बरकरार रहेगी शिक्षामित्रों के समायोजन की गुत्थी : शिक्षकों के 19954 नये पदों के सृजन से भी समस्या का निदान नहीं, 16 जिलों में राहत मिलने के आसार नहीं

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : शिक्षामित्रों के दूसरे बैच के समायोजन की मुश्किलें आसान नहीं हुई हैं। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को उम्मीद थी कि परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के 19954 पदों के सृजन से यह दिक्कत दूर हो जाएगी लेकिन इससे भी समस्या का निदान नहीं होने वाला है। सहायक अध्यापकों के नये पदों सृजित होने के बावजूद 16 जिलों में शिक्षामित्रों के समायोजन की समस्या बरकरार रहने के आसार हैं। 1दूसरे बैच में तकरीबन 91 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन होना है। शिक्षामित्रों के समायोजन में शिक्षकों के पदों की कमी आड़े आ रही है। इस कमी को दूर करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने पहले तो प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों की प्रोन्नति की।

प्रोन्नति इसलिए की गई ताकि सहायक अध्यापकों के प्रोन्नत होने पर प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापकों के पद खाली हो सकें जिन पर शिक्षामित्रों को समायोजित किया जा सके। प्रोन्नति के लिए प्राथमिक स्कूल में बतौर सहायक अध्यापक न्यूनतम पांच साल की सेवा शर्त को शिथिल करते हुए पहले चार वर्ष और फिर तीन साल कर दिया गया। 

जब इससे बात नहीं बनी तो उच्च प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों को पदोन्नत किया गया लेकिन समस्या तब भी दूर नहीं हुई। लिहाजा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान के तहत वर्ष 2011-12 में मंजूर किये गए 9977 परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 19954 नये पदों के सृजन का दांव चला। काफी मशक्कत के बाद वित्त विभाग ने शिक्षकों के नये पदों के सृजन को मंजूरी भी दे दी है लेकिन इससे भी शिक्षामित्रों के समायोजन की समस्या का पूरा हल निकलता नहीं दिख रहा है। वजह यह है कि शिक्षामित्रों के समायोजन की समस्या जिन जिलों में महसूस की जा रही है, शिक्षकों के ज्यादातर नये पद उनसे इतर दूसरे जिलों में सृजित होंगे। 

अधिकारियों के मुताबिक सहायक अध्यापकों के नये पदों के सृजन के बाद भी शामली, सहारनपुर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, महोबा, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, बहराइच, श्रवस्ती, बलरामपुर, कानपुर देहात, कानपुर नगर, लखनऊ और वाराणसी में शिक्षामित्रों के समायोजन की समस्या बनी रहेगी।
खबर साभार : दैनिक जागरण






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बरकरार रहेगी शिक्षामित्रों के समायोजन की गुत्थी : शिक्षकों के 19954 नये पदों के सृजन से भी समस्या का निदान नहीं, 16 जिलों में राहत मिलने के आसार नहीं Reviewed by Brijesh Shrivastava on 7:22 AM Rating: 5

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