हमारे कर्त्तव्य हैं पर अधिकार नहीं : रमेश शुक्ल 'राही' on बेसिक शिक्षा परिषद NEWS


'शिक्षकों के विचार'  की दूसरी  कड़ी में प्रस्तुत हैं जिला पीलीभीत में कार्यरत शिक्षक  रमेश शुक्ल 'राही'   के विचार। आशा है की यह कालम आपको पसंद भी आयेगा और आपके विचारों को भविष्य में और परिमार्जित करने में मदद करेगा? विचारों का क्रम भले ही उतना स्पष्ट और विस्तृत ना हो पर मेरा मानना है की अपनी बात को स्पष्ट करने में वह सफल रहे हैं, कि बगैर शिक्षक के अधिकारों के शिक्षा व्यवस्था की स्थिति में कोई सुधार नहीं संभव है।  आशा है कि सम्बंधित माननीयों को उनके द्वारा  मुद्दे संबोधित करने में सफल रहेंगे? ~ ( ब्लॉग एडमिन )   
___________________________
रमेश शुक्ल 'राही

 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की स्थिति तेरह खाने के रिन्च जैसी है, जिसको किसी भी प्रकार के नट-बोल्ट में फिट किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि उससे सभी प्रकार के कार्य लिए जा सकतें हैं, पर वह कटे पक्षी के समान वह फड़फड़ा तो सकता है, पर उड़ नहीं सकता। बंदूक है पर गोली नहीं। तलवार है पर धार नहीं। कर्त्तव्य हैं पर अधिकार नहीं।


एक अधिकारविहीन शिक्षक से शैक्षिक गुणवत्ता की उम्मीद करना बेमानी है। "बिन भय होय न प्रीत" इससे सभी भली-भाँति परिचित हैं। जब छात्र-छात्राओं में शिक्षकों का किसी भी प्रकार का भय नहीं रह जायेगा तो वे निरंकुश हो जायेंगें,  क्योंकि शिक्षक उसे किसी भी प्रकार से दंडित नहीं कर सकता है।

यदि इसी प्रकार शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अधिकारों में कटौती कर दी जाये कि वह किसी भी शिक्षक को अनुपस्थित नहीं कर सकते, उनका वेतन नहीं काट सकते, उनको निलम्बित या अन्य किसी प्रकार से दंडित नहीं कर सकते तो शिक्षक भी निरंकुश हो जायेगा, लेकिन यह संभव नहीं है। अधिकारियों को सबसे निरीह एवं तुच्छ प्राणी शिक्षक ही नजर आता है, और वह उनको अपने कोपभाजन का शिकार बनाता है। जब तक शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लिए जातें रहेंगें तब तक छात्र-छात्राओं के शैक्षिक स्तर में कोई वृद्धि नहीं हो सकती, भले ही उनको कितनी भी सुविधाएं क्यों न मुहैया करा दी जाएं।

सादर!

रमेश शुक्ल  "राही"  (स0अ0)
कार्यरत जनपद - पीलीभीत
मूल निवासी - शाहजहांपुर
___________________________

हमारे कर्त्तव्य हैं पर अधिकार नहीं : रमेश शुक्ल 'राही' on बेसिक शिक्षा परिषद NEWS Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी on 7:44 PM Rating: 5

1 comment:

Brijesh Shrivastava said...


"एक अधिकारविहीन शिक्षक से शैक्षिक गुणवत्ता की उम्मीद करना बेमानी है।" आपके विचारों से पूर्णतः सहमत हूँ !

Contact Form

Name

Email *

Message *

Powered by Blogger.