मेडिकल बोर्ड की जांच में अनुपस्थित दिव्यांग अभ्यर्थियों / परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों के विरूद्ध कार्यवाही के संबंध में।

मा० सर्वोच्च न्यायालय में योजित सिविल अपील संख्या - ( एस ) 758 / 2016 Arising out of Special Leave Petition (C) No. 8880/2011 उ0प्र0 राज्य व अन्य बनाम रवीन्द्र कुमार शर्मा व अन्य तथा विशेष अनुज्ञा याचिका संख्या-8880/2011 उ0प्र0 राज्य व अन्य बनाम रवीन्द्र कुमार शर्मा व अन्य में पारित मा० सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 03.02.2016 के अनुपालन में वर्ष 2016 से वर्ष 2022 के मध्य हुई मेडिकल बोर्ड की जांच में अनुपस्थित दिव्यांग अभ्यर्थियों / परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों के विरूद्ध कार्यवाही के संबंध में।

मेडिकल बोर्ड के सामने पेश न होने वाले शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

मेडिकल बोर्ड से परीक्षण न करवाने वाले इन दिव्यांग शिक्षकों पर बेसिक शिक्षा विभाग कसने जा रहा शिकंजा 


मेडिकल बोर्ड से परीक्षण न करवाने वाले 220 दिव्यांग शिक्षकों पर बेसिक शिक्षा विभाग शिकंजा कसने जा रहा है। ये दिव्यांग शिक्षक सरकार द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड के सामने कभी उपस्थित नहीं हुए हैं। ऐसे शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगते हुए पूरी रिपोर्ट अब शासन को सौंपी जाएगी जिस पर निर्णय लिया जाएगा।

अब इन शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होने का मौका नहीं दिया जाएगा। इन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए 20 दिन का समय दिया जाएगा, इसके बाद रिपोर्ट शासन को सौंप दी जाएगी। इन विकलांग शिक्षकों को 2016 से 2021 के बीच कई बार कैम्प का आयोजन कर मौका दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुपालन में 2016 में सरकार ने सूची जारी कर 1005 विकलांग अध्यापकों को मेडिकल बोर्ड के सामने जांच कराकर अपने प्रमाणपत्रों के सत्यापन के निर्देश दिए थे। 2010 और 2016 से 2021 के बीच कई मेडिकल कैम्प का आयेाजन कर सभी जिलों में प्रचार-प्रसार भी किया गया लेकिन सीएमओ कार्यालय की रिपेार्ट के मुताबिक 232 अभ्यर्थी आज तक बोर्ड के सामने पेश नहीं हुए लेकिन गोरखपुर मंडलीय कार्यालय ने रिपोर्ट सौंपी है कि 12 शिक्षकों ने अपना मेडिकल करा लिया है।

सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दायर कर याचिककर्ता ने आरोप लगाया था कि विकलांगता के फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे कई शिक्षक स्कूलों में नौकरी कर रहे हैं और इनकी बीएसए कार्यालयों से सांठगांठ के चलते इनका सत्यापन नहीं किया जाता।


लखनऊ। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, 2008 ( विशेष चयन) व 2008 भर्ती प्रक्रिया के 189 दिव्यांग शिक्षकों ने मेडिकल बोर्ड से अब प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया है। इन पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी हासिल करने का आरोप है। ये शिक्षक 2016 से 2022 के बीच कभी मेडिकल बोर्ड के सामने जांच के लिए पेश नहीं हुए। इन शिक्षकों को अंतिम बार कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद कार्रवाई होगी।

राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के निदेशक डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने कहा कि जून 2022 में जांच का अंतिम अवसर देते हुए चेतावनी दी गई थी। इस चेतावनी के बाद कुल 220 दिव्यांग शिक्षकों/अभ्यर्थियों में से सिर्फ 31 ने ही मेडिकल बोर्ड से स्वास्थ्य परीक्षण कराया है।


ये है मामला

विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2007, 2008 (विशेष चयन) व 2008 भर्ती प्रक्रिया में बड़ी संख्या में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्रों के सहारे अभ्यर्थियों के चयनित होने के आरोप लगे थे। इसको लेकर यह मामला अदालत तक गया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड से दिव्यांग अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की जांच कराने के आदेश दिए थे। इसी क्रम में 2016 से जांच शुरू हुई और सभी दिव्यांग प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थी बुलाए गए, लेकिन उनमें 189 शिक्षक / अभ्यर्थी अब तक बोर्ड के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। इन्हीं पर अब अंतिम कार्रवाई की तैयारी है।


 43 जिलों में तैनात हैं

ये शिक्षक आगरा, हाथरस, मथुरा, एटा, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, कानपुर देहात, कन्नौज, फर्रुखाबाद, औरैया, मुजफ्फरनगर, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, जालौन, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, भदोही, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, सुल्तानपुर, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, चित्रकूट, बांदा व हमीरपुर। 


मेडिकल बोर्ड की जांच में अनुपस्थित दिव्यांग अभ्यर्थियों / परिषदीय विद्यालयों के अध्यापकों के विरूद्ध कार्यवाही के संबंध में। Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 11:44 PM Rating: 5

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