पढ़ना-लिखना अभियान हेतु 30 सितम्बर तक समयावृद्धि के फलस्वरूप चिन्हित किये गये निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर करने के संबंध में

पढ़ना-लिखना अभियान हेतु 30 सितम्बर तक समयावृद्धि के फलस्वरूप चिन्हित किये गये निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर करने के संबंध में।

पढ़ना लिखना अभियान में भी मिलेगी प्रोन्नति, 4.2 लाख लोगों को साक्षर करने का था लक्ष्य 

बिना सामूहिक परीक्षा साक्षर की श्रेणी में मिलेगी प्रोन्नति, न्यूनतम मानक तय


पंद्रह साल से अधिक आयु वर्ग के निरक्षरों को अब सामूहिक परीक्षा के बिना साक्षर की श्रेणी में प्रोन्नत किया जा सकेगा। कोरोना महामारी का असर पढ़ना लिखना अभियान पर देखा गया। लिहाजा अब प्रदेश में निरक्षरों को साक्षर। बनाने के लिए चल रहे अभियान में सामूहिक परीक्षा नहीं कराई जाएगी । उनकी प्रोन्नति के लिए न्यूनतम स्तर के मानक तय कर दिए गए हैं। इसी आधार पर इनका मूल्यांकन कर उन्हें साक्षर घोषित किया जा सकेगा।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा स्तर से डायट प्राचार्य व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार ने पढ़ना-लिखना अभियान योजना के तहत समय सीमा को बढ़ाकर तीस सितंबर 2021 कर दिया है। लिहाजा चिह्नित किए गए निरक्षर महिला / पुरुष को साक्षर की श्रेणी में निर्धारित न्यूनतम मानक के आधार पर मूल्यांकन कर रिपोर्ट 30 सितम्बर तक सरकार को भेज देनी है। केन्द्र सरकार ने 2018 में साक्षर भारत अभियान को बंद कर दिया था। बीते वर्ष पढ़ना लिखना अभियान शुरू किया। पहली वरीयता पर परिषदीय स्कूल में मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों को साक्षर किया जाना था।

न्यूनतम मानक तय किए
केन्द्र सरकार ने अभियान के मूल्यांकन के लिए न्यूनतम मानक तय कर दिए हैं। चिह्नित निरक्षर को अपना नाम स्थानीय बोली में लिखना, अस्पताल, स्कूल या पंचायत का बोर्ड पढ़ना आना चाहिए। नाम, माता पिता, परिवार के लोगों का नाम, जगह का नाम के साथ चार-पांच छोटे वाक्य लिखवाए जाएंगे।


कोविड महामारी का असर पढ़ना लिखना अभियान पर भी पड़ा है। प्रदेश में निरक्षर व्यस्कों के लिए चल रहे पढ़ना-लिखना अभियान में भी अब सामूहिक परीक्षा नहीं होगी । प्रोन्नति के लिए न्यूनतम स्तर के मानक तय किए गए हैं, उस पर इनका मूल्यांकन कर इन्हें साक्षर घोषित किया जाएगा।

प्रदेश में 4.20 लाख व्यस्कों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया था । 30 सितम्बर तक मूल्यांकन कर रिपोर्ट सरकार को भेज देनी है।

बीते वर्ष पढ़ना-लिखना अभियान शुरू किया गया था। इसमें 75 फीसदी महिलाएं थीं। इस अभियान के लिए प्रदेश सरकार ने 10 करोड़ रुपये मंजूर किए थे और इन्हें शिक्षकों, शिक्षामित्रों व डायट प्रशिक्षुओं के माध्यम से साक्षर किया जाना था। जिलावार लक्ष्य तय कर दिए गए थे।


 केन्द्र सरकार ने अभियान के मूल्यांकन के लिए न्यूनतम मानक तय कर दिए हैं । निरक्षर व्यस्क को अपना नाम स्थानीय बोली में लगे अस्पताल, स्कूल या पंचायत का बोर्ड पढ़ना आना चाहिए। अपना नाम, अपने मां-पिता, परिवार के लोगों का नाम, जगह का नाम के साथ 4-5 छोटे वाक्य लिखवाया जाएगा। इसके अलावा अंकों की पहचान व दो अंकों के जोड़ व घटाना भी आना चाहिए इन मानकों पर मूल्यांकन के बाद निरक्षर व्यस्कों को साक्षर घोषित किया जाएगा।


साक्षर भारत अभियान 2018 में बंद हुआ

केन्द्र सरकार ने 2018 में साक्षर भारत अभियान को बंद कर दिया था और बीते वर्ष पढ़ना लिखना अभियान | शुरू किया। पहली वरीयता पर | स्कूल के मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों को साक्षर किया जाना था। 2011 की जनगणना के आधार पर यूपी में 4,82,72,087 वयस्क निरक्षर है।














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पढ़ना-लिखना अभियान हेतु 30 सितम्बर तक समयावृद्धि के फलस्वरूप चिन्हित किये गये निरक्षर व्यक्तियों को साक्षर करने के संबंध में Reviewed by sankalp gupta on 10:06 PM Rating: 5

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