सर्वोच्च अदालत का सभी राज्यों को निर्देश, स्कूल में पढ़ाओ रोड सेफ्टी (सड़क सुरक्षा) का पाठ

सुप्रीम कोर्ट ने सड़क सुरक्षा (रोड सेफ्टी) को लेकर निर्देश जारी कर कहा है कि तमाम राज्यों के स्कूल के कोर्स में रोड सेफ्टी को एजुकेशन में शामिल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट के सुझाव पर जल्दी से जल्दी अमल का प्रयास करें। सुप्रीम कोर्ट ने रोड सेफ्टी मामले में सुनवाई के दौरान 25 निर्देश जारी किए हैं।

रोड सेफ्टी पॉलिसी बनाएं : अदालत ने कहा है कि जिन राज्यों ने अब तक सड़क सुरक्षा नीति नहीं बनाई है, वे सभी नीति बना लें। सभी राज्य व केंद्रशासित प्रदेशों से यह आशा की जाती है कि वे गंभीरता और ईमानदारी से इस पॉलिसी का पालन करेंगे। अदालत ने अपने निर्देश में कहा है कि कई राज्य रोड सेफ्टी प़ॉलिसी बना चुके हैं लेकिन दिल्ली, असम, नागालैंड, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, आदि जगहों पर रोड सेफ्टी पॉलिसी नहीं बनी है। उन्हें 31 जनवरी तक का वक्त दिया गया है। रोड सेफ्टी काउंसिल बनाएं जिनके कामकाज के बारे में कमिटी सुझाव देगी। 

रोड सेफ्टी फंड बने : कोर्ट ने रोड सेफ्टी फंड बनाने को भी कहा है। अदालत ने कहा है कि जिन राज्यों ने रोड सेफ्टी फंड नहीं बनाए हैं वह तुरंत और जल्दी से जल्दी फंड बनाएं। इस फंड में सड़क नियम के उल्लंघन करने वालों से ली गई पेनल्टी से पैसे इकट्ठा होंगे और उसका इस्तेमाल रोड सेफ्टी के लिए होगा। 

लीड एजेंसी बननी चाहिए : अदालत ने 31 जनवरी तक तमाम राज्यों से लीड एजेंसी बनाने को कहा है। लीड एजेंसी रोड सेफ्टी काउंसिल सचिवालय के तौर पर काम करेगी। एजेंसी लाइसेंस, वाहन के रजिस्ट्रेशन, सड़क सेफ्टी, वाहनों के फीचर आदि मामलों में काउंसिल से समन्वय बनाकर काम करेगी। राज्य और नैशनल हाइवे पर स्पेशल पैट्रोल फोर्स का गठन होगा जो नियमों का उल्लंघन करने वालों पर नजर रखेगी।

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