मीरजापुर में 65 फीसद बच्चों ने नहीं देखा स्कूल का मुंह, कई विवि के छात्रों की सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य, 108 गांवों में किया गया था सामाजिक सर्वेक्षण, प्रशासन-प्रतिनिधियों की बोलती बंद

👉 कई विवि के छात्रों की सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
👉108 गांवों में किया गया था सामाजिक सर्वेक्षण
👉 प्रशासन-प्रतिनिधियों की बोलती बंद

मीरजापुर।उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले में 65 फीसद बच्चों ने आज तक स्कूल का मुंह नहीं देखा है। ऐसे में बच्चों को एबीसीडी और गिनती तक का ज्ञान नहीं है। इन्हें अपने माता-पिता के अलावा न तो किसी महापुरुष और न ही किसी बड़े नेता का नाम मालूम है। 16 वर्ष तक के किशोर नशे के आदी व कुपोषण के शिकार हैं। 80 फीसद महिलाएं भी शोषण की शिकार हैं। गांवों में बाल विवाह का प्रचलन अब भी है। ये चौंकाने वाले तथ्य काशी हंिदूू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, काशी विद्यापीठ, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय व पूवार्ंचल विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा किए गए सर्वे रिपोर्ट में सामने आए हैं। छात्रों व होप संस्था द्वारा किए गए सर्वे की संयुक्त रिपोर्ट केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रलय के संयुक्त सचिव को चेतन संघाई को सौंप दी गई है।
विकास की मुख्य धारा से वंचित : छात्रों की स्कूल से दूरी की वजह मिली शिक्षकों का समय न आना। मिड डे मील के मेन्यू में भी फर्जीवाड़ा होता है। शिक्षा व  के अभाव में जिले के कुछ पठारी इलाके आज भी विकास की मुख्य धारा से वंचित हैं। 80 फीसद महिलाएं भी प्रताड़ना की शिकार हैं। गांवों में आज भी बाल-विवाह का प्रचलन है और 14 वर्ष की उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है। स्वच्छ भारत की तस्वीर भी इन गांवों में धुंधली है। 30 प्रतिशत घरों में ही शौचालय हैं। उद्योग न होने से खासकर महिलाओं के पास रोजगार का कोई स्नोत नहीं है।
जागरूकता के अभाव में योजनाएं बेमानी : इन गांवों में केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत चौपाल लगाकर यहां के लोगों को जागरूक करने के साथ ही गरीब, असहाय और बुजुगोर्ं में कपड़ा, खाद्यान्न व जरूरत का सामान वितरित किया जाता है। साथ ही पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा करने के लिए बच्चों को स्कूल किट दिए जाते हैं। इसके अलावा शिक्षित युवक-युवतियों को उनकी योग्यता व रुझान के तहत वोकेशनल प्रशिक्षण के बाद उनके रोजगार की व्यवस्था की जा रही है। लेकिन शिक्षा व जागरूकता के अभाव में सरकारी योजनाएं भी बेमानी साबित हो रही हैं।
"सरकारी प्रयास से हालात में पहले की अपेक्षा अब काफी सुधार हुआ है। खास तौर से इन क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने और विकास को लेकर भी जिले स्तर के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है।"
-अनुप्रिया पटेल, केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण राज्य मंत्री व सांसद मीरजापुर
"लोगों में जागरूकता के अभाव के कारण दिक्कत हो रही है, लेकिन अब हम लोग गांव-गांव चौपाल लगा रहे हैं। लोगों के बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। बिजली, सड़क व चिकित्सालय की व्यवस्था कर रहे हैं।"
-रमाशंकर पटेल, विधायक नक्सल प्रभावित क्षेत्र
"कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिए पुलिस की कोशिश ग्रामीणों के करीब आने की है। साथ ही उनमें जागरूकता लाने और एक दूसरे का सहयोगी बनाने का प्रयास किया जा रहा है।"
- आशीष तिवारी, पुलिस अधीक्षक, मीरजापुर

"शिक्षा व जागरूकता के अभाव में कुछ क्षेत्रों का यथोचित विकास भले ही न हो सका हो, लेकिन प्रशासन की कोशिश है कि इन क्षेत्रों में विशेष प्रयास कर शत-प्रतिशत लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जाए। अगर किसी क्षेत्र में विकास को लेकर कहीं कोई कमी रह गई है तो उसके लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है।"
-अनुराग पटेल, जिलाधिकारी, मीरजापुर

मीरजापुर में 65 फीसद बच्चों ने नहीं देखा स्कूल का मुंह, कई विवि के छात्रों की सर्वे रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य, 108 गांवों में किया गया था सामाजिक सर्वेक्षण, प्रशासन-प्रतिनिधियों की बोलती बंद Reviewed by Brijesh Shrivastava on 10:16 AM Rating: 5

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