ऐसे दागी अधिकारी कैसे करेंगे शिक्षा का कायाकल्प? लगातार भ्रष्टाचार की सुर्खियों में रहे अधिकारियों को फील्ड में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती क्यों और कैसे मिल रही?


मंत्री ने भी की थी बीएसए के भ्रष्टाचार की चर्चा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने अप्रैल में हुए बेसिक शिक्षा विभाग के प्रस्तुतीकरण के बाद प्रदेश में बेसिक शिक्षा की बदहाली पर चर्चा भी हुई थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चर्चा के दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा था कि उनके गृह जिले देवरिया में तैनात रहे एक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने करोड़ों रुपये कमाए।

⚫ दो अफसरों को डीएम बुलंदशहर ने बैरंग लौटाया
⚫ जेल जा चुके अफसरों को फील्ड में मिली अहम तैनाती


लखनऊ  :  हाल ही में बुलंदशहर के जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर तैनात किए गए अरुण कुमार दुबे को वहां की जिलाधिकारी रोशन जैकब ने कार्यभार नहीं ग्रहण करने दिया। वजह यह थी कि दुबे के बारे में रोशन जैकब का तजुर्बा खराब था। रोशन जब बस्ती की जिलाधिकारी थीं तो दुबे वहां बीएसए थे। शिकायत मिलने पर उन्होंने बीएसए के आवास पर छापा डलवाया था जिसमें काली कमाई बरामद हुई थी। दुबे तो मौके से फरार हो गए थे लेकिन, जिलाधिकारी ने उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी।

जाहिर है कि दुबे को बुलंदशहर में माध्यमिक शिक्षा की कमान सौंपा जाना उन्हें नहीं सुहाया और डीएम ने उन्हें बैरंग वापस किया। दुबे से पहले रोशन ने बुलंदशहर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तैनात किए गए मनोज कुमार मिश्र को भी उनकी छवि के चलते जिले में चार्ज नहीं लेने दिया और यूं ही चलता किया था। बुलंदशहर से बैरंग लौटाए जाने पर शासन को हाल ही में मनोज कुमार मिश्र को बेसिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध करना पड़ा। बुलंदशहर की जिलाधिकारी तो सतर्क थीं, इस वजह से उन्होंने दागी छवि के शिक्षा अधिकारियों को चार्ज नहीं लेने दिया।

सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन का दावा करने वाली योगी सरकार में ऐसे शिक्षा अधिकारियों को फील्ड में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती क्यों और कैसे की जा रही है। शिक्षा विभाग में हाल ही में फील्ड में तैनात किए गए अफसरों की फेहरिस्त पर गौर करें तो ऐसे कई दागी अफसर मिल जाएंगे। मिसाल के तौर पर अमरोहा के जिला विद्यालय निरीक्षक बनाए गए रामाज्ञा कुमार तब सुर्खियों में आए थे जब बुलंदशहर में इसी पद पर काम करते हुए विजिलेंस की टीम ने उन्हें घूस लेते रंगे हाथ धरा था। उन्हें जेल जाना पड़ा था लेकिन, शासन की मेहरबानी से अब वह अमरोहा में माध्यमिक शिक्षा विभाग की कमान संभालने में कामयाब रहे हैं।

झांसी मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक के पद पर तैनाती पाने वाले मनोज कुमार द्विवेदी का अतीत भी दागदार रहा है। बहराइच में डायट प्राचार्य के पद पर रहते हुए वह भी घूस लेते पकड़े गए थे और हवालात गए थे। गाजीपुर में जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर तैनात नरेंद्र देव पांडेय जब हमीरपुर में तैनात थे तो एक मामले में वहां की तत्कालीन जिलाधिकारी बी.चंद्रकला के निर्देश पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी।


अमेठी के जिला विद्यालय निरीक्षक बनाए गए नंदलाल गुप्ता जब इसी पद पर फैजाबाद में तैनात थे तो अदालत की अवमानना मामले में जेल गए थे। मेरठ के जिला विद्यालय निरीक्षक राजू राणा भी मथुरा और बुलंदशहर में बीएसए रहते हुए कई जांचों में घिरे रहे। भ्रष्टाचार को लेकर आजमगढ़ की सयुंक्त निदेशक अनारपति वर्मा का दामन भी दागदार रहा है।

ऐसे दागी अधिकारी कैसे करेंगे शिक्षा का कायाकल्प? लगातार भ्रष्टाचार की सुर्खियों में रहे अधिकारियों को फील्ड में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती क्यों और कैसे मिल रही? Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 7:10 AM Rating: 5

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