नियुक्ति पत्र बांटकर फंसे अफसर, जल्दबाजी में नियुक्तियां करने से संशोधित रिजल्ट का ही विकल्प

नियुक्ति पत्र बांटकर फंसे अफसर, जल्दबाजी में नियुक्तियां करने से संशोधित रिजल्ट का ही विकल्प।



■ जांच में 100 से अधिक कॉपियों पर दर्ज व रिजल्ट के अंक बेमेल

■ जल्दबाजी में नियुक्तियां करने से संशोधित रिजल्ट का ही विकल्प

इलाहाबाद : 68500 की लिखित परीक्षा परिणाम की गुत्थी निरंतर उलझती जा रही है। जैसे-जैसे कोर्ट के आदेश पर स्कैन कॉपियां परीक्षा दफ्तर से बाहर आ रही हैं, उसी रफ्तार से बवाल व परीक्षा में नित-नए सवाल खड़े हो रहे हैं। यह नौबत इसलिए आई क्योंकि रिजल्ट आने के बाद तत्परता से सफल अधिकांश अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे जा चुके हैं, अन्यथा पहला परीक्षा परिणाम रद करके नए से दूसरा रिजल्ट देकर विवाद से बचा जा सकता था।

भर्ती  की पहली लिखित परीक्षा कराने वाले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर इन दिनों उत्तर पुस्तिकाओं को नए सिरे खंगाला जा रहा है। शासनादेश के प्रावधान के तहत कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन नहीं हो सकता है लेकिन, कॉपी पर दर्ज अंक, कॉपी में दिए गए अंकों का जोड़ और एवार्ड ब्लैंक पर लिखे गए नंबरों को जांच हो रही है। साथ ही शासन ने भी कुछ कॉपियों का ब्योरा मांगा था, उसे पहले ही भेज दिया गया है। सूत्रों की मानें तो छानबीन में रिजल्ट व कॉपी पर दर्ज अंकों में बेमेल प्रकरण 100 से 150 के लगभग बताए जा रहे हैं। शायद इसका अनुमान अफसरों को पहले से था इसीलिए संशोधित रिजल्ट देने की विज्ञप्ति 22 अगस्त को जारी की गई थी। इस पर अंतिम निर्णय शासन को ही करना है।


परीक्षा परिणाम में बार कोडिंग गड़बड़ होने का राजफाश पहले ही हो चुका है, ऐसे में रिजल्ट में सफल होकर नियुक्ति पत्र पाने वालों की भी कॉपियां गुपचुप तरीके से खंगाली गई हैं, कहीं उनमें से कोई अनुत्तीर्ण तो नहीं है। यदि उनमें अंकों की हेराफेरी मिलती है तो अभी समय है, अफसर मानते हैं कि नियुक्ति पाने वालों को वेतन आदि जारी नहीं हुआ है। अब सभी की निगाहें हाईकोर्ट में सोमवार को होने वाली सुनवाई और उच्च स्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकीं हैं।

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