53 जिलों में MIS कोआर्डिनेटर की भर्ती नहीं, 16 जिलों में खानापूरी

53 जिलों में MIS कोआर्डिनेटर की भर्ती नहीं, 16 जिलों में खानापूरी

प्रत्येक विकासखंड में एक MIS कोआर्डिनेटर संविदा पर रखने का था निर्देश

सिर्फ छह जिलों के बेसिक शिक्षा अफसरों ने रुचि लेकर कराया तेजी से चयन

प्रदेश के हर विकासखंड में एक MIS कोआर्डिनेटर संविदा पर रखने की योजना पर अधिकारियों ने फेरा पानी



लखनऊ : तेजी से डिजिटल हो रहे बेसिक शिक्षा विभाग में प्रेरणा पोर्टल पर कामकाज बढ़ने की वजह से समग्र शिक्षा अभियान के तहत एमआइएस कोआर्डिनेटर का नया पद सृजित किया गया। बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने इस पद पर भर्ती करने में रुचि नहीं दिखाई, इसीलिए आदेश के तीन माह बाद भी 53 जिलों में एक भी एमआइएस कोआर्डिनेटर की भर्ती नहीं की जा सकी जबकि 16 जिलों में आंशिक भर्ती की जा सकी है, केवल छह जिले ही इस कार्य में तत्पर रहे हैं।


बेसिक शिक्षा विभाग में लंबित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की दो जून को प्रमुख सचिव दीपक कुमार की अगुवाई में समीक्षा बैठक हुई। इसमें सामने आया है कि प्रदेश के हर विकासखंड में एक एमआइएस कोआर्डिनेटर संविदा पर रखने की योजना पर अधिकारियों ने पानी फेर दिया है। 


ज्ञात हो कि 16 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय पर एक वर्ष की संविदा पर समन्वयक सेवा प्रदाता कंपनी के माध्यम से रखा जाना था। सूबे में 880 बीआरसी हैं। इसके लिए अभ्यर्थी को बीटेक या ओ स्तर का कंप्यूटर डिप्लोमा होना चाहिए था। चयन की प्रक्रिया 28 फरवरी तक पूरा करने के निर्देश थे, लेकिन अब तक टालमटोल हो रही है। अब अभियान के तहत समन्वयकों का चयन पूरा कराने के निर्देश दिए गए हैं, साथ ही प्रगति शून्य वाले जिलों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।


जिलों में 595 आधार किट नहीं हो सके संचालितः परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही अभिभावकों का आधार सत्यापन व नया आधार बनाने के निर्देश हैं। ऐसे में जिलों को 1644 आधार किट मुहैया कराई गई। इनमें से 1049 ही अब तक संचालित हो सकी हैं, 595 किट रखी हुई हैं। इससे आधार प्रमाणीकरण व नए आधार बनाने में परेशानी हो रही है। गौतमबुद्ध नगर में केवल 12.50, गोंडा में 21.88, अमरोहा व कानपुर देहात में 25-25 और बलरामपुर जिले में 27.78 प्रतिशत आधार किट का उपयोग किया जा रहा है।


353 मामलों में प्रतिशपथपत्र भी दाखिल नहीं: न्यायालय प्रकरणों की समीक्षा में सामने आया कि मई 2012 2022 तक 17001 मुकदमे लखनऊ व इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल हुए हैं। 353 मामलों में प्रतिशपथपत्र दाखिल नहीं हो सका है। 31 जिलों की ओर से महाधिवक्ता की वेबसाइट पर लंबित वाद के सापेक्ष शपथपत्र नहीं दिया गया है।
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