विज्ञान-गणित शिक्षकों की नियुक्ति की जांच शुरु, उच्च प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों में खामियां

सहायता प्राप्त स्कूलों की नियुक्ति में गड़बड़ी पर कार्रवाई का इंतजार

प्रदेश भर के परिषदीय और सहायता प्राप्त उच्च प्राथमिक स्कूलों की नियुक्तियों में गड़बड़ी का प्रकरण फिर सतह पर आ गया है। परिषदीय स्कूलों की जांच कोर्ट के आदेश पर शुरू हो गई है, सहायता प्राप्त विद्यालयों की पत्रवली कार्रवाई को लंबे समय से लंबित है, जिसमें शिक्षकों की आड़ में लिपिकों की नियुक्तियां हुईं तो कई जगह ऐसे लोग शिक्षक बन गए हैं, जो अर्हता ही पूरी नहीं कर रहे हैं।

सपा शासनकाल में हुई शिक्षक भर्तियों की सच्चाई अब सामने आ रही है। उच्च प्राथमिक स्कूलों में 29334 विज्ञान-गणित शिक्षकों की नियुक्तियों में ऐसे अभ्यर्थियों को मौका दिया गया है, जिन्होंने बीटीसी प्रशिक्षण के पहले वर्ष ही टीईटी उत्तीर्ण किया था। इस मामले का हाईकोर्ट ने संज्ञान लेकर बीएसए को जांच सौंपी है। माना जा रहा है कि तमाम शिक्षक जांच की जद में आएंगे। ऐसे ही अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर करने को न्यूनतम मानक के तहत शैक्षिक पदों को भरने के आदेश 2015 में हुए। शासन ने पदों की संख्या तय करने के बजाए सीधी भर्ती से न्यूनतम मानक पूरा करने का आदेश दिया। बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सीधी भर्ती करने के लिए पहले 31 मार्च, 2016 तक की मियाद तय की थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो सकी। बाद में इसे बढ़ाकर 31 जुलाई, 2016 किया गया। आरोप है कि बीएसए ने इन भर्तियों में जमकर मनमानी की। जिलों में भर्ती से पहले विज्ञापन नहीं निकाले गए, बल्कि साठगांठ करके चहेतों को प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक के रूप में तैनाती दी गई। नियुक्ति से पूर्व अनुभव प्रमाणपत्र का अभिलेखों से मिलान नहीं किया गया। ऐसे ही शिक्षकों की योग्यता में भी नियम टूटे। अफसरों ने 800 नियुक्तियां की हैं। इसमें 147 प्रधानाध्यापक व 653 सहायक अध्यापक हैं। गोरखपुर में सबसे अधिक भर्ती हुई। कानपुर, आजमगढ़, वाराणसी, लखनऊ, इलाहाबाद एवं बस्ती आदि में हुई। वहीं, देवरिया, गोरखपुर, आगरा, बलिया, चंदौली, वाराणसी आदि जिलों में जमकर घालमेल हुआ है। जांच में तमाम गड़बड़ी पकड़ में आई। कई ऐसे भी जिले हैं, जहां मनमाने तरीके से लिपिकों को भी नियुक्ति दी गई है, जबकि शिक्षणोत्तर कर्मियों की नियुक्ति नहीं होनी थी। ऐसे आधा दर्जन से अधिक जिले चिन्हित हुए थे। इसमें अब तक शासन ने कार्रवाई नहीं की है। माना जा रहा है कि परिषदीय स्कूलों के साथ अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों की नियुक्तियों का प्रकरण तूल पकड़ेगा, हालांकि शासन ने अशासकीय कालेजों में नियुक्तियों का आदेश जारी कर रखा है।

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