68500 भर्ती में याची जनरल कैंडिडेट्स को मिलेगा मेरिट के अनुसार मनचाहा जनपद चुनने का मौका, अन्य कार्यरत / पोस्टेड शिक्षक पूर्ववत रहेंगे कार्यरत, कोर्ट आर्डर देखें
68500 भर्ती में याची जनरल कैंडिडेट्स को मिलेगा मेरिट के अनुसार मनचाहा जनपद चुनने का मौका, अन्य कार्यरत / पोस्टेड शिक्षक पूर्ववत रहेंगे कार्यरत, कोर्ट आर्डर देखें।
68500 : सहायक शिक्षक भर्ती का रास्ता साफ, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो माह में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का दिया निर्देश
68,500 : हाई कोर्ट ने आरक्षित श्रेणी के मेधावियों को प्राथमिकता का जिला आवंटित करने का दिया निर्देश
68500 शिक्षक भर्ती : मेधावी अभ्यर्थियों को पसंद का जिला देने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती के मामले में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि आरक्षित श्रेणी के ऐसे मेधावी अभ्यर्थी जो मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित किए गए हैं (एमआरसी-मेधावी आरक्षित वर्ग) को उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाए। कोर्ट ने एकल न्यायपीठ द्वारा एमआरसी अभ्यर्थियों के संबंध में दिए गए निर्णय में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया और कहा है कि एमआरसी अभ्यर्थियों से 2 माह के भीतर आवेदन लेकर उनकी उनकी पसंद का जिला आवंटित किया जाए। इसी प्रकार से कोर्ट ने सामान्य वर्ग के ऊंची मेरिट के अभ्यर्थियों को भी उनकी पसंद के तीन प्राथमिकता वाले जिलों में से किसी एक जिले में यदि पद रिक्त है, तो नियुक्ति देने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने यह निर्णय याचिकाकर्ताओं के बीच आपसी सहमति बनने के आधार पर सुनाया है तथा कहा है कि इस फैसले को नजीर नहीं माना जाएगा। अमित शेखर भारद्वाज सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की दर्जनों विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए या आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने दिया। याचिकाओं पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा, अशोक खरे, अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी व सीमांत सिंह सहित कई अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। अपील में एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। अपील में मुख्य तौर पर दो आधार लिए गए।
पहला कि बोर्ड ने रिक्तियों की संख्या 68500 से घटाकर 41556 कर दी और दूसरा यह कि चयनित अभ्यर्थियों की दो चरणों में काउंसलिंग कराई गई। पहले चरण में 35420 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग कराई गई तथा दूसरे चरण में 6136 की काउंसलिंग कराई गई। कहा गया कि दूसरी काउंसलिंग के मेरिट में नीचे रहने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए। जबकि प्रथम काउंसलिंग में शामिल अधिक मेरिट वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता का जिला नहीं दिया गया, जोकि भेदभाव पूर्ण है ।
एक ही चयन प्रक्रिया में दो मानक
अपीलकर्ताओं के अधिवक्ताओं का कहना था कि जब चयन प्रक्रिया एक ही है तो बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता है तथा चयन प्रक्रिया को दो भागों में बांटा नहीं जा सकता। बोर्ड ने मनमाने तरीके से शासनादेश के विपरीत जिलावार रिक्तियों की संख्या घटा दी तथा एस्पिरेशन वाले जिलों फतेहपुर ,चंदौली, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट धाम, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती में रिक्तियों की संख्या को बढ़ा दिया गया। मगर इन जिलों में पद खाली रह गए, क्योंकि द्वितीय काउंसलिंग में शामिल अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए।
एमआरसी को आरक्षित श्रेणी में जिला आवंटन का आदेश
एकल न्याय पीठ ने ऐसे ओबीसी अभ्यर्थियों जो मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित किए गए थे, को आरक्षित श्रेणी का मानकर प्राथमिकता वाले जिले आवंटित करने का निर्देश दिया। इसके विरोध में अपील करने वाले सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि यह भेदभाव पूर्ण है, क्योंकि यदि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में चयनित कर लिया गया है और उनको प्राथमिकता वाला जिला आवंटित किया जा रहा है तो सामान्य वर्ग में उनसे मेरिट में ऊपर अभ्यर्थियों को भी प्राथमिकता वाला जिला पाने का हक है ।
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में सामान्य वर्ग में चयनित आरक्षित श्रेणी के मेधावी अभ्यर्थियों (एमआरसी) के मामले में एकल पीठ के निर्णय पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद से कहा है कि मेरिट में ऊपर होने के कारण एमआरसी अभ्यíथयों को दो माह में उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाए।
कोर्ट ने सामान्य वर्ग में ऊंची मेरिट के अभ्यíथयों को भी उनकी पसंद के तीन प्राथमिकता वाले जिलों में किसी एक में पद रिक्त होने पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूíत एमएन भंडारी एवं न्यायमूíत रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया। हालांकि, खंडपीठ ने यह भी कहा है कि निर्णय को नजीर नहीं माना जाएगा।
एकल पीठ ने मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित ओबीसी अभ्यíथयों को आरक्षित श्रेणी का मानकर प्राथमिकता वाले जिले आवंटित करने का निर्देश दिया था। इसके विरुद्ध अपील करने वाले सामान्य वर्ग के अभ्यíथयों का कहना था कि यह भेदभावपूर्ण है।
68500 Shikshak Bharti इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में एमआरसी अभ्यर्थियों के मामले में एकल पीठ के निर्णय पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभ्यर्थियों को दो माह में उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाए।
हाईकोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती में एमआरसी अभ्यर्थियों के मामले में निर्णय पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती में एमआरसी अभ्यर्थियों के मामले में एकल पीठ के निर्णय पर हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। बेसिक शिक्षा परिषद से कहा है कि मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित आरक्षित श्रेणी के मेधावी अभ्यर्थियों (एमआरसी) को दो माह में उनकी प्राथमिकता का जिला आवंटित किया जाए। कोर्ट ने सामान्य वर्ग में ऊंची मेरिट के अभ्यर्थियों को भी उनकी पसंद के तीन प्राथमिकता वाले जिलों में किसी एक में पद रिक्त होने पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है।
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी एवं न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की खंडपीठ ने अमित शेखर भारद्वाज सहित सैकड़ों अभ्यर्थियों की विशेष अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिया है। हालांकि, खंडपीठ ने यह भी कहा है कि निर्णय को नजीर नहीं माना जाएगा।
अपीलों पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा व अशोक खरे सहित कई वकीलों ने बहस की। इसमें एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया था कि बोर्ड ने रिक्तियों की संख्या 68,500 से घटाकर 41,556 कर दी और चयनित अभ्यर्थियों की दो चरणों में काउंसलिंग कराई गई। पहले चरण में 35,420 अभ्यर्थियों की काउंसलिंग हुई, जबकि दूसरे चरण में 6,136 की। दूसरी काउंसिलिंग की मेरिट में नीचे रहने वाले अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए, जबकि पहली काउंसलिंग में शामिल अधिक मेरिट वाले अभ्यॢथयों को उनकी प्राथमिकता वाला जिला नहीं दिया गया, जो भेदभावपूर्ण है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि चयन प्रक्रिया एक ही होने पर बोर्ड विज्ञापित पदों को घटा नहीं सकता। प्रक्रिया को दो हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता। बोर्ड ने मनमाने तरीके से शासनादेश के विपरीत जिलावार रिक्तियों की संख्या घटा दी और एस्पिरेशन वाले जिलों फतेहपुर, चंदौली, सोनभद्र, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट धाम, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती में रिक्तियों की संख्या बढ़ा दी, लेकिन पद खाली रह गए। दूसरी काउंसलिंग में शामिल अभ्यर्थियों को उनकी प्राथमिकता वाले जिले आवंटित कर दिए गए गए।
एकल पीठ ने मेरिट में ऊपर होने के कारण सामान्य वर्ग में चयनित ओबीसी अभ्यर्थियों को आरक्षित श्रेणी का मानकर प्राथमिकता वाले जिले आवंटित करने का निर्देश दिया था। इसके विरुद्ध अपील करने वाले सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का कहना था कि यह भेदभावपूर्ण है। यदि आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में चयनित कर लिया गया है और उन्हें प्राथमिकता वाला जिला आवंटित किया जा रहा है तो सामान्य वर्ग में उनसे मेरिट में ऊपर अभ्यर्थियों को भी प्राथमिकता वाला जिला पाने का अधिकार है।
68500 भर्ती में याची जनरल कैंडिडेट्स को मिलेगा मेरिट के अनुसार मनचाहा जनपद चुनने का मौका, अन्य कार्यरत / पोस्टेड शिक्षक पूर्ववत रहेंगे कार्यरत, कोर्ट आर्डर देखें
Reviewed by sankalp gupta
on
8:05 PM
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