सरकारी स्कूल में पढ़ाई अनिवार्य करने का मामला, जिस शिक्षक की याचिका पर कोर्ट का आदेश आया, उसकी बर्खास्तगी पर घिरी सरकार



  • जिस शिक्षक की याचिका पर कोर्ट का आदेश आया, उसकी बर्खास्तगी पर घिरी सरकार
  • नेता-अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाई अनिवार्य करने का मामला

राज्य मुख्यालय प्रमुख संवाददातानेताओं व अफसरों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के आदेश पर बहस अभी ठण्डी भी नहीं हुई थी कि याचिकाकर्ता प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक की बर्खास्तगी की खबर ने गुरुवार को हलचल मचा दी। सुलतानपुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी रमेश यादव ने बताया कि 12 दिनों तक सैद्धांतिक प्रशिक्षण से अनुपस्थित रहने के कारण प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक के चयन को निरस्त कर दिया गया है। 

आदेश 13 अगस्त को ही जारी हो गया था। उनका कहना है कि प्रशिक्षु शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण के दौरान छुट्टी का नियम नहीं है। उन्हें नियमत: रविवार को भी आना होता है लेकिन श्री पाठक लम्भुआ के ब्लॉक संसाधन केन्द्र पर 21 मई से चल रहे सैद्धांतिक प्रशिक्षण से 12 दिन अनुपस्थित रहे। 22 जुलाई के बाद वह बीआरसी आए ही नहीं है और इससे पहले भी वह 6 दिन अनुपस्थित रहे। उनसे इस पर स्पष्टीकरण मांगा गया। उन्होंने स्पष्टीकरण दिया लेकिन वह संतुष्ट होने योग्य नहीं था। 

पाठक बोले, बदले की कार्रवाई: शिव कुमार पाठक ने कहा है कि न्यायालय से आदेश आने के बाद बैक डेट में मुङो बर्खास्त किया गया है। याचिका दाखिल करने के लिए मैंने लिखित तौर पर अवकाश लिया था। यदि न्याय नहीं मिला तो कोर्ट जाऊंगा। 

साइट पर तो पहले से आदेश मौजूद : सोशल साइटों पर श्री पाठक के चयन रद का आदेश 15 अगस्त से मौजूद है और उस पर लगातार समर्थन और विरोध में कमेंट्स भी आ रहे हैं। यूपी टीईटी के कई ग्रुप में उनका चयन निरस्त होने का आदेश देखा जा सकता है। एसके पाठक टीईटी मेरिट के पक्षधर/नेता हैं और उनकी याचिका पर ही 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती टीईटी मेरिट से हो रही है।

साभार : हिंदुस्तान 


लखनऊ (ब्यूरो)। सुल्तानपुर के जिस प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया, उसे बर्खास्त करने पर यूपी सरकार चौतरफा घिर गई है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिसे सम्मानित करना चाहिए था, सरकार ने उसे बर्खास्त कर दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने बर्खास्तगी को तानाशाही करार दिया है। हालांकि यूपी सरकार ने बर्खास्तगी को नियमों के अंतर्गत बताया है। सरकार ने शिव कुमार को 13 अगस्त को बर्खास्त कर दिया था। अदालत का ऐतिहासिक फैसला 18 अगस्त को आया था। शिवकुमार प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कोर्ट केस में मुख्य पक्षकार है।

गौरतलब है कि पक्षकार शिव कुमार की याचिका पर ही हाईकोर्ट ने सरकारी खजाने से वेतन पाने वाले मंत्रियों, जजों, अफसरों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में शिक्षा अनिवार्य करने का फैसला सुनाया था। 
याचिकाकर्ता की बर्खास्तगी के सवाल को टाल गए अखिलेशः
मुजफ्फरनगर। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले सुल्तानपुर के प्राथमिक अध्यापक शिवकुमार पाठक को बर्खास्त करने के सवाल को सीएम अखिलेश टाल गए। उन्होंने कहा कि पहले जिस काम के लिए आए हैं, उस पर बात करें। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि अफसरों और माननीयों के बच्चों को सरकारी स्कूल में शिक्षा दिलाने के कोर्ट के आदेशों का अध्ययन किया जाएगा। 

  • स्वामी प्रसाद ने कहा, लोकतंत्र की आवाज दबा रही सरकार
‘राज्य सरकार शिक्षक को बर्खास्त कर लोकतंत्र की आवाज दबा रही है। यह सरकार की खीझ है। साफ संकेत मिल रहा है कि राज्य सरकार हाईकोर्ट का फैसला मानना नहीं चाहती है।’ - स्वामी प्रसाद मौर्य, नेता प्रतिपक्ष
  •  लक्ष्मीकांत बोले, सरकार का रवैया तानाशाह जैसा
‘शिक्षक को बर्खास्त करना एक तरह से अदालत के निर्णय के खिलाफ कार्रवाई है। अहंकार में चूर सरकार का यह कदम सही बात उठाने वाले को धमकाने जैसा है।’ - लक्ष्मीकांत बाजपेयी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष


  • कौन बोल रहा सच : बर्खास्तगी पर सबके दावे अलग-अलग

  • शिक्षा मंत्री :
सरकारी कर्मचारी था, पीआईएल कैसे दाखिल किया
बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने शिव कुमार की बर्खास्तगी को सही बताया। कहा, वह छह दिनों तक स्कूल से गायब था। उसने पीआईएल दाखिल की थी। किसी भी सरकारी कर्मचारी या अफसर को पीआईएल का अधिकार नहीं है।

  • बीएसए :
12 दिन अनुपस्थित था इसलिए बर्खास्त
सुल्तानपुर बीएसए रमेश यादव ने कहा कि प्रशिक्षु शिक्षकों को ट्रेनिंग के दौरान छुट्टी का नियम नहीं है। शिव कुमार को चार बार में 12 दिन अनुपस्थित पाया था, इसलिए उसे 13 अगस्त को बर्खास्त कर दिया गया।

  • शिक्षक :
मैं लिखित छुट्टी लेकर गया था कोर्ट
बर्खास्त शिक्षक शिव कुमार पाठक ने कहा कि वह खंड शिक्षाधिकारी से छुट्टी की लिखित अनुमति लेकर कोर्ट गया था। इसका मेरे पास सुबूत भी है। बर्खास्तगी में शासन की भूमिका हो सकती है।



  • ‘बहाल नहीं किया तो जाऊंगा कोर्ट’
  • छुट्टी लेकर गया फिर क्यों किया टर्मिनेट : शिवकुमार
  • बीएसए ने कहा, नौकरी करोगे या पैरवी
लखनऊ (ब्यूरो)। बर्खास्त प्रशिक्षु शिक्षक शिवकुमार पाठक अपनी बर्खास्तगी को शासन के गुस्से की गाज मान रहे हैं। उनका तर्क है कि वह हर बार छुट्टी लेकर कोर्ट केस की सुनवाई के लिए गए। खंड शिक्षाधिकारी से छुट्टी की लिखित अनुमति ली है जिसके सुबूत उसके पास है। पाठक ने बताया कि उसे बहाल करने की सूचना अभी तक नहीं है। यदि जल्द ही उसे बहाल नहीं किया जाता है तो वह कोर्ट की शरण लेगा। बीते 13 अगस्त को बर्खास्त किया गया प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार अफसरों और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाने के दो दिन पहले आए हाईकोर्ट के फैसले का मुख्य पक्षकार भी है। इसके अलावा बर्खास्त प्रशिक्षु शिक्षक ही टीईटी अभ्यर्थियों की सुप्रीम कोर्ट तक चली लड़ाई का वादी भी है।

बर्खास्त किए गए प्रशिक्षु शिक्षक पर सुप्रीम कोर्ट की ओर शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक के बाद दबाव और बढ़ गया था। शासन के दबाव में बीएसए ने प्रशिक्षु शिक्षक को साफ कह दिया था कि नौकरी करोगे कि पैरवी। प्रशिक्षु शिक्षक शिव कुमार पाठक से फोन पर बात की गई तो उन्होंने अपने ऊपर हुई कार्रवाई को द्वेषपूर्ण बताया। प्रदेशस्तर के कुछ शिक्षामित्र नेताओं की ओर से भी फोन आने लगे कि अब पैरवी न करो नहीं तो नौकरी नहीं करने देंगे। वे लोग बड़े नेताओं का नाम लेकर धमकी दे रहे थे। मैं झुका नहीं और बर्खास्तगी हो गई। बीएसए ने साफ कहा कि अब मामला उनके स्तर का नहीं है। शासन का मामला है।
खबर साभार : अमर उजाला 


  • बर्खास्त शिक्षक बोले, शिक्षामित्रों के समायोजन पर रोक के बाद से ही मिल रही थी धमकी याचिका दाखिल करने पर शिक्षक को बर्खास्त करना सरासर गलत है। -सभाजीत सिंह, प्रवक्ता अवध प्रांत, आप
  • हाईकोर्ट के ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करने के बजाय याचिकाकर्ता को बर्खास्त करने की कार्यवाही तानाशाही का नमूना है। ~ डॉ़ चंद्रमोहन, बीजेपी
  • प्राथमिक दृष्टि से यह गलत है। शिक्षक को बहाल किया जाना चाहिए। ~ पीएल पुनिया, सांसद, कांग्रेस
  • शिक्षक ने क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए प्रयास किया था, उसे सम्मानित करना चाहिए। ~ डॉ़ जेपी मिश्र, अध्यक्ष, प्रधानाचार्य परिषद
  • शिक्षा के हितैषियों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं करना चाहिए। ~ वीरेंद्र सिंह, जिला महामंत्री प्राथमिक शिक्षक संघ
  • अगर विभाग ने ऐसा किया है तो निंदनीय और शर्मनाक है। ~ डॉ़ आरपी मिश्र, प्रदेशीय मंत्री 

प्राथमिक विद्यालयों में क्वालिटी एजुकेशन की मुहिम छेड़ने वाले प्रशिक्षु शिक्षक को नौकरी गंवानी पड़ी। सुल्तानपुर जिले के लंभुआ स्थित प्राथमिक विद्यालय में प्रशिक्षु शिव कुमार पाठक दो दिन पहले अपनी उस अपील के कारण चर्चा में आए थे, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सभी सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों और नेताओं के बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में पढ़वाने का आदेश दिया था। शिव के मुताबिक 72 हजार शिक्षामित्रों को समायोजित करने के मामले में जब अदालत ने रोक लगाई, उसी के बाद से ही उन्हें धमकी दी जा रही थी।

कोर्ट के फैसले के एक दिन पहले शिव कुमार को बीएसए ने बर्खास्त कर दिया था। शिव कुमार कहते हैं, उनकी बर्खास्तगी क्वालिटी एजुकेशन के मुद्दे पर लड़ने की वजह से हुई है। बीएसए के मुताबिक मैं 12-13 दिन तक बिना बताए गैरहाजिर रहा इस वजह से मुझे बर्खास्त किया गया है। हालांकि मेरे साथ 20 लोगों को अनुपस्थिति की नोटिस दी गई थी। मैंने उसका जवाब भी दिया। बावजूद इसके बाकी के 19 लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। शिव कुमार सवाल पूछते हैं- बर्खास्तगी की एक प्रक्रिया होती है। निलंबन और फिर जांच। मेरे मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। अगर किसी को शिकायत थी तो वह मेरा पक्ष तो सुनता।

  • जब सेंट्रल स्कूलों में तीन चरण में चयन तो यहां क्यों नहीं?
शिव कुमार कहते हैं कि सेंट्रल स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती तीन चरण में होती है, लेकिन परिषदीय स्कूलों में ऐसा नहीं होता। पिछली सरकार ने टीईटी कीw मेरिट पर भर्ती की, जिसे इस सरकार ने खत्म कर दिया। मैं क्वालिटी एजुकेशन के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर शिक्षकों की भर्ती के पक्ष में हूं। आखिर क्या गलत कह रहा हूं मैं, जो शिक्षा अधिकारियों को नागवार गुजर रहा है/ बर्खास्तगी मसले पर शिव कुमार वकीलों से राय ले रहे हैं।

  • हजारों रहते हैं अनुपस्थित
बर्खास्तगी का आधार अनुपस्थिति बताए जाने पर शिवकुमार ने कहा- क्या केवल मैं ही अनुपस्थित था/ मेरी बीआरसी पर ही तमाम लोग हैं जो बिना बताए एक महीने से गायब हैं। प्रदेश में ऐसे लोगों की संख्या हजारों में है।

  • जब 20 को नोटिस,तो कार्रवाई मुझ पर ही क्यों : शिव कुमार
एनबीटी, मुजफ्फरनगर : सीएम अखिलेश यादव ने गुरुवार को कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंत्री, अफसर और नेताओं के बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का जो आदेश दिया है, उसे अमल में लाया जाएगा। इसके लिए एक कमिटी बनाई जाएगी, जो पूरे मामले पर फैसला लेगी। सीएम दिवंगत मंत्री चितरंजन स्वरूप के परिवार के सदस्यों के साथ दुख बांटने मुजफ्फरनगर पहुंचे थे। हाई कोर्ट ने अपने विस्तृत फैसले में प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा की बदहाली पर कड़ी टिप्पणियां की हैं।
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सरकारी स्कूल में पढ़ाई अनिवार्य करने का मामला, जिस शिक्षक की याचिका पर कोर्ट का आदेश आया, उसकी बर्खास्तगी पर घिरी सरकार Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 10:13 AM Rating: 5

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