नई शिक्षा नीति में हर नागरिक की ली जाएगी सलाह : राज्य के शिक्षामंत्रियों ने आठवीं तक फेल न करने की नीति बदलने की मांग उठाई

  • आठवीं तक फेल न करने की नीति बदलने की मांग

नई दिल्ली। आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति को बदलने की मांग तेज हो रही है। शिक्षा मंत्रियों की बैठक में यह मांग उठाई गई। शनिवार को नई शिक्षा नीति को लेकर राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में चर्चा के दौरान कांग्रेस और भाजपा शासित कई राज्यों ने बच्चों में शिक्षा की गुणवत्ता और प्रतियोगिता का माहौल बनाने की पैरवी की। साथ ही दसवीं बोर्ड को फिर से लागू करने को लेकर आवाज बुलंद हो गई है। 
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, असम, पंजाब, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों ने कहा कि इस नीति से बच्चों का भला नहीं हो रहा बल्कि उनका नुकसान हो रहा है। बिहार के शिक्षा मंत्री पी के शाही ने तो चुटकी ली कि ऐसा शिक्षा का माहौल बना दिया है कि आठवीं तक कोई फेल नहीं होता और दसवीं के बाद कोई पास नहीं होता है। 
खबर साभार : अमर उजाला
  • देश के इतिहास में पहली बार हर नागरिक को विचारिवमर्श में भाग लेने का मौका देगा केंद्र 
  • शिक्षा नीति बनाते समय प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श किया जाएगा
नई दिल्ली (वार्ता)। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली घटना होगी कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए सरकार हर नागरिक को विचार-विमर्श में भाग लेने का मौका देगी। ईरानी ने नई शिक्षा नीति बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श की प्रकिया को आगे बढ़ाने के वास्ते पहली बार राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति बनाते समय जमीनी स्तर से प्रादेशिक स्तर पर विचार विमर्श होगा और फिर राष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श किया जाएगा ताकि एक समग्र एवं ठोस नीति बन सके। यह नीति बनाते समय शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों तथा शिक्षा से जुड़े समाज के हर पक्षों की राय ली जाएगी। यह सब सहकारी संघीय ढांचे के तहत होगा ताकि देश की जरूरतों तथा आकांक्षाओं को नई शिक्षा नीति में शामिल किया जा सके।

सम्मेलन में 22 राज्यों के शिक्षा मंत्रियों ने भाग लिया तथा शेष राज्यों के शिक्षा सचिव एवं वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। स्कूली शिक्षा सचिव वृंदा स्वरूप ने बताया कि नई शिक्षा नीति बनाने के लिए ग्राम सभा से प्रखंड और प्रखंड जिलास्तर पर र्चचा होगी और इस चर्चा  का वेबसाइट पर सीधा प्रसारण भी किया जाएगा। नई शिक्षा नीति बनाने के लिए पहले इतने व्यापक स्तर पर र्चचा कभी नहीं हुई थी। श्रीमती स्वरूप ने कहा कि यह चर्चा 33 विषयों पर होगी, जिनमें 13 विषय स्कूली शिक्षा से संबंधित होंगे जबकि शेष उच्च शिक्षा से जुड़े होंगे। उन्होंने बताया कि जुलाई तक जमीनी स्तर पर विचारिवमर्श शुरू हो जाएगा और उसके बाद सितम्बर तक राज्य स्तर पर र्चचा हो जाएगी। फिर अक्टूबर से दिसम्बर तक क्षेत्रीय स्तर पर र्चचा होगी । उसके बाद केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक में भी इस पर बहस होगी। फिर इसे मंत्रिमंडल में रखा जाएगा और अंत में संसद में पेश किया जाएगा। 

शिक्षा नीति तैयार करने के लिए मंत्रालय ने टॉस्क फोर्स भी बनाया है। यह टॉस्क फोर्स समय समय पर नई शिक्षा नीति बनाने के लिए हुए विचारिवमर्श की निगरानी तथा मूल्यांकन कर प्रारूप तैयार करेगा। सम्मेलन में यह भी कहा गया कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा नीति के तहत बोर्ड की परीक्षा में फेल न करने की नीति से नुकसान भी हुआ है तथा शिक्षा के गुणवत्ता प्रभावित हुई है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि बोर्ड में फेल न करने की नीति को समाप्त करेगी। इससे पहले 1986 में राजीव गांधी के शासनकाल में नई शिक्षा नीति बनाई गई थी। करीब 30 साल बाद नई शिक्षा नीति बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

दिसम्बर तक खत्म हो जाएगी शिक्षा नीति पर परामर्श प्रक्रि या  
गणतंत्र दिवस पर शुरू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तय करने के लिए व्यापक परामर्श प्रक्रि या दिसम्बर तक पूरी हो जाएगी। परामर्श प्रक्रि या पूरी होने के बाद मसौदे की रिपोर्ट को विभिन्न पक्षों और केंद्रीय परामर्श बोर्ड शिक्षा के समक्ष रखा जाएगा। मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में राज्य के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों के साथ हुई बैठक में अधिकारियों ने बताया कि साल भर चलने वाली विस्तृत कवायद के दौरान ग्रामीण स्तर पर 25 लाख से अधिक परामर्श बैठकें आयोजित होंगी। ईरानी बताया, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।’
खबर साभार : सहारा 

बदलेगी आठवीं तक फेल नहीं करने की नीति

स्कूली शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए राज्यों ने भी बताया जरूरी

नई दिल्ली : स्कूलों में आठवीं कक्षा तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति में जल्दी ही बदलाव आ सकता है। नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए राज्य सरकारों के साथ बुलाई गई बैठक में भी इसकी मांग उठने के बाद इस बात की संभावना बहुत बढ़ गई है। इससे पहले केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्री स्मृति ईरानी भी इस बदलाव का संकेत दे चुकी हैं। 

नई शिक्षा नीति की तैयारी में राज्यों के शिक्षा मंत्रियों और सचिवों के साथ बुलाई गई एचआरडी मंत्रलय की बैठक में स्कूली शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक के दौरान राज्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि स्कूलों में आठवीं तक छात्रों को फेल नहीं करने की नीति में बदलाव जरूरी है। पिछली सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू करते हुए यह नियम बनाया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि छोटे बच्चों पर परीक्षा का अनावश्यक दबाव नहीं बनाया जाना चाहिए। मगर माना जा रहा है कि यह नियम लागू होने के बाद से स्कूली शिक्षा के स्तर में काफी गिरावट आई है।

बैठक के दौरान मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री पारस चंद्र जैन ने इस व्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि छात्र आठवीं तक फेल नहीं होता और उसके बाद पास नहीं हो पाता।’ इसी तरह राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम के प्रतिनिधियों ने भी इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत बताई है। हालांकि, अभी प्रक्रिया जारी होने की वजह से केंद्र सरकार साफ तौर पर कुछ नहीं करना चाहती। इस बारे में पूछे जाने पर स्कूली शिक्षा सचिव वृंदा स्वरूप ने कहा कि सभी चाहते हैं कि स्कूली शिक्षा का स्तर बेहतर हो। यह बैठक एक बृहद संवाद का हिस्सा है और इस पर अभी और विचार किया जाना है। ईरानी ने भरोसा दिलाया है कि नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने में राज्य सरकारों को पूरी तरह शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नीति में आम लोगों के सुझाव और विचार को शामिल करने के लिए हर दूसरे-तीसरे गांव में एक बैठक आयोजित की जाएगी। इस तरह आने वाले दिनों में ऐसी ढाई लाख बैठकें आयोजित होंगी। इसके बाद ब्लॉक, जिला और राज्य के स्तर पर हजारों बैठकें कर उनके सुझावों को एकत्रित कर इसमें शामिल किया जाएगा।
खबर साभार : सहारा 

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नई शिक्षा नीति में हर नागरिक की ली जाएगी सलाह : राज्य के शिक्षामंत्रियों ने आठवीं तक फेल न करने की नीति बदलने की मांग उठाई Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:54 AM Rating: 5

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