पारदर्शिता की मिसाल बनी 68500 शिक्षक भर्ती परीक्षा, परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने इस इम्तिहान में अन्य परीक्षा संस्थाओं के सामने बड़ी लकीर खींच दी
इलाहाबाद : शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा का निर्णय होने से लेकर अब तक जितने सवाल उठे, उतने ही नवप्रयोग भी किए गए हैं। शिक्षा विभाग के अफसर व परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने इस इम्तिहान में अन्य परीक्षा संस्थाओं के सामने बड़ी लकीर खींच दी है। अन्य संस्थान परीक्षा में पारदर्शिता का ढिंढोरा खूब पीटते रहे हैं लेकिन, सही मायने में सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा से ही यह समझा जा सकता है कि आखिर पारदर्शिता के मायने क्या हैं?
इस परीक्षा की तैयारी से लेकर परिणाम निकलने के बाद तक वह सभी कदम उठाए गए ताकि कोई सवाल शेष न रहे। सूबे की योगी सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में अच्छे शिक्षकों के चयन के लिए उनकी लिखित परीक्षा कराने का निर्णय लिया। सबसे बड़ी शिक्षक भर्ती 68500 की लिखित परीक्षा के लिए परिषद ने नवंबर 2017 में ही पाठ्यक्रम जारी किया। भर्ती का शासनादेश नौ जनवरी 2018 को आया। अभ्यर्थियों से दो बार ऑनलाइन आवेदन लिए गए। ज्ञात हो कि टीईटी 2017 मामले में हाईकोर्ट के निर्णय पर दूसरी बार वेबसाइट खोली गई।
इस इम्तिहान में पारदर्शिता रखने के लिए परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिका की कार्बन कॉपी बनाने का आदेश हुआ। वहीं, परीक्षा के बाद उत्तरकुंजी भी जारी की गई। इसके पहले सब्जेक्टिव परीक्षा में उत्तरकुंजी जारी करने का निर्णय नहीं हुआ है। उस पर आपत्तियां ली गई और संशोधित उत्तरकुंजी जारी की गई, जिसमें करीब 33 प्रश्नों के 10-10 विकल्प सही माने गए। अभ्यर्थियों के इत्मीनान के बाद रिजल्ट तैयार कराने की प्रक्रिया शुरू हुई।
13 अगस्त को रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों को स्कैंड कॉपी मुहैया कराने का आदेश हुआ है। उन्हें कॉपियां अब डाक से भेजी जाएंगी। 21 मई को सरकार ने अभ्यर्थियों को राहत देते हुए उत्तीर्ण प्रतिशत में बदलाव किया। हालांकि उसे हाईकोर्ट ने नहीं माना और शासनादेश में दिए उत्तीर्ण प्रतिशत से ही रिजल्ट घोषित हुआ। परीक्षा में अनुक्रमांक के कॉलम कम होने, टीईटी 2017 के 13 प्रश्न और अंत में मूल्यांकन सही न होने को लेकर विवाद भी सामने आया। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डा. सुत्ता सिंह का कहना है कि वह ऐसा हर निर्णय लेने को तैयार हैं, जिसमें अभ्यर्थियों का भला हो।
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