अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में फैसला सुरक्षित

अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में फैसला सुरक्षित


प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में राज्य सरकार की विशेष अपील पर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने पिछले दो दिन से चल रही सुनवाई पूरी होने पर दिया है।


एकल पीठ ने अनुदेशकों को 17000 रुपये प्रतिमाह मानदेय देने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने अपील दाखिल कर एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी है।


 राज्य सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता अजय मिश्र का कहना था कि अनुदेशकों की नियुक्ति वर्ष 2017-18 के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत संविदा के आधार पर की गई थी। अनुदेशक संविदा कर्मचारी हैं और उन्होंने सेवा शर्तें पर स्वेच्छा से हस्ताक्षर किए थे इसलिए वे अब इसे चुनौती नहीं दे सकते।


 महाधिवक्ता का कहना था कि सर्व शिक्षा अभियान योजना केंद्र सरकार ने लागू की थी। केंद्र सरकार ने यह योजना अब बंद कर दी है और इसकी जगह समग्र शिक्षा योजना लागू की है। जहां तक अनुदेशकों को बढ़ा हुआ मानदेय 17000 रुपये देने की बात है तो इसकी संस्तुति प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड ने की थी, जो मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत काम करता है।



प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत 27000 से ज्यादा अनुदेशकों को 17 हजार रुपये मानदेय देने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की विशेष अपील पर बहस पूरी होने के बाद निर्णय सुरक्षित कर लिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ कर रही थी।


राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जुलाई 2017 में याचियों ने 8470 रुपये मानदेय की संविदा की थी। इसलिए याचीगण 17 हजार प्रतिमाह मानदेय पाने के हकदार नहीं हैं। 17 हजार मानदेय केवल एक वर्ष के लिए जारी हुआ था । 


अनुदेशकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचएन सिंह और अधिवक्ता दुर्गा तिवारी ने कोर्ट में पक्ष रखा। बताया कि एकलपीठ ने याचियों को 17 हजार मानदेय देने का आदेश दिया है। लेकिन, सरकार ने 17000 मानदेय देने के आदेश का पालन नहीं किया। जवाब में सरकार का कहना था कि केंद्र की ओर से पूरी राशि नहीं दी गई है। जबकि, केंद्र ने बताया कि पूरी राशि दी है। 2017 में केंद्र ने मानदेय बढ़ाकर 17000 कर दिया था, जिसको प्रदेश सरकार ने लागू नहीं किया है।
अनुदेशकों को बढ़ा मानदेय देने के मामले में फैसला सुरक्षित Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 5:25 AM Rating: 5

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