समायोजित शिक्षामित्रों के मृतक आश्रितों पाल्यों का वेतन भुगतान फंसा, महीनों से बिना वेतन के ही काम रहे, अफसरों का तर्क - मामले का फैसला आये बिना भुगतान अनुचित, साधी चुप्पी

इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्र बड़ी संख्या में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित हुए हैं। उनके समायोजन का प्रकरण भले ही शीर्ष कोर्ट में लंबित हैं, लेकिन सरकार ने उन्हें नियमित शिक्षक मानते हुए पूरे लाभ दिए हैं। इसलिए समायोजित शिक्षकों के निधन पर उनके पाल्यों को नौकरी दी गई है। अफसर इन मृतक आश्रितों को वेतन भुगतान में आनाकानी कर रहे हैं। इससे समायोजित शिक्षक आहत हैं।

प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में एक लाख 72 हजार शिक्षक तैनात हैं। उनमें से एक लाख 37 हजार शिक्षकों को चरणवार सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया जा चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों का समायोजन रद कर दिया था, उस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थगनादेश जारी किया है और सुनवाई जारी है। इन समायोजित शिक्षकों की शीर्ष कोर्ट में सुनवाई भर चल रही है, प्रदेश सरकार ने उन्हें बाकी सारी सहूलियतें मुहैया कराई हैं। इसीलिए समायोजन के बाद करीब 56 समायोजित शिक्षकों का निधन हुआ तो उनके पाल्यों को नौकरी देने की मांग उठी।

आखिरकार सरकार ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में 23 मृतक आश्रितों को चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति दे दी है। वह कई महीने से कार्यरत हैं, लेकिन उन्हें वेतन भुगतान नहीं हो रहा है। आर्थिक तंगी बढ़ने पर यह प्रकरण तूल पकड़ गया है। उन जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने अब परिषद से दिशा-निर्देश मांगा है, वहीं बड़े अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने इस मामले में अफसरों से निर्देश देने की मांग की है। उधर, अफसरों का कहना है कि यह प्रकरण शीर्ष न्यायालय में लंबित है इसलिए उसका फैसला आए बगैर वेतन भुगतान का निर्देश देना उचित नहीं है।

समायोजित शिक्षामित्रों के मृतक आश्रितों पाल्यों का वेतन भुगतान फंसा, महीनों से बिना वेतन के ही काम रहे, अफसरों का तर्क - मामले का फैसला आये बिना भुगतान अनुचित, साधी चुप्पी Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 6:48 AM Rating: 5

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