हर साल मुफ्त किताब बांटने के नाम पर अरबों बर्बाद, पहले पुरानी फिर बांटेंगे नई किताबें


इलाहाबादयूपी के सरकारी प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूलों में मुफ्त किताब बांटने के नाम पर हर साल अरबों रुपए की बर्बादी पब्लिक के पैसे के गैरवाजिब खर्च की कहानी बयां करने को काफी है। एक ओर जहां अमेरिका और चीन जैसे अमीर देश बच्चों को एक ही किताब से कई साल पढ़ाते है वहीं भारत जैसे गरीब देश के उत्तर प्रदेश जैसे पिछड़े राज्य में हर साल 200 करोड़ के आसपास की मुफ्त किताबें बांटना इस योजना पर ही सवाल खड़े करता है।यहां एक बात साफ होनी चाहिए गरीब बच्चों को मुफ्त किताब उपलब्ध कराने में कुछ गलत नहीं है बल्कि उन किताबों से दो-तीन साल तक बच्चों को पढ़ाने के बजाय नए सिरे से टेंडर-प्रिंटिंग और उसकी आड़ में होने वाले करोड़ों रुपए कमीशन का खेल ठीक नहीं। अमेरिका के सरकारी स्कूलों में ही बच्चों को किताबें दी जाती है जिसे वे घर नहीं ले जा सकते। अगली क्लास में जाने पर उन्हें स्कूल में ही आगे की पढ़ाई के लिए किताबें मिल जाती हैं।चीन में भी हर साल प्राइमरी और मिडिल स्कूल में मुफ्त किताबें बांटी जाती है लेकिन बच्चों को इस हिदायत के साथ कि वे उसे अच्छे तरीके से रखेंगे ताकि अगले साल दूसरे बच्चे उसे पढ़ सकें। किताबों के दोबारा से न सिर्फ पर्यावरण का संरक्षण होता है (क्योंकि कागज तैयार करने के लिए बार-बार पेड़ नहीं काटने पड़ते) बल्कि पब्लिक के करोड़ों-अरबों रुपए लोकहित की दूसरी योजनाओं में लगाने में मदद मिलती है।

अंग्रेजी स्कूलों में कमीशन के लिए बदलते हैं किताबें : सरकारी स्कूलों में ही नहीं अंग्रेजी स्कूलों में भी हर साल किताबें बदल दी जाती हैं। प्राइवेट अंग्रेजी स्कूल कमीशन के लिए हर साल पब्लिशर देते हैं ताकि अभिभावकों को मजबूर होकर नई किताब खरीदनी पड़े और स्कूल संचालकों को लम्बा-चौड़ा कमीशन।
 
 डॉलर-युआन के आगे नहीं टिकता भारतीय रुपया :  हर साल मुफ्त किताब के लिए करोड़ों रुपए की बर्बादी ठीक नहीं है। ये स्थिति तब है जबकि भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर और चीन के युआन के आगे नहीं टिकता। एक अमेरिकी डॉलर की भारतीय मुद्रा में कीमत 66.79 जबकि एक युआन की कीमत 10.26 रुपए है। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि जब तक किताबें रिवाइज नहीं होती तब तक जितने समय तक संभव हो एक ही किताब से बच्चों को पढ़ाया जाए। 

हर साल जो किताबें खराब होती हैं केवल वे ही बदली जाएं। इसकी जिम्मेदारी हेडमास्टर को दी जाए। इससे न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण होगा बल्कि पब्लिक के पैसे का दुरुपयोग बंद होगा।
-एलपी पांडेय, पूर्व बेसिक शिक्षा निदेशक
खबर साभार : हिन्दुस्तान 

Enter Your E-MAIL for Free Updates :   
हर साल मुफ्त किताब बांटने के नाम पर अरबों बर्बाद, पहले पुरानी फिर बांटेंगे नई किताबें Reviewed by Brijesh Shrivastava on 8:00 AM Rating: 5

No comments:

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.