चहेतों को जूता सप्लाई देने को नियम रखे ताक पर, विभागीय भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री से किए जाने पर महकमे में हड़कंप 

बेसिक शिक्षा विभाग : चहेतों को जूता सप्लाई देने को नियम रखे ताक पर

विशेष संवाददाता, लखनऊ 

बेसिक शिक्षा विभाग में जूते-मोजे की सप्लाई में बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। कुछ अधिकारी 15 साल पुरानी कंपनियों के सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए न केवल लगातार टेंडर के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं बल्कि चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए सबसे कम कीमत पर सप्लाई करने वाली कंपनी को ही तिकड़म भिड़ाकर सप्लाई से दरकिनार कर दिया गया है। विभागीय भ्रष्टाचार की शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ से किए जाने पर महकमे में हड़कंप मचा है। बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल से इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी गई तो कोई जवाब नहीं दिया गया।

नतीजा, यह है कि एक जुलाई से कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को जूते-मोजे सप्लाई होनी है और सप्लाई का काम शुरू ही नहीं हो सका है।

सीएम के निर्देश बेसिक शिक्षा ने रखे ताक पर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस के निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के कई बड़े अधिकारी धांधली में लगे हैं। स्कूलों में जूता सप्लाई करने का टेंडर विभाग ने 17 अप्रैल को निकाला। शुरुआत से ही टेंडर की शर्तों में ऐसी गड़बड़ियां की साजिश की गई, ताकि पुराने सिंडिकेट का ही फायदा मिले। ऊपर से खेल जारी रहा। टेंडर की तकनीकी बिड के मुताबिक, सबसे कम कीमत वाली कंपनी को 60 फीसदी सप्लाई की जानी थी। नियम है कि कोई भी सप्लायर 25 फीसदी से कम सप्लाई के लिए आवेदन ही नहीं कर सकता।

चहेते को फायदा देने को भिड़ाया तिकड़म

मनमानी करते हुए चहेते सिंडिकेट को फायदा देने के लिए तिकड़म यह भिड़ाया गया की जूते की सप्लाई में सभी दस कंपनियों को 10-10 फीसदी और मोजे की सप्लाई में पांच कंपनियों को ही 20-20 फीसदी सप्लाई करने के आदेश दिया गया हैं। यह इसलिए किया गया क्योंकि मोजा सप्लाई करने वाली कंपनियों में जो पांच कंपनियां सप्लाई कर रही हैं उसमें चार कंपनियां सिंडिकेट की ही हैं। ऐसा तब हुआ जबकि यह कंपनियां सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनियों में नहीं थी।

शिकायत की तो मंत्री कार्यालय के कर्मचारियों ने भगाया

टेंडर में सबसे कम कीमत पर सप्लाई का अधिकार पाने वाली कंपनियों ने जब बेसिक शिक्षा निदेशक व उप निदेशक से शिकायत तो उन्हें जवाब मिला कि हम कुछ नहीं कर सकते। हमें शासन के अधिकारियों की ओर से आदेश मिला है। इसकी शिकायत जब बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल से की गई तो उनके कार्यालय के अधिकारियों ने फटकार कर भगा दिया।

पहली तीन कंपनियों को देनी चाहिए सप्लाई

अगर उच्चस्तर पर भ्रष्टाचार न होता तो टेंडर के नियमों के तहत सबसे कम बोली लगाने वाली तीन कंपनियों को जूते-मोजे की सप्लाई मिलनी चाहिए। इसमें सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को 60 फीसदी, दूसरी व तीसरी कंपनी को 20-20 फीसदी सप्लाई दी जानी चाहिए थी।

सिंडिकेट ने बीते साल वसूले थे ऊंचे दाम

बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसा तब किया है जबकि पिछली बार सिंडिकेट के सप्लायरों ने कुछ जिलों में एक पैर का जूता सप्लाई किया था। पिछली बार 135 रुपये में सप्लाई किया था। इसी सिंडिकेट ने इस बार 150 से 154 रुपये कीमत इस साल लगाई है। इस बार टेंडर के जरिए आई कंपनियों की वजह से सरकार को जूते में करीब 100 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

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