सीएम साहब : गुणवत्ता के मानक पर खरे नहीं उतर रहे स्कूलों में कैसे कोई पढ़ायेगा? जागरण सम्पादकीय में उठाया गया बड़ा सवाल

सीएम साहब  : गुणवत्ता के मानक पर खरे नहीं उतर रहे स्कूलों में कैसे कोई पढ़ायेगा? जागरण सम्पादकीय में उठाया गया बड़ा सवाल।



प्राथमिक स्कूलों की स्थिति सुधारने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने पर जोर भले ही दिया है लेकिन, ऐसा तभी हो सकता है जबकि गुणवत्तापरक शिक्षा पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। आखिर क्या वजह है कि बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार घटती जा रही है जबकि उनके लिए कई लुभावनी योजनाएं हैं और सरकार की ओर से गांव के स्तर पर कई कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। 




आंकड़ों के अनुसार छह साल के भीतर 32 लाख छात्र प्राथमिक स्कूलों में घटे हैं और ऐसा तब हुआ है जबकि इसी अवधि में शिक्षा का बजट दोगुना हुआ है। इससे साबित होता है कि मुफ्त में पुस्तकें, मिड-डे मील, दूध व फल और स्कूल बैग बच्चों और उनके अभिभावकों को लुभाने में नाकाम रहे हैं। दूसरी ओर गांवों में अंग्रेजी माध्यम के नर्सरी स्कूलों की संख्या और उनमें छात्रों की संख्या भी बढ़ रही है। वित्तविहीन विद्यालयों की संख्या में हर साल बढ़ोतरी से भी यह बात साबित होती है। विडंबना यह कि जहां वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों को नाममात्र का पारिश्रमिक हासिल होता है, वहीं सरकारी स्कूलों के टीचर अच्छा-खासा वेतन ले रहे हैं। 





प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में वर्ष 2011-12 में 1.46 करोड़ बच्चे नामांकित थे जिनकी संख्या छह साल बाद 1.16 करोड़ रह गई है। यही नहीं, इन विद्यालयों में नामांकन के बाद स्कूल छोड़ देने वाले बच्चों का प्रतिशत भी बढ़ा है। 2016 की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों के परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की अनुपस्थिति दर 44 फीसद और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 44.2 फीसद है जो कि राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। जाहिर है कि गुणवत्ता के मानक पर विद्यालय खरे नहीं उतर रहे और अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित अध्यापक विकल्पों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। आश्चर्यजनक है कि प्रदेश में लगभग ढाई हजार ऐसे विद्यालय हैं जहां 15 से कम छात्र नामांकित हैं। इनमें ऐसे जिले भी शामिल हैं जो विकास की दौड़ में पिछड़े माने जाते हैं। प्राथमिक स्कूलों की सारी तस्वीर सरकार के सामने है और यदि वाकई मुख्यमंत्री चाहते हैं कि बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ें को प्राथमिक विद्यालयों को सबसे पहले इस लायक बनाना होगा।




सीएम साहब : गुणवत्ता के मानक पर खरे नहीं उतर रहे स्कूलों में कैसे कोई पढ़ायेगा? जागरण सम्पादकीय में उठाया गया बड़ा सवाल Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:06 AM Rating: 5

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