बीएड से ज्यादा बीटीसी का क्रेज


  • प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए बीएड को अपात्र माने जाने से आ रहा बदलाव
लखनऊ। एक दौर था जब बीएड करने वालों की लंबी कतारें लगी होती थीं। सरकारी कॉलेज की कौन कहे, निजी कॉलेजों में सेल्फ फाइनेंस की सीटों के लिए मारामारी हुआ करती थी। पर अब यह क्रेज घटने लगा है। वजह-प्राइमरी स्कूलों के लिए होने वाली टीईटी के लिए बीएड वालों को अपात्र मान लिया जाना। वे केवल उच्च प्राइमरी के लिए ही पात्र माने गए हैं। इसलिए बीटीसी करने की चाहत पिछले दो सालों में बढ़ी है। इस बार बीटीसी की 33,450 सीटों के लिए छह लाख से ज्यादा दावेदार हैं।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनने की योग्यता स्नातक व बीटीसी है। पर सरकार शिक्षकों की कमी को देखते हुए बीच-बीच में बीएड वालों को विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण देकर प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनाती रही है। इसके चलते ही बीएड करने की चाहत युवाओं में तेजी से बढ़ी थी। इस चाहत का फायदा निजी कॉलेजों ने भी खूब उठाया। उन्होंने प्रदेश में धड़ाधड़ बीएड कॉलेज खोलने शुरू कर दिए। प्रदेश में मौजूदा समय में बीएड की 1,20,811 सीटें हैं। इस बार इन सीटों पर प्रवेश के लिए तीन लाख आवेदन आए थे।
एक-एक सीट के लिए होगी मारामारी
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने शर्त रख दी कि राज्य केवल 1 जनवरी 2013 तक ही बीएड वालों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बना सकते हैं। यूपी में इस अवधि में शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पाई, तो एनसीटीई ने 31 मार्च 2014 तक की मोहलत दे रखी है। इससे तय है कि आगे चलकर बीएड वाले प्राइमरी में शिक्षक बनने के लिए पात्र नहीं रह जाएंगे। इसके अलावा राज्य सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में बीएड वालों को केवल उच्च प्राइमरी के लिए ही पात्र माना है। इसके चलते ही बीएड का क्रेज कम हो रहा है और बीटीसी की तरफ युवाओं का रुझान तेजी से बढ़ा है। इस बार बीटीसी की 33,450 सीटों के लिए 6,67,697 युवाओं ने आवेदन किए है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीटीसी की एक-एक सीट के लिए मारामारी होगी।
  • तो यहां भी फंस सकता है बीएड वालों का मामला
राज्य सरकार ने नवंबर 2011 में टीईटी पास करने वालों से प्राइमरी स्कूलों के 72,825 शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए आवेदन लिया था। इसमें बीएड वाले भी पात्र माने गए थे। पर यह भर्ती प्रक्रिया हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन होने के चलते रुकी हुई है। राज्य सरकार ने प्रयास कर हाईकोर्ट से यदि राहत लेते हुए भर्ती प्रक्रिया पूरी न की तो बीएड वालों को लेकर मामला फंस सकता है। वजह साफ है एनसीटीई ने मार्च 2014 तक ही बीएड वालों को प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए पात्र माना है। (साभार-:-अमर उजाला) 

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बीएड से ज्यादा बीटीसी का क्रेज Reviewed by Brijesh Shrivastava on 6:37 AM Rating: 5

4 comments:

Anonymous said...

5year ke baad btc ka bhi bura haal hone wala hai

BRIJESH KUMAR GONDA said...

"यदि बीएड का क्रेज इसी तरह घटता रहा तो यूपी मेँ इतने बीएड कालेजोँ का क्या होगा|"

Unknown said...

bhai b.ed college primary school ban jayege class 8 th wale student study karege

abdesh kumar said...

sarkaar k is tarah paali badalne pr bahut se log over age hokar apni kismat ko koste h ye haal ek baar btc walo ka ho chuka h or ab b.ed walo ka

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