ध्वस्त हुई सरकार की नाक के नीचे बच्चों को दूध वितरण की योजना, स्पष्ट दिशा निर्देशों और धन की व्यवस्था ना होने से अधिकारियों ने भी खींचे हाथ


  • दूसरी बार में ही ध्वस्त हुई सरकार की नाक के नीचे बच्चों को दूध वितरण की योजना
  • स्पष्ट दिशा निर्देशों और धन की व्यवस्था ना होने से अधिकारियों ने भी खींचे हाथ
  • बच्चों के दूध पर फिरा पानी

परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को हर बुधवार को दूध वितरण की योजना पर पानी फिर गया है। मंगलवार की देर रात तक पराग के महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह बीएसए की ओर से दूध की मांग का इंतजार करते रहे, लेकिन न तो मांग पूरी हुई और न ही पिछले बुधवार को बंटे 1500 लीटर दूध का पैसा आया। ऐसे में बुधवार को बच्चों को दूध मिलेगा या नहीं, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी है।

इस बारे में जब पराग के महाप्रबंधक से पूछा गया तो उनका कहना है कि मांग के अनुरूप दूध तैयार है। बीएसए की ओर से जैसे ही मांग की जाएगी, दूध उपलब्ध करा दिया जाएगा। बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी से फोन से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। 

प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को मिड-डे मील के तहत गरमा-गरम दूध मिलने की योजना एक दिन चलने के बाद अब ध्वस्त होती नजर आ रही है। उच्च अधिकारियों के लिखित आदेश का हवाला देते हुए अधिकारियों ने इस योजना से खुद का किनारा कर लिया है। सप्ताह में एक दिन प्रत्येक बच्चे को 200 मिली.दूध दिए जाने की शुरुआत पिछले बुधवार को पराग के 1500 लीटर दूध वितरण से भले ही हुई हो, लेकिन इस बुधवार को बच्चों को गरमा-गरम दूध मिलने पर असमंजस की स्थिति बन गई है। सप्ताह में भुगतान के वादे के बावजूद पराग को अभी तक करीब 69 हजार रुपये का भुगतान नहीं हुआ। भुगतान तो छोड़िए दूध की मांग भी मिड डे मील वितरण करने वाली संस्थाओं की ओर से नहीं की गई। 

पिछले बुधवार बख्शी का तालाब के बढ़ौली स्थित प्राथमिक विद्यालय से पराग महाप्रबंधक दिनेश कुमार सिंह और बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी ने बच्चों को गरमा-गरम दूध वितरित कर दूध देने की योजना की शुरुआत की थी। पिछली बार सात संस्थाओं ने 200-200 लीटर और एक संस्था ने 100 लीटर दूध का वितरण किया था। पराग की ओर से पांच-पांच लीटर की पैकिंग में दूध सस्ती दरों पर उपलब्ध कराया गया था।

खबर साभार :दैनिक जागरण

  • बच्चों को मिड-डे-मील में दूध मिलना मुश्किल

भले ही पिछले बुधवार को बीकेटी नगर क्षेत्र के कुछ परिषदीय विद्यालयों एवं नगर क्षेत्र केसभी माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को मिड-डे-मील में दूध व कोफ्ता-चावल दिया गया था। लेकिन 22 जुलाई यानी आज बच्चों को दूध मिलना मुश्किल है। अक्षय पात्र फाउंडेशन के साथ-साथ एनजीओ ने भी इसको लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। संस्था संचालकों का कहना है कि दूध की लागत करीब 12 रुपए प्रति छात्र आ रही है, ऐसे में हम दूध की सुविधा नहीं दे सकते। 

इस बार मिड-डे-मील के मेन्यू में परिवर्तन कर दिया है। जिसके अंतर्गत बुधवार को मिड-डे-मील में बच्चों को 200 मिली ग्राम उबला हुआ पराग का दूध और कोफ्ता-चावल दिए जाने का प्रावधान किया गया। 15 जुलाई से बच्चों को बदले हुए मेन्यू के अनुसार मिड-डे-मील दिया जाना था। जिसमें अक्षय पात्र फाउंडेशन ने बजट के अभाव में हाथ खड़े कर दिए थे। वहीं राजधानी के आठ एनजीओ संचालकों ने दूध व कोफ्ता-चावल बच्चों को उपलब्ध कराया था। लेकिन इस बार अक्षय पात्र के साथ-साथ एनजीओ ने भी बच्चों को दूध देने से मना कर दिया है।72 हजार बच्चे फिर करेंगे इंतजारकाकोरी, चिनहट, सरोजनी नगर के साथ-साथ नगर क्षेत्र के परिषदीय विद्यालयों के 72 हजार बच्चों को मिड-डे-मील देने की जिम्मेदारी अक्षय पात्र फाउंडेशन की है। 

अब फाउंडेशन ने बुधवार को भी मिड-डे-मील में कोफ्ता-चावल व दूध न दे पाने में असमर्थता जता दी है। फाउंडेशन के उप महाप्रबंधक सुनील मेहता का कहना है कि हम इस बुधवार को भी दूध नहीं दे पाएंगे। लेकिन अगले बुधवार यानी 30 जुलाई को इसकी उम्मीद कर सकते हैं।चार ब्लॉकों में शिक्षकों पर निर्भर होगी व्यवस्थामाल, मलिहाबाद, मोहनलालगंज, गोसाईगंज के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को दूध देने की व्यवस्था ग्राम प्रधानों एवं शिक्षकों पर निर्भर होगी। इसको लेकर शिक्षक परेशान हैं कि आखिर कहां से दूध और चावल-कोफ्ते की व्यवस्था कराई जाए।

साभार : डीएनए


  • शिक्षा विभाग की फजीहत
  • पराग को नहीं भेजी डिमांड, न पराग दूध देने को तैयार
  • आज फिर होगी दूध पिलाने की कसरत

प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे-मील के तहत बच्चों को दूध पिलाने के लिए बुधवार को फिर कसरत होगी। इसके लिए प्रदेशभर में स्कूलों को नए सिरे से निर्देश दे दिए गए हैं कि दूध और कोफ्ता साथ-साथ न दिया जाए। कहा गया था कि सुबह स्कूल खुलते ही बच्चों को पहले दूध दे दिया जाए। उसके बाद दोपहर के खाने में कोफ्ता दिया जाए, लेकिन शिक्षकों के सामने समस्या वही है कि प्रदेश में 2 करोड़ बच्चों के लिए 40 लाख लीटर दूध आएगा कहां से। इसका कोई जवाब अफसरों के पास नहीं है। अक्षय पात्र और पराग भी दूध करने को तैयार नहीं हैं।

बच्चों को मिड-डे-मील में दूध दिए जाने की शुरुआत पिछले बुधवार से हुई थी। पहले ही दिन लखीमपुर में बच्चों के बीमार पड़ने का मामला सामने आया था। इसके अलावा नकली दूध दिए जाने और कई जगह
प्राइमरी स्कूलों में आज मिड-डे-मील में स्टूडेंट्स को दूध मिलना मुश्किल हो गया है। अक्षयपात्र की तरफ से पहले ही हाथ खड़े किए जा चुके थे, अब पराग ने भी दूध देने से इनकार कर दिया है। शिक्षा विभाग की तरफ से पिछले हफ्ते भेजे गए दूध का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। पराग ने पिछले हफ्ते 1500 लीटर दूध सप्लाई किया था, जिसके लिए करीब 70 हजार रुपये का बिल भेजा गया, लेकिन अब तक कोई भुगतान नहीं हुआ।

शिक्षा विभाग की तरफ से पिछले हफ्ते दो दिन के भीतर भुगतान करने का आश्वासन देकर उधार दूध लिया गया था। इस बीच पराग की तरफ से आगे से उधार दूध देने से इनकार कर दिया है। हालांकि शिक्षा विभाग की तरफ से दूध की डिमांड भी देर रात तक पराग को नहीं भेजी गई थी। पराग के जीएम डीके सिंह ने बताया कि सरकार की योजनाओं को पराग की तरफ से हर संभव मदद की जाएगी, लेकिन दूध के लिए पैसा तो लिया ही जाएगा।

साभार : नवभारत 

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ध्वस्त हुई सरकार की नाक के नीचे बच्चों को दूध वितरण की योजना, स्पष्ट दिशा निर्देशों और धन की व्यवस्था ना होने से अधिकारियों ने भी खींचे हाथ Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 6:56 AM Rating: 5

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