तबादले के बाद भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं बाबू : 22 सितंबर को जारी हुए थे आदेश

संयुक्त शिक्षा निदेशक ने 22 सितंबर को जारी किया था तबादला आदेश

लखनऊ। भले ही संयुक्त शिक्षा निदेशक सुत्ता सिंह ने छह साल से अधिक एक ही कुर्सी पर जमें बाबुओं का तबादला आदेश डेढ़ महीने पहले जारी कर दिया था। लेकिन ज्यादातर लिपिक कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं। यही वजह है कि कर्मचारी किसी न किसी तरह की सिफारिशें लगाकर तबादला रुकवाने में जुटे हैं। कर्मचारियों द्वारा अब तक कार्यमुक्त न होने के मामले में जेडी ने पत्र भेजकर नाराजगी जताई है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि तबादले वाले लिपिक वर्गीय कर्मचारियों तो तत्काल कार्यमुक्त कर दें। ऐसा न करने पर एक सप्ताह में साक्ष्य सहित स्थिति स्पष्ट करनी होगी।




बीएसए कार्यालय, एडी बेसिक कार्यालय, डीआईओएस कार्यालय, राजकीय स्कूलों तथा डायट कार्यालय में बहुत से ऐसे लिपिक हैं जो छह साल से अधिक समय से एक ही जगह पर तैनात हैं। इनमें से कुछ के खिलाफ गंभीर शिकायतें भी थीं। बीते 22 सितंबर को जेडी ने लखनऊ मंडल के करीब 80 कर्मचारियों के तबादले कर दिए थे। लेकिन उसके बाद से कुछ कर्मचारियों को छोड़ ज्यादातर कार्यभार भी नहीं ग्रहण करने गए। हालांकि दूसरे जिलों से कई कर्मचारी यहां पहुंच भी गए। लेकिन उन्हें ज्वाइन नहीं करने दिया गया। इस दौरान अपना तबादला निरस्त करवाने के लिए जुगाड़ लगाना जरूर शुरू हो गया। जानकारी होने पर संयुक्त शिक्षा निदेशक सुत्ता सिंह ने लखनऊ मंडल के डायट प्राचार्य, एडी बेसिक, डीआईओएस व बीएसए को पत्र भेजकर सख्त नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा है कि अफसरों द्वारा कर्मचारियों को कार्यमुक्त न किया जाना आदेश की अवहेलना है। साथ ही कर्मचारियों के स्थानांतरण निरस्त किए जाने का अनुरोध किया जाना अत्यंत खेदजनक है।
खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट

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