मध्यान्ह भोजन योजना - एक परिचय


मध्यान्ह भोजन योजना भारत सरकार तथा राज्य सरकार के समवेत प्रयासों से संचालित है| भारत सरकार द्वारा यह योजना 15 अगस्त 1995 को लागू की गयी थी, जिसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक प्रदेश के सरकारी/परिषदीय/राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में पढने वाले सभी बच्चों को 80 प्रतिशत उपस्थिति पर प्रति माह 03 किलोग्राम गेहूं अथवा चावल दिए जाने की व्यवस्था की यी थी| किन्तु योजना के अंतर्गत छात्रों को दिए जाने वाले खाद्यान्न का पूर्ण लाभ छात्र को न प्राप्त होकर उसके परिवार के मध्य बट जाता था, इससे छात्र को वांछित पौष्टिक तत्व कम मात्रा में प्राप्त होते थे|
मा० सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 28 नवम्बर 2001 को दिए गए निर्देश के क्रम में प्रदेश में दिनांक 01 सितम्बर 2004 से पका पकाया भोजन प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराये जाने की योजना आरम्भ कर दी गयी है| योजना की सफलता को दृष्टिगत रखते हुए अक्तूबर 2007 से इसे शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े ब्लाकों में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तथा अप्रैल 2008 से शेष ब्लाकों एवं नगर क्षेत्र में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालयों तक विस्तारित कर दिया गया है| इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2007-08 में प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 1.83 करोड़ बच्चे तथा उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 39 लाख बच्चे आच्छादित थे|
वर्तमान में इस योजना से प्रदेश के 1,15,683 प्राथमिक विद्यालयों एवं 53,938 उच्च प्राथमिक विद्यालय आच्छादित हैं| इन विद्यालयों में प्राथमिक स्तर पर अध्ययनरत 140.97 लाख विद्यार्थी एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 60  लाख विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं|
योजना के क्रियान्वयन से निम्न उद्द्येश्यों की प्राप्ति हेतु मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण का गठन अक्तूबर 2006 में निम्न उद्द्येश्यों को ध्यान में रख कर किया गया है :-
  • प्रदेश के राजकीय, परिषदीय तथा राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त अर्ह प्राथमिक विद्यालयों, ई०जी०एस० एवं अ०आइ०ई० केन्द्रों में अध्ययनरत बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध करना|
  • पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा कर बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने की क्षमता को विकसित करना|
  • विद्यालयों में छात्र संख्या बढ़ाना|
  • प्राथमिक कक्षाओं में विद्यालय में छात्रों के रुकने की प्रवृत्ति विकसित करना तथा ड्राप आउट रेट कम करना|
  • बच्चों में भाई-चारे की भावना विकसित करना तथा विभिन्न जातियों एवं धर्मो के मध्य के अंतर को दूर करने हेतु उन्हें एक साथ बिठा कर भोजन कराना ताकि उनमे अच्छी समझ पैदा हो|
योजन्तार्गत पके पकाए भोजन की व्यवस्था:-

इस योजनान्तर्गत विद्यालयों में मध्यावकाश में छात्र-छात्राओं को स्वादिष्ट एवं रुचिकर भोजन प्रदान किया जाता है| योजनान्तर्गत प्रत्येक छात्र को सप्ताह में 4 दिन चावल के बने भोज्य पदार्थ तथा 2 दिन गेहूं से बने भोज्य पदार्थ दिए जाने की व्यवस्था की गयी है| इस योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा प्राथमिक स्तर पर 100 ग्राम प्रति छात्र प्रति दिवस एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर 150 ग्राम प्रति छात्र प्रति दिवस की दर से खाद्यान्न (गेहूं/चावल) उपलब्ध कराया जाता है| खाद्यान्न से भोजन पकाने के लिए परिवर्तन लागत की व्यवस्था की गयी है| परिवर्तन लागत से सब्जी, तेल, मसाले एवं अन्य सामग्रियों की व्यवस्था की जाती है| भोजन को तैयार करने एवं अन्य सामग्रियों के व्यवस्था हेतु वर्त्तमान समय में प्राथमिक स्तर पर रु० 3.34 प्रति छात्र प्रति दिवस (जिसमे रु० 0.83 राज्यांश है) तथा उच्च प्राथमिक स्तर पर रु० 5.00 प्रति छात्र प्रति दिवस (जिसमे रु० 1.25 राज्यांश है), परिवर्तन लागत के रूप में उपलब्ध करा जाता है| प्राथमिक विद्यालयों में उपलब्ध कराये जा रहे भोजन में कम से कम 450 कैलोरी ऊर्जा व 12 ग्राम प्रोटीन एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम 700 कैलोरी ऊर्जा व 20 ग्राम प्रोटीन उपलब्ध होना चाहिए| परिवर्धित पोषक मानक के अनुसार मेनू में व्यापक परिवर्तन किया गया है, तथा इसका व्यापक प्रसार प्रचार किया गया है|

खाद्यान्न की व्यवस्था:-

मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन अर्थात भोजन निर्माण का कार्य मुख्यतः ग्राम पंचायतों/वार्ड सभासदों की देख रेख में किया जा रहा है| भोजन बनाने हेतु आवश्यक खाद्यान्न (गेहूं एवं चावल) जो फ़ूड कोर्पोरतिओं ऑफ़ इंडिया से निःशुल्क प्रदान किया जाता है, उसे सरकारी सस्ते गल्ले की दिकन के माध्यम से ग्राम प्रधान को उपलब्ध कराया जाता है जो अपने देखरेख में विद्यालय परिसर में बने किचन शेड में भोजन तैयार करते हैं| भोजन बनाने हेतु लगने वाली अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवथा करने का दायित्व भी ग्राम प्रधान का ही है| इस हेतु उसे परिवर्तन लागत भी उपलब्ध करायी जाती है| नगर क्षेत्रों में अधिकाँश स्थानो पर भोजन बनाने का कार्य स्वयं सेवी संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है|

किचन कम स्टोर एवं किचन उपकरणों की व्यवस्था :-

योजना के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा किचन शेड हेतु रु० 78,500 प्रति विद्यालय तथा किचन उपकरण हेतु रु० 5000 प्रति विद्यालय चरणबद्ध रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है| वर्त्तमान में 1,10,199 विद्यालयों में किचन शेड से निर्मित है तथा 1,64,197 विद्यालयों द्वारा किचन उपकरण मद में प्राप्त धनराशी से किचन उपकरणों का क्रय किया जा चुका है |
भोजन हेतु मेनू की व्यवस्था:-
मध्यान्ह भोजन की विविधता हेतु सप्ताह के प्रत्येक कार्य दिवस हेतु भिन्न-२ प्रकार का भोजन (मेनू) दिए जाने की व्यवथा की गयी है, जिससे भोजन के सभी पोषक तत्व उपलब्ध हो तथा वह बच्चों की अभिरुचि के अनुसार भी हो| मेनू निर्धारित होने से पारदर्शिता आई है तथा जन-समुदाय मेनू के अनुपालन की स्थिति को ज्ञात करने में सक्षम हो सका है|
अनुश्रवन एवं पर्यवेक्षण की व्यवस्था:-
विद्यालयों में पके-पकाए भोजन की व्यवस्था की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु नगर क्षेत्र पर वार्ड समिति एवं ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत समिति का गठन किया गया है| मंडल स्तर पर योजना के अनुश्रवन एवं पर्यवेक्षण हेतु मंडलीय सहायक निदेशक (बसिक शिक्षा) को दायित्व सौंपा गया है| जनपद स्तर पर योजना के अनुश्रवन एवं पर्यवेक्षण हेतु जिलाधिकारी को नोडल अधिकारी का दायित्व सौंपा गया है| विकास खंड स्तर पर उपजिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क फ़ोर्स गठित की गयी है, जिसमे सहायक बसिक शिक्षा अधिकारी/प्रति उप विद्यालय निरीक्षक को सदस्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है|
विशिष्ट उपलब्धियां:-
  • नवीन मेनू को विद्यालयों की दीवारों पर ६' X ८' साइज़ में पेंट कराया गया है ताकि पारदर्शिता बनी रहे एवं परोसा जा रहा भोजन मेनू के अनुरूप है की नहीं, यह सर्वविदित रह सके|
  • परिवर्तन लगत के मद में प्राप्त धनावंटन को ग्राम निधि के पृथक बैंक खाते में रखे जाने की व्यवस्था का निरूपण, ताकि व्यय का सही लेखा जोखा रखा जा सके|
  • पूर्व में खाद्यान्न वितरण हेतु यह व्यवस्था प्रचलित थी कि जिस माह में भोजन दिया जाना था, उसी माह में खाद्यान्न विद्यालयों तक पहुँचता था| इस व्यवस्था में इस बात की प्रबल सम्भावना रहती थी की माह के प्रारंभ के दिनों में खाद्यान्न विद्यालय तक न पहुँचने के कारण भोजन पकाया जाना संभव न हो सके| इस समस्या को दृष्टिगत रखते हुए खाद्य विभाग, उ०प्र० के साथ समन्वय कर भोजन वितरण के माह से पूर्ववर्ती माह में ही खाद्यान्न को विद्यालय तक पहुंचाए जाने की व्यवस्था लागू की गयी|
  • योजना के अनुश्रवन हेतु प्रभावी व्यवस्था के निरूपण के लिए शासनादेश संख्या १७२०/७९-६-२००७ दिनांक १५ जून २००७ द्वारा परिवर्तन लागत का दैनिक आय-व्यय लेखा विवरण प्रपत्र, दैनिक खाद्यान्न स्टॉक रजिस्टर प्रपत्र एवं ग्रामपंचायत स्तरीय मासिक सूचना प्रपत्र पर सूचना संकलन की व्यवस्था की गयी है| इसके अतिरिक्त निदेशक, मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण के स्तर से विद्यालय, ब्लाक एवं जनपद स्तर पर मिड डे मील रजिस्टर की व्यवस्था की गयी है ताकि खाद्यान्न एवं परिवर्तन लगत के व्यय का लेखा जोखा सही रूप से रखा जा सके|
  • मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन के आधार पर विद्यालयों के श्रेणीकरण की व्यवस्था की गयी है| श्रेणीकरण के विभिन्न मानक भोजन की गुणवत्ता, उपलब्धता, भौतिक संसाधन की उपलब्धता, स्वच्छता, पंजीयन के सापेक्ष उपस्थिति एवं अभिलेखों का रख रखाव आदि है|
मिड-डे-मील योजना साप्ताहिक आहार तालिका (मेनू)
दिन
नवीन मेनू
व्यंजन का प्रकार
100 बच्चों हेतु वांछित सामग्री (प्राथमिक विद्यालयों हेतु)
100 बच्चों हेतु वांछित सामग्री (उच्च प्राथमिक विद्यालयों हेतु)
सोमवार रोटी-सब्जी जिसमे सोयाबीन अथवा दाल की बड़ी का प्रयोग अथवा नमकीन दलिया गेहूं की रोटी एवं दाल की बड़ी (दाल की बड़ी में मौसमी सब्जियों का स्वादानुसार मिश्रण) अथवा दलिया (उपरोक्तानुसार मौसमी सब्जी एवं सोयाबीन सहित) आटा 10 किग्रा०, सोयाबीन अथवा दाल की बड़ी तथा सब्जी 6 किग्रा०, तेल/घी 500 ग्राम आटा 15 किग्रा०, सोयाबीन अथवा दाल की बड़ी तथा सब्जी 9 किग्रा०, तेल/घी 750 ग्राम
मंगलवार चावल सब्जी युक्त दाल अथवा चावल साम्भर चावल एवं सब्जी (मौसमी मिश्रित दाल, अरहर की दाल) दाल 2 किग्रा०, चावल 10 किग्रा०, सब्जी 5 किग्रा०, तेल/घी 500 ग्राम दाल 3 किग्रा०, चावल 15 किग्रा०, सब्जी 7.5 किग्रा०, तेल/घी 750 ग्राम
संभार मसाला एवं मौसमी सब्जी
बुद्धवार कढी चावल अथवा खीर चावल बेसन मट्ठा/दही मिश्रित कढी चावल 10 किग्रा०, 10 ली० दूध से बना दही, बेसन 2.5 किग्रा०, तेल/घी 500 ग्राम चावल 15 किग्रा०, 15 ली० दूध से बना दही, बेसन 3.75 किग्रा०, तेल/घी 750 ग्राम
चावल मानकानुसार दूध चीनी मेवे के मिश्रण चावल 10 किग्रा०, दूध 10 ली०, चीनी 3 किग्रा० चावल 15 किग्रा०, दूध 15 ली०, चीनी 4.5 किग्रा०
गुरूवार रोटी-सब्जी युक्त दाल अथवा नमकीन दलिया गेहूं की रोटी एवं दाल (दाल में मौसमी सब्जियों का स्वादानुसार मिश्रण) अथवा गेहूं की दलिया (उपरोक्तानुसार मौसमी सब्जी एवं सोयाबीन सहित) आटा 10 किग्रा०, सब्जी मिश्रित दाल 6 किग्रा०, तेल/घी 500 ग्राम  आटा 15 किग्रा०, सब्जी मिश्रित दाल 9 किग्रा०, तेल/घी 750 ग्राम 
शुक्रवार तहरी चावल एवं सब्जी (आलू, सोयाबीन एवं समय पर उपलब्ध मौसमी सब्जियां) चावल 10 किग्रा०, सब्जी सोयाबीन की बड़ी युक्त 6 किग्रा०, तेल/घी 500 ग्राम चावल 15 किग्रा०, सब्जी सोयाबीन की बड़ी युक्त 9 किग्रा०, तेल/घी 750 ग्राम
शनिवार सब्जी-चावल, सोयाबीन अथवा खीर चावल एवं सोयाबीन तथा मसाले एवं ताज़ी सब्जियां चावल 10 किग्रा०, सब्जी, सोयाबीन 6 किग्रा० चावल 15 किग्रा०, सब्जी, सोयाबीन 9 किग्रा०
चावल मानकानुसार दूध, चीनी मेवे के मिश्रण चावल 10 किग्रा०, दूध 10 ली०, एवं चीनी 3 किग्रा० चावल 15 किग्रा०, दूध 15 ली०, एवं चीनी 4.5 किग्रा०

नोट: जहाँ पर सोयाबीन का प्रयोग हो वहां पर १ किलो सोयाबीन प्राथमिक स्तर पर एवं १.५ किलो सोयाबीन उच्च प्राथमिक स्तर हेतु प्रयोग करें
प्रति छात्र प्रति कार्य दिवस
प्रति छात्र प्रति कार्य दिवस
1. प्रति दिवस दिए जाने वाले गेहूं/चावल की मात्रा
100 ग्राम
150 ग्राम
2. भोजन से प्राप्त न्यूनतम भोजन की मात्रा
450 किलो कैलोरी
700 किलो कैलोरी
3. भोजन से प्राप्त न्यूनतम प्रोटीन की मात्रा
12 ग्राम
20 ग्राम
4. परिवर्तन लागत
रु० 3.34
रु० 5.00




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मध्यान्ह भोजन योजना - एक परिचय Reviewed by Brijesh Shrivastava on 10:06 PM Rating: 5

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