पंचायती राज विभाग के फरमान के बाद परिपदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने तेज किया किरोध, पूछा - 'जब हाथ में फंड नहीं तो कायाकल्प का दबाव क्यों?

पंचायती राज विभाग के फरमान के बाद परिपदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने तेज किया किरोध, पूछा - 'जब हाथ में फंड नहीं तो कायाकल्प का दबाव क्यों?


लखनऊ: परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में भले स्कूल भवनों के 'ऑपरेशन कायाकल्प को एक मानक बनाया गया हो, लेकिन पंचायतीराज विभाग ने साफ कर दिया है कि पहले पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय ही वनेंगे। अगर पैसा वचेगा तो ही कोई दूसरा पंचायती राज विभाग काम होगा। अव शिक्षक परेशान हैं कि जिसका पैसा, उस विभाग के फरमान के बाद अगर अपनी नीति साफ कर दी है तो उन पर जवरन दवाव क्यों डाला जा रहा है। 


प्राथमिक विद्यालयों की सूरत बदलने के लिए ऑपरेशन कायाकल्प लॉन्च किया गया है। इसके तहत प्राथमिक विद्यालयों के हेडमास्टरों और शिक्षकों से कहा गया था कि वे व्यक्तिगत रुचि लेकर गांवों प्रधान और पंचायत सचिवों से विद्यालयों के सुंदरीकरण के लिए रकम आवंटित करवाएं। इस काम में पहले ही शिक्षकों ने आपत्ति दर्ज करवाई थी कि ग्राम पंचायतों के पास तमाम काम होते हैं और ज्यादातर वहां से विद्यालयों के लिए पैसा नहीं मिलता है। इसके वाद विभाग ने ऑपरेशन कायाकल्प को शिक्षकों की एसीआर के मानक में शामिल कर दिया। इसपर शिक्षकों ने कई वार एतराज जताया, लेकिन विभाग में यह व्यवस्था जस की तस है।


वहीं, हाल में पंचायती राज निदेशक ने साफ कर दिया है कि पंचायतों के लिए आने वाले पैसे से पहले पंचायत भवन और सामुदायिक शौचालय वनेंगे, इसके वाद ही दूसरे काम होंगे। पंचायती राज निदेशक किंजल सिंह ने आदेश जारी किए हैं कि ऐसी ग्राम पंचायत जिनमें पर्याप्त धनराशि है, उनमें सर्वोच्च मॉडल के सामुदायिक शौचालय और पंचायत भवनों का निर्माण होगा। वाकी ग्राम पंचायतों में उपलब्ध रकम के मुताविक मॉडल का चयन होगा। ऑपरेशन कायाकल्प इन काम के वाद ही करवाया जाएगा। निर्देश का पालन न होने पर प्रधान और सचिव के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


शिक्षकों पर जिम्मेदारी डालना गलत

प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष विनय सिंह ने कहा कि अब पंचायती राज विभाग ने तय कर दिया है कि उसका पैसा पहले कहां खर्च होगा। ऐसे में बेसिक शिक्षा विभाग को एसीआर के मानकों में संशोधन करना चाहिए। क्योंकि जिसका पैसा है, उसने तय कर लिया है कि उसे कहां खर्च करना है। ऐसे में अब शिक्षक क्या कर सकता है? अब तो उसके ऊपर यह दबाव से ज्यादा कुछ और नहीं है।

पंचायती राज विभाग के फरमान के बाद परिपदीय विद्यालयों के शिक्षकों ने तेज किया किरोध, पूछा - 'जब हाथ में फंड नहीं तो कायाकल्प का दबाव क्यों? Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 7:10 PM Rating: 5

1 comment:

Unknown said...

Kaya kalp ke liy kyon nhi basic education dept. Ko he dhanrashi uplabdh Karaya Ka rha dusare. Vibhag ko dene Ka kya auchit hai. A kewal dhan Ka Bandar bat Karne Ka tarika hai

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