स्कूल चलो अभियान पर जोर, कॉन्वेंट से प्रतिस्पर्धा वह भी बिना किताब

माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा निजी व कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर यूपी बोर्ड के तहत संचालित स्कूलों में सुविधाएं मुहैया कराने का दावा फिलहाल हवाई साबित हो रहा है। ड्रेस हो या जूते, किसी का भी समय पर वितरण नहीं हुआ। अब विभाग की यही स्थिति किताबों को लेकर भी है। नया सत्र शुरू होने के बाद भी न तो परिषदीय स्कूलों में किताबें पहुंचीं और न ही माध्यमिक स्कूलों के लिए लागू हो चुकी एनसीईआरटी की किताबें बाजार में उपलब्ध हैं।

किताबों पर नहीं, दाखिले पर जोर

बेसिक शिक्षा विभाग रोजाना स्कूल चलो अभियान पर जोर दे रहा है। मगर बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबों की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दे रहा। यही कारण है कि स्कूल पहुंचे बच्चों को फटी-पुरानी किताबों से ही काम चलाना पड़ रहा है।

एनसीईआरटी की किताबें नहीं पहुंची बाजार सत्र प्रारंभ होने से पूर्व ही सरकार ने दावा किया था कि यूपी बोर्ड से संचालित स्कूलों में सीबीएसई बोर्ड की तर्ज पर नया सेलेबस लागू होगा। इसके लिए एनसीईआरटी की किताबों का प्रकाशन कराए जाने का दावा किया गया था। जिससे सीबीएसई व यूपी बोर्ड के छात्रों के बीच के अंतर को समाप्त किया जा सके। इसके बावजूद विभाग द्वारा किताबों को लेकर सार्थक प्रयास नहीं किए गए। नतीजा रहा कि पाठ्यक्रम की किताबें बाजार ही नहीं पहुंचीं। ऐसे में बच्चों को बिना किताब ही स्कूल जाना पड़ रहा है

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