प्राथमिक शिक्षकों की बतौर बीएलओ तैनाती पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्राथमिक शिक्षकों की बतौर बीएलओ तैनाती पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब


हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्रदेश के प्राथमिक (प्राइमरी) शिक्षकों को बूथ लेवल अफसर (बीएलओ) के रूप में प्रस्तावित तैनाती को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।


कोर्ट ने मामले में पक्षकारों- राज्य सरकार समेत रायबरेली के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को एक माह में जवाबी हलफ़नामा दाख़िल करने का निर्देश दिया है। इसके दो हफ्ते बाद याचियों की ओर से प्रति उतर दाखिल किया जा सकेगा।


न्यायमूर्ति पंकज मितल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने यह आदेश राष्ट्रीय शिक्षक महासंघ व एक अन्य की याचिका पर दिया। इसमें याचियों ने 22 सितंबर 2020 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसके तहत प्राथमिक शिक्षकों की बीएलओ के रूप में ड्यूटी पर तैनाती की जानी है।  याचियों का कहना था कि अभी कोई चुनाव घोषित नहीं हुआ है और बीएलओ की ड्यूटी किसी चुनाव से संबंधित नहीं है, जिसे बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत छूट मिली है। यचियों की दलील थी कि इस अधिनियम की धारा 27 में प्रावधानित कार्य के अलावा और कोई काम शिक्षकों से नहीं लिया जा सकता। ऐसे में यह आदेश कानून की मंशा के खिलाफ है। 


उधर, राज्य सरकार की तरफ से सरकारी वकील और रायबरेली के बीएसए की तरफ से वकील पेश हुए। कोर्ट ने इन दोनों पक्षकारों के वकीलों को निर्देश दिया कि मामले में एक माह में जवाबी हलफ़नामा दाखिल करें। इसके बाद दो हफ्ते का वक्त याचियों को प्रति उतर दाख़िल करने को दिया है। अदालत ने इसके बाद याचिका को अगली सुनवाई की लिए सूचीबद्ध करने को कहा है।


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