बच्चों की सुरक्षा को खतरा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जर्जर भवनों में संचालित प्राइमरी स्कूलों की हालत पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उप्र से मांगा हलफनामा
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के जर्जर भवनों में संचालित प्राइमरी स्कूलों की हालत पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद उप्र से एक हफ्ते में हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि वह समयबद्ध कार्ययोजना बनाए तथा बच्चों को अन्यत्र शिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने जन अधिकार मंच की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसकी टीम ने वाराणसी शहर में स्थित 17 प्राइमरी स्कूलों की हालत का जायजा लिया। कई स्कूल एक कमरे में चलते पाए गए। तीन अध्यापक पांच कक्षाओं के विद्यार्थियों को एक बड़े हाल में पढ़ा रहे हैं। कुछ स्कूलों के भवन इतने जर्जर हैं कि किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है। बच्चों की सुरक्षा को खतरा है और बेसिक शिक्षा विभाग स्कूलों की दशा सुधारने का कोई प्रयास नहीं कर रहा है। कोर्ट ने 21 अगस्त को जानकारी तलब की थी। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी के बाद कोर्ट ने स्कूलों की दशा सुधारने की समयबद्ध कार्ययोजना पेश करने का निर्देश दिया है। याचिका की सुनवाई एक हफ्ते बाद होगी।
मृतक आश्रित कोटे में राशन की दुकान देने का आदेश रद
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जालापुर ब्लाक (जिला जौनपुर) के प्रधानपुर गांव की सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान को मृतक आश्रित कोटे में विपक्षी सुशीला देवी के नाम आवंटित करने के एसडीएम केराकत के आदेश को रद कर दिया है। सुशीला देवी के पति के खिलाफ शिकायत पर उसका लाइसेंस रद होने के बाद दुकान का लाइसेंस याची शांति देवी के नाम जारी किया गया है। ऐसे में दुकान को शासनादेश के विपरीत विपक्षी को देने को कोर्ट ने अवैध माना। 1यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने शांति देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता केपी शुक्ल व अनुराग शुक्ला ने बहस की। याची का कहना है कि सुशीला के पति मुरलीधर मौर्या के नाम सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान आवंटित थी। कार्ड धारकों की शिकायत पर जांच के बाद मुरलीधर मौर्य का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया। इसके बाद याची को दुकान आवंटित कर दी गई। मुरलीधर की मौत के बाद विपक्षी सुशीला देवी को एसडीएम ने आश्रित कोटे में वही देने का आदेश दिया जिसे याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि अच्छी ख्याति वाले को ही आश्रित कोटे से दुकान दी जा सकती है।आदमियों से मैला ढोने की निगरानी के लिए 12 जिलों में गठित कमेटी भंग कर अधिनियम की धारा 24 के अंतर्गत नियमानुसार नई कमेटी गठन की मांग में दाखिल याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने याची संस्था से कहा है कि वह प्रत्येक जिले की कमेटियों के गठन की अनियमितता को लेकर वैधानिक बिंदुओं पर अलग से याचिका दाखिल कर सकती है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने वाराणसी की संस्था जन अधिकार मंच की जनहित याचिका पर पर दिया है। मंच के स्मृति कार्तिकेय का कहना था कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक्ट में निहित तरीके से कमेटियों का गठन नहीं किया गया है। कोर्ट का कहना था कि जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत उपलब्ध कराई गई सूचना में गैर सरकारी सदस्यों की जानकारी दी गई है। इससे स्पष्ट नहीं है कि जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी नहीं बनी है। भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने भी प्रतिवाद किया। कोर्ट ने कहा कि विस्तृत विवरण और वैधानिक खामियों के ब्यौरे के साथ याचिका दाखिल की जाए। यह भी कहा कि हर जिले की अलग-अलग याचिका दाखिल की जा सकती है।
No comments:
Post a Comment