शिक्षक दिवस स्पेशल रिपोर्ट : नहीं चाहिए वाहवाही बस दिल मांगे ‘माहौल’, हाकिम का फरमान बजाने में बीत जाते हैं दिन, आदेशों की बाढ़ में खो रही है शिक्षा की राह


आदेशों की बाढ़ में कहीं खो सी गई है शिक्षा की राह

■ औपचारिकताओं को पूरा करने में गुम होने लगा उत्साह

■ संख्या अधिक होने से सबकी निगाह में परिषदीय शिक्षक

■ एक जान कई सारे काम, पुराने के साथ नई योजनाएं पड़ रहीं भारी

किसी ने शिक्षकों के बारे में क्या खूब लिखा है कि उसे नहीं चाहिए कोई वाहवाही, बस रोकता है वह गुणों की तबाही। इन पंक्तियों में निहित संदेश अब शिक्षकों के लिए भले महत्वपूर्ण हो लेकिन हाकिमों के लिए बेमानी हो चला है। देश की बुनियाद बनाने वाले शिक्षकों का दर्जा भले ही ईशतुल्य हो लेकिन आजकल उसका दर्जा उससे छिनने लगा है। गांवों में काम करने के लिए माहौल की तलाश कर रहे शिक्षकों को शिक्षा बड़ा काम लगने लगी है। आए दिन नए फरमान, योजनाएं और ब्यूरोक्रेसी शिक्षक और शिक्षण दोनो को प्रयोगशाला बना रही है। शिक्षकों के हाथ में अब शायद कुछ नहीं रहा। सिर्फ आदेशों का पालन ही उनकी नियति बन गया है।

यह दर्द शिक्षकों के दिल से निकला है। दशकों पहले शिक्षकों के पास न तो एमडीएम था और न ही पोलियो। न तो डीएम साहब का डर था और न ही विभाग के हाकिम का। अब मामला उलट है। पेश है स्वस्थ माहौल की तलाश में भटक रहे शिक्षकों के दर्द को उभारती हिन्दुस्तान फतेहपुर डेस्क की एक रिपोर्ट-

बेसिक शिक्षकों का कहना है कि विभाग में भी सभी शिक्षक नकारा नहीं हैं। अन्य विभागों में भी नकारे लोग मौजूद हैं। उनका तर्क है कि हमारी संख्या अधिक होने से हम लोगों की नजरों में आ जाते हैं। दूसरे विभागों के निरीक्षण में भी आए दिन कर्मचारी और अधिकारी गैरहाजिर मिलते हैं लेकिन उनका दस प्रतिशत काफी कम होता है। जिले में करीब पांच हजार शिक्षकों का दस प्रतिशत पांच सौ होता है। यह संख्या निरीक्षण के दौरान काफी बड़ी दिखती है। शिक्षकों की टीस है कि विभाग और शासन का यह अविश्वास ठीक नहीं है।


● बालगणन ● स्कूल चलो अभियान ● छात्रवृत्ति के फार्म भराना ● बच्चों के बैंकों में अकाउन्ट खुलवाना ● ड्रेस वितरण कराना ● मिड डे मील बनवाना ● निर्माण कार्य कराना ● एसएमसी की बैठक कराना ● पीटीए की बैठक कराना ● एमटीए की बैठक कराना ● ग्राम शिक्षा समिति की बैठक ● रसोइयों का चयन कराना ● लोक शिक्षा समिति के खाते का प्रबंधन ● एसएमसी के खाते का प्रबंधन ● मिड -डे -मील के खाते का प्रबंधन ● ग्राम शिक्षा निधि के खाते का प्रबंधन ● बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी करना ● पोलियों कार्यक्रम में प्रतिभाग करना ● बीएलओ ड्यूटी में प्रतिभाग करना ● चुनाव ड्यूटी करना ● जनगणना करना ● संकुल की सप्ताहिक और बीआरसी की मासिक मीटिंग में भाग लेना ● अन्य विद्यालय अभिलेख तैयार करना ● विद्यालय की रंगाई पुताई कराना  ● रैपिड सर्वे कराना ● बच्चों के आधार कार्ड बनवाना ● क्लर्क और चपरासी के काम भी करना ● अन्य सरकारी योजनाओं को लागू कराना



शिक्षक दिवस स्पेशल रिपोर्ट : नहीं चाहिए वाहवाही बस दिल मांगे ‘माहौल’, हाकिम का फरमान बजाने में बीत जाते हैं दिन, आदेशों की बाढ़ में खो रही है शिक्षा की राह Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 6:48 PM Rating: 5

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