दैनिक अनुश्रवण प्रणाली मिड डे मील : Interactive Voice Response System (IVRS) to manage and monitor MDM
मिड-डे मील वितरण में पारदर्शिता लाने के लिए मिड-डे मील प्राधिकरण ने यूपी डेवलेपमेंट सिस्टम कार्पोरेशन के सहयोग से दैनिक अनुश्रवण प्रणाली (इंट्रेक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम) विकसित की है। इस नई प्रणाली से शिक्षकों को फोन कॉल के जरिए मिड-डे मील का पूरा हिसाब देना होगा।
बेसिक शिक्षा विभाग मिडडे मील में अनियमितताएं रोकने के लिए नित नए प्रयोग कर रहा है। दोपहर के भोजन में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने और मीनू को नजरंदाज करने जैसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए अब दैनिक अनुश्रवण प्रणाली (इन्टरेक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम) लागू होने जा रही है। इसके लिए नए साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाएगा। मध्यांह भोजन प्राधिकरण ने योजना को शत प्रतिशत सफल बनाने के लिए नई प्रणाली इन्टरेक्टिव वाइस रिस्पांस सिस्टम विकसित की है। इसमें भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों की संख्या व भोजन का प्रकार आदि नियमित रूप से अंकित किया जाएगा। इसके लिए प्रथम चरण में जिन प्रधानाध्यापकों के पास मोबाइल फोन हैं उनके नंबर एकत्रित किए जा रहे हैं।
मिड-डे-मील योजना को पारदर्शी बनाने व छुट्टियों में इसके वितरण के संबंध में मंगलवार को बीआरसी कार्यालयों पर शिक्षकों को एक जून से लागू हो रही दैनिक अनुश्रवण प्रणाली का प्रशिक्षण दिया गया।
सरकार ने मिड-डे-मील योजना को पारदर्शी व प्रभावशाली बनाने के लिए दैनिक अनुश्रवण प्रणाली की शुरुआत की है। इसके अनुसार अब परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों को मिड-डे-मील वितरण का पूरा ब्योरा मिड-डे-मील निदेशक को देना होगा। इसके लिए विद्यालय के मिड-डे-मील प्रभारी के मोबाइल पर प्रतिदिन एक स्वचालित फोन कॉल आएगी। इसमें मोबाइल के बटनों को दबाकर सारी जानकारी देनी होगी। इस संबंध में मंगलवार को प्रधानाचायरें व सहायक अध्यापकों को बीआरसी कार्यालयों पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण लखनऊ से आए अधिकारियों ने दिया। इस दौरान जिलाधिकारी आर रमेश कुमार ने प्रशिक्षण की समीक्षा की। उन्होंने शिक्षकों को दिशा निर्देश देते हुए कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए पूरा पूरा सहयोग करें। शिक्षकों ने जिलाधिकारी के समक्ष अपनी समस्याएं रखते हुए कहा कि परीक्षाएं होते ही स्कूलों में बच्चों की संख्या काफी घट गई है, ऐसे में छुट्टियों में बच्चों का स्कूल पहुंचना काफी मुश्किल होगा। इसके अलावा दूसरे कर्मचारियों की तरह शिक्षकों को अर्जित अवकाश नहीं मिलता। गर्मियों की छुट्टियों के रूप में ही उन्हें यह अवकाश मिलता है। ऐसे में शिक्षकों को गर्मियों की छुट्टियों में कार्य करने के लिए अतिरिक्त वेतन दिलाया जाए। जिलाधिकारी ने शिक्षकों की शंकाओं को दूर करते हुए कहा कि बच्चों को घर से बुलाकर भोजन कराने की आवश्यकता नहीं है, जो बच्चे विद्यालय में पहुंचें, उतने ही बच्चों को मिड-डे-मील दें। अतिरिक्त वेतन के संबंध में उन्होंने बताया कि शिक्षकों को इस मांग को शासन तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मिड-डे-मील वितरण पूरे विद्यालय स्टाफ की जिम्मेदारी है। इसे कैसे निभाना है यह स्टाफ खुद तय करे। लेकिन किसी भी स्थिति में इस मामले में लापरवाही न बरती जाए।
उल्लेखनीय है कि परिषदीय स्कूलों की मध्याह्न भोजन योजना में धांधली की शिकायतें आम बात है। मसलन ग्राम प्रधान एवं कोटेदार की मनमानी के चलते बच्चों को मीनू के हिसाब से भोजन न दिया जाना एवं निम्न स्तर का खाद्यान्न प्रयोग करना जैसी शिकायतें प्रमुख हैं। परिषदीय स्कूलों के इंचार्ज एवं प्रधान अध्यापकों की लापरवाही भी जग जाहिर है। खाना बनता था कम बच्चों का, लेकिन रजिस्टर में बच्चों की संख्या ज्यादा दर्ज होती थी। जिससे शासन की मध्यान्ह भोजन योजना कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई। शासन ने अब ग्राम प्रधान, कोटेदार पर शिकंजा कसते हुए एक जून से अनुश्रवण प्रणाली लागू कर दिया। अब सीधे निदेशालय से प्रधान एवं इंचार्ज अध्यापकों के मोबाइल पर काल आएगी, जिससे मिड डे मील से संबंधित सभी आंकड़े रोजना फीड किए जाएंगे। जिससे ग्राम प्रधान एवं कोटेदार मिलकर अभिलेखों में किसी भी प्रकार की हेराफेरी नहीं कर पाएंगे। योजना एक जून से लागू होनी है तो यूपी डेस्को ने इस योजना के ठीक से क्रियांवयन के लिए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है।
दैनिक अनुश्रवण प्रणाली की जानकारी देते हुए बताया कि प्रणाली के माध्यम से सभी कार्य दिवसों में शिक्षकों के मोबाइल फोन पर एक स्वचालित काल आयेगी। जिसमें उनसे विद्यालय में मध्यान्ह भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों की संख्या मोबाइल पर 0 से 9 अंकों के बटन दबाकर देने हेतु निर्देशित किया जायेगा। इस प्रणाली में मोबाइल फोन के बटन स्टार तथा हैस का भी प्रयोग करना होगा। योजना के अन्तर्गत प्रत्येक माह के प्रथम कार्य दिवस पर विद्यालय में पंजीकृत छात्रों की संख्या के जानकारी हेतु काल की जायेगी। स्कूल पर अनुपस्थिति रहने की सूचना भी देनी होगी। मोबाइल खो जाने अथवा किसी अन्य दिशा में मोबाइल नम्बर बदलने की सूचना देनी होगी। शिक्षक हेल्प लाइन टोल फ्री नम्बर-18001800666 पर सम्पर्क कर सकते है। प्रत्येक माह के दैनिक अनुश्रवण प्रणाली से प्राप्त सूचना की मुद्रित प्रति को विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा मासिक बैठक में सत्यापित किया जायेगा। यह सूचना भी बेबसाइट पर देखी जा सकती है। प्रशिक्षण कार्यशाला में जिला समन्वयक एमडीएम मोहम्मद फुरकान अहमद खां, एबीएसए प्रेम सिंह राना, एबीआरसी मोहम्मद अय्यूब खां, प्रधानाध्यापक गोविन्द सिंह मौजूद थे।
प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को दोपहर में भोजन देने के उद्देश्य से संचालित की जा रही मध्याह्न भोजन योजना को और पारदर्शी बनाने की एक और पहल शुरू हो गयी है। दैनिक अनुश्रवण प्रणाली के तहत अब प्रत्येक दिन प्रधानाध्यापकों को मध्याह्न भोजन का विवरण मध्याह्न भोजन प्राधिकरण लखनऊ को दर्ज कराना होगा।
चौकिएं नहीं, इसके लिए न तो प्रधानाध्यापकों को प्राधिकरण कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ेगा और न ही कोई अन्य परेशानी झेलनी पड़ेगी बल्कि उनके मोबाइल नंबर पर आने वाले एकमात्र काल पर उनके द्वारा पूरा विवरण दर्ज कराया जा सकता है।
मध्याह्न भोजन योजना के जिला समन्वयक रितुराज सिंह ने बताया कि अब प्रत्येक दिन प्राधिकरण लखनऊ से प्रधानाध्यापकों के मोबाइल पर काल आयेगी। इस काल के जरिये पूछे जाने वाले सवाल के जवाब में प्रधानाध्यापकों को मात्र मोबाइल की पैड पर 0 से 9 तक के अंकों के जरिये उत्तर दर्ज करा देना होगा। बताया कि इस व्यवस्था से अब यदि कोई प्रधानाध्यापक भ्रामक अथवा गलत जानकारी उपलब्ध कराता है या फिर ऐसी शिकायत मिलती है तो उसकी जांच करायी जायेगी। बताया कि दैनिक अनुश्रवण प्रणाली के संबंध में प्रधानाध्यापकों को यूपी डेस्क लखनऊ की टीम द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है।
The Mid Day Meal (MDM) Authority is all set to implement an Interactive Voice Response System (IVRS) to manage and monitor meals being provided to students across the state.
As part of the system, an automatic call will be made to the school around 12 pm every day. Through the call, details pertaining to total number of students enrolled and number of those present on the day will be checked, besides ascertaining if the school has proper kitchen sheds and provision of food grains.
Funded under the Management and Monitoring Evaluation (MME) head of the Centre, the project is worth nearly Rs 3.75 crore. The development of the software has been outsourced to the Uttar Pradesh Development Systems Corporation Limited (UPDESCO).
“The monitoring system will be functional across the state in the next six months. It will give us actual figures about the number of students availing of the MDM scheme,” said Santosh Rai, additional director, MDM Authority.
Rai added: “The step will help us check anomalies in the system by helping us compile accurate information for the day. We will be able to take corrective steps as and when required.”
At present, the school management provides these details to block-level officials, who communicate the information to the MDM Authority through officials at the district level. With the help of the IVRS system, details of the school concerned will be made available on the MDM website.
“The entire exercise takes a lot of time. With the implementation of the system, we will not have to depend on local level officials for information,” said Rai.
मध्याह्न भोजन योजना के संचालन पर निगरानी के लिए शुरू की गई दैनिक अनुश्रवण प्रणाली की रिपोर्ट पर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर ही विश्वास नहीं कर पा रहे हैं। यही कारण है कि आईवीआरएस सिस्टम में दर्ज हो रही मिड डे मील न बनने की शिकायतों के निस्तारण में लेटलतीफी शुरू हो गई है।
परिषदीय विद्यालयों में चलाई जा रही मध्याह्न भोजन योजना कुछ ग्राम प्रधानों की मनमानी के चलते पटरी पर नहीं आ पा रही है। इसके मद्देनजर मध्याह्न भोजन प्राधिकरण ने यूपी डेस्को के सहयोग से दैनिक अनुश्रवण प्रणाली की शुरूआत की। इस प्रणाली में यूपी डेस्को के प्रतिनिधि शिक्षक व शिक्षा मित्र से मोबाइल पर मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या की जानकारी जुटाते हैं, इस तरह प्रतिदिन स्कूलों से एकत्रित की जा रही सूचना में मिड डे मील न पकने वाले विद्यालयों का विवरण जिलाधिकारी को भेजा जा रहा है। इस विवरण के आधार पर हाल ही में सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों से आख्या मांगी गई। सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारियों की आख्या में आईवीआरएस की सूचनाएं गलत साबित हुईं। पिछले माह जनपद प्रवास के दौरान मध्याह्न भोजन प्राधिकरण अपर निदेशक संतोष कुमार व जिलाधिकारी रणवीर प्रसाद के बीच इस मामले में मंत्रणा हुई थी। इधर शिक्षा विभाग के अफसरों का मानना है कि शिक्षकों को मोबाइल पर सूचनाएं दर्ज कराने के लिए काफी कम समय दिया जा रहा है। कई बार तो बीएसएनएल की सेवा गड़बड़ा जाती है, ऐसे में शिक्षकों को कुछ का कुछ सुनाई देता है। यही वजह है कि इस हड़बड़ाहट में कुछ शिक्षकों से गलत सूचनाएं दर्ज हो रही हैं। इक्कीस सितंबर तक जिले में चार सैकड़ा से अधिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन न पकने की सूचनाएं दर्ज हुई थीं। इस प्रणाली में दर्ज सूचनाओं पर सवालिया निशान लगने के बाद विभागीय अफसर भी इस पर भरोसा जताने से कतराते नजर आ रहे हैं। समन्वयक प्रियंका मिश्रा का कहना है कि आईवीआरएस सिस्टम में दर्ज सूचनाओं में अनेक ऐसे स्कूल पाए जा रहे हैं, जिनमें मिड डे मील पकने के बाद भी खाना न बनने की सूचनाएं दर्ज पाई गई हैं।
मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की दैनिक अनुश्रवण प्रणाली कई शिक्षकों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। उनके मोबाइल पर एक की बजाय कई-कई बार स्वचालित कॉल आ रही हैं। यहां तक कि छुट्टी के दिन भी उनसे मोबाइल पर मिड डे मील का हाल पूछ लिया जाता है। परेशान शिक्षकों को इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।
मध्याह्न भोजन योजना के अंतर्गत विद्यालयों में बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन का ठीक-ठीक हिसाब रखने के लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण द्वारा एक जून २०१० से दैनिक अनुश्रवण प्रणाली लागू की गई है। इसके तहत विद्यालय के प्रधानाध्यापक के मोबाइल फोन पर एक स्वचालित कॉल आती है, जिसके जरिये प्रधानाध्यापक से उस दिन उनके विद्यालय में भोजन ग्रहण करने वाले बच्चों की संख्या मोबाइल पर ० से ९ अंकों के बटन को दबाकर देने हेतु निर्देशित किया जाता है। इसमें उन्हें मोबाइल फोन के बटन स्टार तथा हैश का भी इस्तेमाल करना होता है। शिक्षकों से यह जानकारी विद्यालय की छुट्टी के बाद ली जाती है। लेकिन, कई शिक्षकों के फोन सुबह से ही घनघनाने लगते हैं और देर रात तक यह सिलसिला जारी रहता है।
ब्लाक बड़ागांव के जूनियर हाईस्कूल छिपलौरा के प्रधानाध्यापक सुनील पांडेय ने बताया कि उनके मोबाइल पर पिछले एक सप्ताह से रोजाना सुबह आठ से रात के दस बजे तक एक दर्जन से अधिक बार मिड डे मील का हाल पूछा जाता है। यहां तक कि एक घंटे के दरम्यान तीन-चार बार फोन आ जाता है। इसकी शिकायत मिड डे मील के जिला समन्वयक से की गई है, परंतु कोई लाभ नहीं हुआ। प्राथमिक विद्यालय रनगुंवा के प्रभारी प्रधानाध्यापक भी कुछ ऐसा ही कहते हैं। उन्होंने बताया कि उनके मोबाइल पर रात ग्यारह बजे भी प्राधिकरण की कॉल आ जाती है। रविवार अथवा अन्य किसी अवकाश के दिन भी मिड डे मील का हाल पूछ लिया जाता है।
इस संबंध में मिड डे मील के जिला समन्वयक तरुण सक्सेना का कहना है कि प्रधानाध्यापक द्वारा मोबाइल पर बच्चों की संख्या न बताए जाने तक कॉल आती रहती हैं। यदि संख्या बताए जाने के बाद भी कॉल आ रही हैं तो यह समस्या है और इसे प्राधिकरण की लखनऊ में होने वाली मासिक बैठक में उच्चाधिकारियों के सामने रखा जाएगा।
एक आदेश में जहां सख्ती से मोबाइल फोन प्रतिबंधित करने की बात कही गई है, वहीं एक योजना के क्रियान्वयन में मोबाइल फोन जरूरी कर दिया गया है। मिड डे मील योजना में प्राधिकरण की आईवीआरएस दैनिक अनुश्रवण प्रणाली ने पांच वर्ष पूर्व शासन के शिक्षण संस्थाओं में मोबाइल फोन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए थे। लेकिन अब एक अन्य मामले में मोबाइल को जरूरी कर दिया गया है। शासन अपने ही आदेश में उलझा सा नजर आ रहा है।
शैक्षणिक वातावरण में मोबाइल फोन के विपरीत प्रभाव सामने आने पर 3 फरवरी 2005 को बेसिक शिक्षा सचिव जेएस दीपक ने प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षक-शिक्षिकाओं, छात्रों और कर्मचारियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। लेकिन इस सत्र में मिड डे मील प्राधिकरण ने दोपहर का भोजन वितरण की दैनिक रिपोर्ट पाने के लिए दैनिक अनुश्रवण प्रणाली लागू की है। इसके तहत शासन स्तर पर प्रदेश के सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के प्रधानाध्यापकों और वरिष्ठ सहायक अध्यापकों के मोबाइल फोन नंबर फीड किए गए हैं। इस प्रणाली में प्रतिदिन लखनऊ से सीधे इन शिक्षकों पर फोन आता है। फोन से बच्चों की उपस्थिति, उनके लिए तैयार किए गए मिड डे मील और खाने वाले बच्चों की संख्या की जानकारी ली जाती है। ऐसे में शासन द्वारा मोबाइल फोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने का आदेश मजाक बनकर रह गया है।
कुछ नहीं कर सकते
बीएसए गजेंद्र कुमार का कहना है कि दोनों ही आदेश शासन स्तर के हैं। इन पर वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन शिक्षक स्वयं अपना दायित्व समझें तो बेहतर होगा।
... contd.
दैनिक अनुश्रवण प्रणाली मिड डे मील : Interactive Voice Response System (IVRS) to manage and monitor MDM
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
2:00 AM
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