बच्चे संस्कृति से लेकर संस्कार तक आंगनबाडी की पाठशाला में पढ़ेंगे
अब बच्चे संस्कृति से लेकर संस्कार तक आंगनबाडी की
पाठशाला में पढ़ेंगे। घर से निकलने के बाद पाल्यों के लिए तैयार की जाने
वाली इस पहली पाठशाला के गुरू कोई और नहीं बल्कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री ही
होंगी।
भारत सरकार द्वारा शिक्षा की नींव के लिए तैयार किए जाने वाले कार्यक्रम ईसीसीई (अर्ली चाइल्डहुड एंड केयर एजूकेशन ) से शिक्षा क्षेत्र के अंधकार को दूर करने की पूरी कवायद की जा रही है। भारत सरकार का यह कार्यक्रम अगले साल जनवरी से एक साथ हर प्रदेश में लागू किया जाना है। इसके लिए रूपरेखा भी ऐसी तैयार की जा रही है कि अगर बच्चों को संस्कार और शिक्षा के मायने बताए जाएं तथा उनमें चरित्र निर्माण किया जाए तो देश का आने वाला भविष्य बेहतर होगा। इसी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ने यह अभिनव प्रयोग किया है।
भारत सरकार द्वारा शिक्षा की नींव के लिए तैयार किए जाने वाले कार्यक्रम ईसीसीई (अर्ली चाइल्डहुड एंड केयर एजूकेशन ) से शिक्षा क्षेत्र के अंधकार को दूर करने की पूरी कवायद की जा रही है। भारत सरकार का यह कार्यक्रम अगले साल जनवरी से एक साथ हर प्रदेश में लागू किया जाना है। इसके लिए रूपरेखा भी ऐसी तैयार की जा रही है कि अगर बच्चों को संस्कार और शिक्षा के मायने बताए जाएं तथा उनमें चरित्र निर्माण किया जाए तो देश का आने वाला भविष्य बेहतर होगा। इसी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार ने यह अभिनव प्रयोग किया है।
शैक्षिक कार्यशाला का कार्यक्रम
बच्चों के
स्कूल जाने से पहले आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यकत्रियों द्वारा शिक्षा दी
जाएगी। बच्चे को घर से बाहर जाने के पहले आंगनबाड़ी कार्यकत्री पहली गुरू
होंगी जो बच्चों को शिक्षा देंगी। मसलन वर्णमाला बच्चे को स्कूल जाने के
पहले अच्छी तरह से सिखाई जायेगी। हर माह अलग-अलग पढ़ाए जाने वाले विषय भी
तैयार किए जाएंगे। आंगनबाडी केंद्रों में इस योजना को प्रभावी तौर पर लागू
किए जाने को लेकर पाठ्यक्रम भी तैयार किया जाएगा।
खबर साभार : दैनिक जागरण
बच्चे संस्कृति से लेकर संस्कार तक आंगनबाडी की पाठशाला में पढ़ेंगे
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
6:47 AM
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