अब अपनी बोली में पढ़ेंगे बच्चे, परिषद के विद्यालयों में खड़ी बोली का वर्चस्व तोड़कर क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान दिलाने की तैयारी, शिक्षण अधिगम सामग्री (प्राइमर) का विकास किया जा रहा

इलाहाबाद : प्रदेश में अवध, बुंदेलखंड, ब्रज आदि क्षेत्रों की पहचान वहां की बोली से ही है। बच्चे अभिभावकों की बोली से यह क्षेत्रीय भाषाएं तो जल्द ही सीख लेते हैं, लेकिन स्कूली परिवेश में उन्हें खड़ी बोली में लिखना-पढ़ना पड़ता है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में खड़ी बोली का वर्चस्व तोड़कर क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान दिलाने की तैयारी है, ताकि बच्चे चीजों को आसानी से समझ सकें।

देश-दुनिया में हुए तमाम शोध में यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि छोटे बच्चों को मातृभाषा में दी गई शिक्षा सबसे अच्छी है। इसका अनुपालन अब परिषदीय विद्यालयों में होने जा रहा है। प्रदेश की क्षेत्रीय भाषाओं भोजपुरी, बुंदेलखंडी, अवधी व ब्रज में प्रवेशिका (प्राइमर) विकसित की जानी है। राज्य शिक्षा संस्थान उप्र इलाहाबाद में सोमवार से कार्यशाला शुरू हो गई है।

संस्थान के प्राचार्य दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि एससीईआरटी निदेशक डा. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह के निर्देश पर पहली बार इस तरह की शिक्षण अधिगम सामग्री (प्राइमर) का विकास किया जा रहा है। इसका उद्देश्य बच्चों को स्थानीय भाषा के माध्यम से मानक से जोड़ा जाना है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व हंिदूी विभागाध्यक्ष डा. रामकिशोर शर्मा ने कहा कि संस्थान ने लोकभाषाओं के महत्व को स्वीकार करके उन्हें प्रोत्साहित करने का सराहनीय कार्य किया है। इससे शिक्षक व बच्चों में अपनी स्थानीय भाषा के प्रति रुझान बढ़ेगा। समन्वयक नीलम मिश्र ने कहा कि अपनी भाषा में अभिव्यक्ति हमेशा सहज व सरल होती है।

अब अपनी बोली में पढ़ेंगे बच्चे, परिषद के विद्यालयों में खड़ी बोली का वर्चस्व तोड़कर क्षेत्रीय भाषाओं को स्थान दिलाने की तैयारी, शिक्षण अधिगम सामग्री (प्राइमर) का विकास किया जा रहा Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 4:51 AM Rating: 5

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