देश भर के एक लाख स्कूलों में छात्रों का हुआ टोटा, केंद्र सरकार ने कम बच्चों वाले स्कूलों को मिलाकर एक स्कूल करने जैसे प्रयोग की दी सलाह

नई दिल्ली :  देश के दक्षिणी एवं पर्वतीय राज्यों में स्कूल ज्यादा हो गए हैं और बच्चे तेजी से घट रहे हैं। करीब एक लाख स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों का टोटा है। इन्हें बंद करना ही बेहतर विकल्प माना जा रहा है। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इन स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का खर्च निजी स्कूलों से भी ज्यादा है।

रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन एक लाख स्कूलों में बच्चों की संख्या औसतन 12.7 है। सरकार इन स्कूलों के संचालन और वेतन पर 9440 करोड़ रुपये का खर्च कर रही है। प्रति बच्चे पर सालाना खर्च औसतन 80 हजार रुपये है। केंद्रीय विद्यालयों में प्रति बच्चे पर करीब 30 हजार रुपये सालाना खर्च है।

साढ़े तीन लाख और स्कूल भी संकट में : इन एक लाख स्कूलों की समस्या तो गंभीर है, लेकिन 3.70 लाख स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें औसत छात्र संख्या 29 है। इन स्कूलों के सालाना वेतन का व्यय 41,630 करोड़ और प्रति छात्र लागत 40,800 रुपये है।

स्कूलों में बच्चों की घटती संख्या को लेकर केंद्र सरकार चिंतित है। केंद्र ने राज्यों से इनोवेटिव मॉडल अपनाने को कहा है। उत्तराखंड, राजस्थान समेत कई राज्य नए प्रयोग कर रहे हैं। उत्तराखंड में कम बच्चों वाले चार-पांच स्कूलों को मिलाकर एक स्कूल किया जा रहा है।

देश भर के एक लाख स्कूलों में छात्रों का हुआ टोटा, केंद्र सरकार ने कम बच्चों वाले स्कूलों को मिलाकर एक स्कूल करने जैसे प्रयोग की दी सलाह Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 8:03 AM Rating: 5

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