating: 5

1 comment:

Brijesh Shrivastava said...

∎सभी विद्यालयों में लागू होगा स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम

➽बच्चों की सुरक्षा के लिए ने शनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम का दायरा बढ़ा
➽रेट्रोफिटिंग के माध्यम से इमारतों को बनाया जाएगा आपदा रोधी

लखनऊ (एसएनबी)। स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम का दायरा बढ़ा दिया गया है। अब इसे प्रदेश की सभी सरकारी व गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं में लागू किया जाएगा। इनमें जनपद स्तर पर सभी शिक्षण संस्थाओं की आपदा प्रबंधन नीतियां बनेंगी, जिसमें इन्हें आपदाओं के खतरों से आगाह करके इनसे निपटने तथा बचाव का प्लान भी होगा। हर छोटी-बड़ी शिक्षण संस्था के अलग-अलग नक्शे तैयार होंगे और इनके शिक्षक व बच्चों को प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि ये स्वयं अपना बचाव कर आपदा से मुकाबला कर सके। इसके अलावा रेट्रोफिटिंग के माध्यम से स्कूल की इमारतों को आपदा रोधी बनाया जाएगा और इनमे आपदा से बचाव के जरूरी अत्याधुनिक उपकरण स्थापित किये जाएगे। राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण की संयुक्त सचिव सुजाता सौनिक ने नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम पर उत्तर प्रदेश प्रशासनिक प्रबंध अकादमी (उपाम) में शनिवार को आयोजित सेमिनार में कहा कि स्कूली बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ सुरक्षा की गारंटी देने की केन्द्रीय गृह मंत्रालय की यह योजना अभी उत्तर प्रदेश के सिर्फ दो जनपदों लखीमपुर खीरी और गाजियाबाद की शिक्षण संस्थाओं तक सीमित थी और इसकी समय सीमा भी जून 2013 को खत्म हो रही थी। योजना की समय सीमा बढ़ा कर मार्च 2015 तक करने के साथ ही इसका विस्तार भी कर दिया गया है और अब इसे प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं के लिए कर दिया गया है। श्रीमती सौनिक ने योजना के अभियान के रूप में लेकर चलाने की राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के अधिकारियों से अपेक्षा की और कहा है कि अगर इस काम में निधि की कमी आड़े आएगी, जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंध प्राधिकरण किसी अन्य निधि से प्रदेश की मदद करेगा। जापान में सुनामी का जिक्र करते हुए श्रीमती सौनिक ने कहा कि वहां खतरे का एक हार्न बजते ही बच्चे और बूढ़े सभी को पता था कि उन्हे क्या करना है। हार्न बजने के तुरंत बाद हर तरफ लोग ऊंचाई की तरफ भागने लगे थे, जिससे वहां बड़े नुकसान को रोका जा सका था। उन्होने कहा कि हमारे यहां स्कूलों से निकलने वाले बच्चों को आपदा से बचने के उपायों को इस कदर रटा दिया जाये, जिससे ये उपाय उनके संस्कारों में शामिल हो जाये और जब कभी कोई आपदा आए तो वह स्वयं अपने बचाव के उपाय में जुट जाये। राहत आयुक्त एल.वेकटेश्वर लू ने स्कूलों की सुरक्षा को जरूरी बताते हुए कहा कि सर्वशिक्षा अभियान में बच्चे की पढ़ाई और सुरक्षा को प्रमुखता पर रखा गया है। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश में आपदा की आशंका वाले इलाकों में शिक्षा की कमी के साथ-साथ काफी अज्ञानता है। यूनीसेफ की प्रदेश प्रभारी अदेल खुद्र ने स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम में मदद का भरोसा दिलाते हुए राज्य के स्कूलों की खराब दशा की तस्वीर रखी। उन्होने बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर तथा महाराजपुर में स्कूलों की बुरी हालत का जिक्र करते हुए कहा कि इन जनपदों में स्कूलों की इमारतें तक नहीं है और बच्चे खुले में बढ़ने को मजबूर है। राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण की राज्य परियोजना अधिकारी अदिति उमराव ने प्रदेश में नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम की ताजा रिपोर्ट प्रस्तुत की और राज्य में आपदा से निपटने की योजनाओं के बारे में बताया। उन्होने कहा कि आपदा प्रबंध अधिनियम बनाने के बाद शुरू के वर्षो में जरूरत के अनुरूप काम नहीं हुआ, लेकिन हाल के समय में राज्य आपदा प्रबंधन नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया और नये अधिनियम पर काम चल रहा है। कार्ययोजना पुस्तिका में सीएम का नाम गायब लखनऊ (एसएनबी)। प्रदेश के नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम पर राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण की पुस्तिका पर सवाल खड़े होने लगे है। मुख्यमंत्री और प्राधिकरण के अध्यक्ष अखिलेश यादव का इस पुस्तिका में न तो चित्र को स्थान मिला है और न ही उनके नाम का कोई जिक्र है। आमतौर पर जब किसी विभाग की कार्ययोजना या फिर उपलब्धियों पर कोई सरकारी पुस्तिका प्रकाशित होती है तो उसमे मुख्यमंत्री का चित्र और उनका संदेश प्रमुखता पर रखने की परंपरा रही है। इसके बाद जिस विभाग की पुस्तिका होती है, उसके कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और फिर उस विभाग के प्रमुख सचिव को स्थान मिलता है। सरकारी परंपरा के विपरीत प्रदेश में नेशनल स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम पर जारी पुस्तिका में न तो मुख्यमंत्री को स्थान दिया गया है और न ही किसी अधिकारी को। इस पुस्तिका में सिर्फ राजस्व मंत्री अम्बिका चौधरी के चित्र और संदेश को स्थान दिया गया है। इस चूक के बारे में पूछे जाने पर विभाग के अफसर किसी भी तरह का जवाब देने से बचते रहे।

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