सुविचार - सद् वाक्य (Quotes)


quotes from yug-nirman yojana - Shri Ram Sharma Aacharya- shantikunj-Haridwar
Prestige:     
Quotes-1) प्रतिष्ठा इनसान के बाहर से आती है और चरित्र भीतर से विकसित होता है।
Dignity of human beings comes from outside, And character is developed from within.

Quotes-2) आपकी प्रतिष्ठा एक घंटे में जानी जा सकती है और चरित्र एक साल तक रोशनी में नहीं आता।
Your reputation may be an hour, and character does not come to light until a year.

Quotes -3) प्रतिष्ठा आपको अमीर या गरीब बनती है और चरित्र आपको सुखी या दुखी बनता है।
Reputation makes you rich or poor, and character makes you happy or unhappy.

Quotes -4) एक व्यक्ति अपने चरित्र का ध्यान रखेगा तो प्रतिष्ठा अपना ध्यान खुद रख लेगी।
A person will take care of your character, so reputation will take care of me.

karm
Quotes-5) प्रसन्नता तभी प्राप्त होती है, जब आपकी कथनी और करनी में समानता हो।
Happiness is achieved when you are similarities in words and deeds.  

Quotes-6) केवल विचारों में बहने वाले व्यक्ति, जीवन में सफल नहीं होते।
The only person in the ideas flowing, do not succeed in life.

Quotes-7) अशिक्षा का कारण साधनहीनता नहीं, उपेक्छा है।
Shiftlessness not the cause of illiteracy, it is incognizance.

Quotes-8) सफाई, आरोग्य और सौंदर्य दोनों देती है।
Sanitation, health and beauty offers both.

The auspicious Thoughts
Quotes-9) बड़प्पन दुःख देने में नहीं, दुःख दूर करने में है।
Nobility not to sorrow, sorrow is to remove.

Quotes-10) ईर्ष्या करने वाला अपना ही खून सुखाता है।
Dry your own blood is to be envied.

Quotes-11) ईमानदारी एक आदत है जो व्यक्ति हर समय सही काम करके डालता है हर दिन, हर रात, हर सप्ताह, हर साल।
Honesty is a habit which puts the person doing the right thing all the time, every day, every night, every week, and every year.

Quotes-12) निराशा से विजय के बहुमूल्य अवसर खो जाते हैं।
Valuable opportunities are lost to despair of victory.
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१.
भगवान आदर्शा- श्रेष्ठताओं के समुच्चय का नाम है। सिद्धान्तों के प्रति मनुष्य का जो त्याग और बलिदान है, वस्तुतः वही भगवान की भक्ति है।
२. सत्य का मतलब सच बोलना भर नहीं, वरन् विवेक, कर्तव्य, सदाचरण,परमार्थ जैसी सद्भावनाओं से भरा हुआ जीवन जीना है।
३. साहस ही एक मात्र ऐसा साथी है, जिसको साथ लेकर मनुष्य एकाकी भी दुर्गम दिखने वाले पथ पर चल पड़ने एवं लक्ष्य तक जा पहुँचने में समर्थ हो सकता है।  

४. अपनी बुराइयों को स्वीकार करना साहस का काम है, पर उससे बड़ी हिम्मत यह है कि उन्हें छोड़ने का निश्चय किया जाय।
५. अच्छाईयों का एक -एक तिनका चुन- चुनकर जीवन भवन का निर्माण होता है। पर बुराई का एक हल्का झोंका ही उसे मिटा डालने के लिए पर्याप्त होता है।  
६. अपना मूल्य समझो और विश्वास करो कि तुम संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हो।
७. सद्ज्ञान और सत्कर्म यह दो ईश्वर प्रदत्त पंख हैं, जिनके सहारे स्वर्ग तक उड़ सकते हैं।
८. प्रसन्न रहने के लिए दो ही उपाय हैं, आवश्यकताएँ कम करें और परिस्थितियों से तालमेल बिठायें
९. शालीनता बिना मोल मिलती है, पर उससे सब कुछ खरीदा जा सकता है।  
१०. मन का संकल्प और शरीर का पराक्रम यदि किसी काम में पूरी तरह लगा दिया जाए, तो सफलता मिलकर रहेगी।
११. जीवन का अर्थ है, ‘समय’ जो जीवन से प्यार करते हों, वे आलस्य में समय न गँवायें
१२. यदि दुनिया तुम्हारे कार्यों की प्रशंसा करती है, तो इसमें कुछ भी बुरा नहीं। खतरा तब है, जब तुम प्रशंसा पाने के लिए किसी काम को करते हो।
१३. वही जीवित है, जिसका मस्तिष्क ठंडा, रक्त गरम, हृदय कोमल और पुरुषार्थ प्रखर हो।
१४. आलस्य से बढ़कर अधिक समीपवर्तीं शत्रु दूसरा नहीं।
१५. मनुष्य परिस्थितियोंका दास नहीं, वह उनका निर्माता, नियंत्रणकर्ता और स्वामी है।
१६. पेण्डुलम हिलता भर है, पहुँचता कहीं नहीं। लक्ष्य विहीन व्यक्ति कुछ करता तो है, पर पाता कुछ नहीं।
१७. स्वार्थ, अहंकार और लापरवाही की मात्रा बढ़ जाना ही किसी व्यक्ति के पतन का कारण होता है।
१८. बुद्धिमान वह है, जो किसी की गलतियों से हानि देखकर अपनी गलतियाँ सुधार लेता है।
१९. सच्ची लगन तथा निर्मल उद्देश्य से किया हुआ प्रयत्न कभी निष्फल नहीं जाता।
२०. जीवन में बाधाओं और असफलताओं को पार करते हुए लक्ष्य की ओर साहसपूर्वक बढ़ते जाना ही मनुष्य की महानता है।
२१. आशावादी हर कठिनाई में अवसर देखता है, पर निराशावादी प्रत्येक अवसर में कठिनाइयाँ ही खोजता है।
२२. ईश्वर उपासना से मनुष्य संसार और उसकी परिस्थितियों का अधिक सूक्ष्मता, दूरदर्शिता एवं विवेक के साथ निरीक्षण करता है।
२३. हम जिसे सही समझते हैं, निर्भय होकर अपनायें और जिसे गलत समझते हैं उसके आगे किसी भी कीमत पर न झुकें।
२४. केवल ज्ञान ही एक ऐसा अक्षय तत्व है, जो कहीं भी, किसी अवस्था और किसी काल में भी मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता।
२५. मन सरसों की पोटली जैसा है। एक बार बिखर गई तो समेटना असंभव हो जाता है।

२६. फरसे से कटा हुआ वन भी अंकुरित हो जाता है, किन्तु कटु वचन कहकर वाणी से किया घाव कभी नहीं भरता है।
२७. बढ़ने का प्रयत्न करते रहना ही जीवन का लक्षण है और लक्ष्य भी। जो एक स्थान पर जम गया, ठहर गया, वह जड़ एवं निर्जीव है।
२८. खोया हुआ पैसा फिर पाया जा सकता है, लेकिन खोया हुआ समय फिर कभी लौटकर नहीं आता।
२९. जीवन एक पाठशाला है जिसमें अनुभवों के आधार पर हम शिक्षा प्राप्त करते हैं।
३०. बड़प्पन सुविधा संवर्धन का नहीं, सद्गुण संवर्धन का नाम है।
३१. सच्ची लगन तथा निर्मल उद्देश्य से किया हुआ प्रयत्न कभी निष्फल नहीं जाता।
३२. जो आलस्य और कुकर्म से जितना बचता है, वह ईश्वर का उतना ही बड़ा भक्त है।
३३. यदि मनुष्य कु सीखना चाहे तो उसकी प्रत्येक भूल कुछ न कुछ सिखा देती है।
३४. भूत लौटने वाला नहीं, भविष्य का कोई निश्चय नहीं, संभालने और बनाने योग्य तो वर्तमान है।
३५. अगर तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारे साथ सच्चाई का बर्ताव करें, तो तुम स्वयं सच्चे बनो और दूसरे लोगों के साथ सच्चा बर्ताव करो।
३६. विद्या की आकाक्षा यदि सच्ची हो, गहरी हो तो उसके रहते कोई व्यक्ति कदापि मूर्ख, अशिक्षित नहीं रह सकता।
३७. कमल पुष्प सामान्य तालाब में उगने पर भी अपनी पहचान अलग बनाते और देखने वाले के मन पर अपनी प्रफुल्लता की प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं।
३८. जीवन एक परीक्षा है, उसे उत्कष्टता की कसौटी पर ही कसा जाता है। यदि खरा साबित न हुआ जा सके, तो समझना चाहिए कि प्रगति का द्वार अवरुद्ध है।
३९. विचार मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है, अपने चिन्तन को मात्र रचनात्मक एवं उच्चस्तरीय विचारों में ही संलग्न रखें।
४०. अनजान होना उतनी लज्जा की बात नहीं, जितनी सीखने के लिए तैयार न होना।
४१. तुलसी मीठे वचन ते, सुख उपजत चहु ओर, वशीकरण यह मंत्र है तज दे वचन कठोर।
४२. तुलसी जग में यूं रहो, ज्यों रसना मुख माँहि
खाति घी और तेल नित, फिर भी चिकनी नांहि॥
४३. आलस कबहुँ न कीजिये, आलस अरि सम जानि
आलस ते विद्या घटे, बल, बुद्धि की हानि॥
४४. लक्ष्य न ओझल होने पाये, कदम मिला कर चल।
मंजिल तेरे पग चूमेगी, आज नहीं तो कल॥
४५. या रहीम उत्तम प्रकृति का, का करि सकत कुसंग।
चन्दन विष व्यापत नाहीं, लिपटे रहत भुजंग॥
४६. कबीरा जब आये हम जगत में, जग हँसा हम रोये।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसें, जग रोये॥
४७. अपने दुःख में रोने वाले, मुस्कराना सीख ले।
दूसरों के दुःख दर्द में, आँसू बहाना सीख ले॥
४८. जो खिलाने में मजा, वो खाने में नहीं।
जिन्दगी में किसी के काम आना सीख ले॥



खबर साभार : अमर उजाला / दैनिक जागरण / हिन्दुस्तान / डेली न्यूज एक्टिविस्ट

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सुविचार - सद् वाक्य (Quotes) Reviewed by Brijesh Shrivastava on 11:58 PM Rating: 5

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