परिषद सचिव ने भ्रष्टाचार पर की कड़ी कार्यवाही, अंतर्जनपदीय तबादले में घूस लेने में प्रधान सहायक निलंबित, वॉयरल वीडियो के बाद हुई कार्यवाही

इलाहाबाद : परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला तबादले में रिश्वत लेने वाले प्रधान सहायक को निलंबित कर दिया गया है। मुरादाबाद बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आरोपी लिपिक को अब मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक मुरादाबाद कार्यालय से संबद्ध किया गया है। साथ ही एडी बेसिक मुरादाबाद को ही जांच अधिकारी बनाया गया है। आरोपी लिपिक को जल्द ही आरोप पत्र अलग से दिया जाएगा। वहीं, परिषद सचिव ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह ऑनलाइन आवेदन पत्रों का सत्यापन करके उसे हर हाल में मंगलवार अपरान्ह तक मुख्यालय भेजे।


■  अंतर्जनपदीय स्थानांतरण आवेदन की फ़ाइल जमा करने में रिश्वत लेते हुए वायरल वीडियो के आधार पर लिपिक निलंबित, सचिव का आदेश देखें


बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों की अंतर जिला तबादले की प्रक्रिया इन दिनों चल रही है। परिषद ने दो चरणों में शिक्षकों से ऑनलाइन आवेदन लिए हैं। करीब 35602 शिक्षकों ने मनचाहे जिले में जाने के लिए आवेदन किया है। उनकी जिला मुख्यालय पर बीएसए कार्यालय में काउंसिलिंग भी हो चुकी है। बीएसए से आवेदनों का सत्यापन होने के बाद उन्हें परिषद मुख्यालय भेजा जाना है। सारे तबादले गुणवत्ता अंक पर ही होने हैं। इसके लिए विशेष एहतियात बरता जा रहा है। सचिव संजय सिन्हा ने इस संबंध में बीएसए को कई बार निर्देश जारी किए कि कहीं किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। यही नहीं, परिषद मुख्यालय पर सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाई गई और कुछ कर्मचारियों के मोबाइल नंबर भी सर्विलांस पर लगाए गए हैं।



इसके बाद भी पिछले दिनों मुरादाबाद बीएसए कार्यालय में आवेदन की हार्ड कॉपी जमा करने के दौरान शिक्षक ने प्रधान सहायक हर्ष देवी त्यागी को खुलेआम रिश्वत दी।  16 फरवरी को धन देते वीडियो वायरल हुआ तो इसका संज्ञान परिषद सचिव ने लिया और लिपिक को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। उसे वहीं के एडी बेसिक के कार्यालय से संबद्ध किया गया है। इस मामले की जांच भी मुरादाबाद के एडी बेसिक को सौंपी गई है।



सचिव ने कहा है कि बीएसए शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदनों की जांच करके सत्यापन रिपोर्ट मंगलवार अपराह्न् तक मुख्यालय भेजे। यह भी ध्यान रखें कि आवेदन एक बार सत्यापित होने के बाद संशोधित नहीं हो सकेगा। वहीं, समय से सत्यापन प्रमाणपत्र न मिलने पर उस जिले के तबादलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सही से सत्यापन करके उसे भेजने का उत्तरदायित्व बीएसए का होगा। गड़बड़ी मिलने पर उन पर कठोर विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।

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