सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरा 'असर-2022' के सर्वे में खुलासा

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरा 


प्रदेश में सरकारी व निजी स्कूलों में कक्षा पांच में दाखिला लेने वाले बच्चों में जो कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, उनका कुल प्रतिशत 2018 के मुकाबले 2022 में गिरा है, लेकिन सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा सुधरा है। यानी सरकारी स्कूलों में वर्ष 2018 में जो प्रतिशत 36.2 था वह वर्ष 2022 में बढ़कर 38.3 प्रतिशत हो गया है। वहीं कक्षा आठ में सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा 2022 में थोड़ा बढ़कर 62 से 62.6 प्रतिशत हो गया है।


बदल रहे गांव, अंग्रेजी में दक्ष हो रहे बच्चे, पांचवीं कक्षा में सरल अंग्रेजी वाक्य पढ़ने वाले बच्चों का प्रतिशत बढ़ा, 'असर-2022' के सर्वे में खुलासा


लखनऊ। प्रदेश में अंग्रेजी की पढ़ाई का स्तर अब ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में भी सुधर रहा है। पांचवीं कक्षा में बच्चों के सरल अंग्रेजी वाक्य पढ़ने में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 2016 में ऐसे बच्चों की संख्या 18.4 फीसदी थी जो कि 2022 में बढ़कर 24.1 फीसदी हो गई है। यही नहीं कक्षा पांच के जो बच्चे सरल अंग्रेजी वाक्य पढ़ सकते हैं उनमें से 50.5 प्रतिशत बच्चे उसका अर्थ भी जानते हैं। बच्चों के अंग्रेजी पढ़ने और समझने की क्षमता का यह खुलासा असर ( एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) 2022 के सर्वे में हुआ है।


रिपोर्ट के अनुसार अंग्रेजी के वाक्य पढ़ लेने वाले पांचवीं ही नहीं आठवीं के विद्यार्थियों की भी संख्या बढ़ी है। अंग्रेजी वाक्यों के अर्थ समझने वाले छात्रों का प्रतिशत भी पांचवीं के मुकाबले दस फीसदी ज्यादा है। प्राथमिक स्कूलों के बच्चों की बुनियादी क्षमताओं पर केंद्रित असर- 022 का सर्वे 70 जिलों के 2096 गांवों में हुआ। सर्वे में 41910 घरों व 3 से 16 आयु वर्ग के 91158 बच्चों को शामिल किया गया।



गांवों में लड़कों से पढ़ने में आगे हैं लड़कियां, 6 से लेकर 16 वर्ष की आयु की लड़कियों के सर्वे में हुआ खुलासा


लखनऊ :  प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई को लेकर लड़कों से अधिक लड़कियां जागरूक हैं। स्कूल जाने के मामले में लड़कों को लड़कियां मात दे रही हैं। छह से लेकर 16 वर्ष की आयु की लड़कियों के सर्वे में इस हकीकत का खुलासा हुआ है।

असर संस्थान देशभर में स्कूली शिक्षा के स्तर को लेकर सर्वे कराती है। इसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे किया जाता है और यह देखा जाता है कि पढ़ाई का क्या स्तर है। विश्लेषण सर्वे के दौरान घरों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया जाता है।

असर ने सर्वे में पाया कि लड़कों से लड़कियां अधिक स्कूल जा रही हैं। सरकारी स्कूलों में छह से 10 वर्ष की आयु में स्कूल जाने वाले बच्चे 64 फीसदी हैं। इनमें से 60 फीसदी लड़के और 67 फीसदी लड़कियां हैं। इसी तरह 11 से 14 वर्ष की आयु में स्कूल जाने वाले बच्चों की कुल संख्या 53 फीसदी है। इनमें लड़के 51 और लड़कियां 55 फीसदी हैं। जूनियर कक्षाओं यानी 15 से 16 साल की आयु वालों में बच्चों के प्रतिशत में कोई खास अंतर नहीं है।

यह बात अलग है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उम्र बढ़ने पर लड़कियां स्कूल छोड़ रही हैं। सर्वे में पता चला है कि 15 से 16 वर्ष की आयु में जहां मात्र 9.4 प्रतिशत लड़के स्कूल नहीं जाते हैं तो लड़कियों का यह प्रतिशत 15 है। मदरसों और अन्य प्रकार के स्कूलों में इस छह से 16 साल तक की उम्र में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या नाम मात्र ही है। यह प्रतिशत एक से लेकर अधिकतम डेढ़ प्रतिशत तक ही है।


यूपी में दाखिले बढ़ने से 97% बच्चे जाने लगे स्कूल, स्कूलों में नामांकन की स्थिति ऐनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) वर्ष 2022 से हुआ खुलासा 


लखनऊ : यूपी में बुनियादी शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से सुधार हुआ है। निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में दाखिले बढ़े हैं। यूपी में पिछले 15 सालों में जहां 95 फीसदी ही बच्चे स्कूल जाते थे, वहीं वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 97 फीसदी तक पहुंच गया।


स्कूलों में नामांकन की स्थिति ऐनुअल स्टेट ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (असर) वर्ष 2022 में यह जानकारी दी गई है। असर ने यूपी के 70 जिलों के 2096 गांवों के 41910 घरों का सर्वे किया। इसमें 3 से 16 वर्ष की आयु के 91158 बच्चों को शामिल किया गया। यूपी में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का नामांकन 2018 में 95.2 फीसदी से बढ़कर 2022 में 97.1 फीसदी दर्ज किया गया है। यह पिछले 15 सालों की तुलना में सबसे अधिक रहा।


सरकारी स्कूलों में वर्ष 2006 से 2014 तक 6 से 14 वर्ष के बच्चों के नाम लिखाने के अनुपात में लगातार गिरावट देखी गई। वर्ष 2014 में यह 64.9 फीसदी था। अगले चार सालों में इसमें अधिक बदलाव नहीं हुआ, लेकिन 2022 में दाखिले में बढ़ोतरी हुई और यह 72.9 हो गया। यूपी में निजी की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में दाखिले का प्रतिशत बढ़ा है।


लड़कियों के दाखिले बढ़े प्रदेश में वर्ष 2006 में 11 से 14 वर्ष की 11.1 प्रतिशत लड़कियां स्कूल नहीं जा रही थीं। वर्ष 2018 में घटकर 7.4 और 2022 में 4.1 रह गया, जबकि अन्य राज्यों में यह प्रतिशत और भी कम है। इसके इतर 15 से 16 साल में 15 नहीं जा रही हैं।


यूपी में पाठ पढ़ने का औसत भी बढ़ा

सरकारी व निजी स्कूलों के कक्षा तीन के बच्चे जो वर्ष 2018 में पाठ पढ़ने का औसत 27.3 था जो 2022 में गिरकर 20.5 हो गया, लेकिन यूपी में वर्ष 2018 में यह 28.3 था जो 2022 में 24 हो गया। सरकारी स्कूलों में यह आंकड़ा बढ़कर 16.4 फीसदी हो गया।


🔴 ट्यूशन वाले सर पर बढ़ा भरोसा, घरों या कोचिंग में ट्यूशन पढ़ना अधिक पसंद

देशभर में निजी और सरकारी स्कूलों में अब शिक्षकों की बजाय ट्यूशन वाले सर पर ज्यादा भरोसा बढ़ रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर पहली कक्षा से आठवीं कक्षा तक वर्ष 2018 में 26.4 फीसदी बच्चे ट्यूशन से पढ़ाई करते थे, जोकि में 2022 में बढ़कर 30.5 फीसदी तक पहुंच गया है।

ट्यूशन लेने के चलन में तेजी से इजाफा हुआ। स्कूलों के अलावा बच्चे घरों या कोचिंग में ट्यूशन पढ़ना पसंद कर रहे हैं। ग्रामीण भारत में कक्षा एक से आठ तक बच्चों में ट्यूशन लेने की वृद्धि देखी गई है। सरकारी और निजी स्कूलों में वर्ष 2018 से 2022 के बीच यह अनुपात दोनों में बढ़ा है।


🔴 गणित में यूपी के आठवीं कक्षा के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन सुधरा

राष्ट्रीय स्तर पर बच्चों के गणित स्तर में अधिकांश कक्षाओं के लिए 2018 के स्तर की तुलना में गिरावट आई है। लेकिन पढ़ने की तुलना में यह गिरावट कम तीव्र और ज्यादा विविध है। हालांकि आठवीं कक्षा के बच्चों में सुधार दर्ज हुआ है। 


2018 में 44.1 फीसदी तो 2022 में 44.7 फीसदी बच्चे भाग का सवाल हल कर पा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों के प्रदर्शन में शानदार करीब 11 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। वहीं, तीसरी कक्षा के 2018 में 28.2 फीसदी तो 2022 में 25.9 फीसदी बच्चे कम से कम घटाव कर सकते हैं। 


जम्मू- कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में यहां सुधार देखने को मिला है, लेकिन तमिलनाडु, हरियाणा, मिजोरम में 10 फीसदी की गिरावट है। पांचवीं कक्षा के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, मिजोरम के हालात खराब हैं। 
सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधरा 'असर-2022' के सर्वे में खुलासा Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 6:11 AM Rating: 5

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