यूपी : एमबीए, बीएड, एलएलबी करके चपरासी बने मृतक आश्रित
प्रयागराज | उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा विभाग में लिपिक पद न होने पर भी मृत शिक्षकों के आश्रितों को इसी श्रेणी में नियुक्ति देने के सरकार के निर्णय से एमबीए और एलएलबी जैसी डिग्री रखने वाले आश्रितों को चपरासी नहीं बनना पड़ेगा। अकेले प्रयागराज में 42 ऐसे आश्रित परिचारक पद पर तैनात हैं जिनकी योग्यता अधिक है।
लेकिन क्लर्क का पद खाली न होने के कारण इन्हें समझौता करना पड़ा। प्रदेश में 26 जुलाई 2011 को नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बाद से उच्च योग्यताधारी आश्रितों को चपरासी पद पर ज्वाइन करना मजबूरी हो गई। इससे पहले बीटीसी का प्रशिक्षण कराकर शिक्षक पद पर समायोजित किया जाता था।
लेकिन टीईटी अनिवार्य होने के बाद से शिक्षक बनने का रास्ता कठिन हो गया और क्लर्क का पद खाली न होने से मृतक आश्रितों के लिए चपरासी बनने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा था। महानिदेशक स्कूली शिक्षा विजय किरन आनंद के 29 जुलाई 2020 के आदेश के बाद जिले के 32 परिचारकों ने लिपिक पद के लिए अनिवार्य योग्यता ट्रिपलसी का प्रशिक्षण ले लिया लेकिन अब तक समायोजन नहीं हो सका है।
उच्च योग्यता के बावजूद बने हैं परिचारक: रत्नेश कुमार बीएड, एमबीए व एलएलबी, सुनील सिंह एमबीए व पीजीडीसीए, विनय समदरिया एलएलबी, फजल अख्तर खान एमएससी, शैलेन्द्र कुमार बीएससी व बीएड करने के बावजूद लिपिक बनने का इंतजार कर रहे हैं।
सितंबर 2019 में गया था नियुक्ति का प्रस्ताव: मृत शिक्षकों के आश्रितों की नियुक्ति के लिए तृतीय श्रेणी के अधिसंख्य पदों का सृजन करने पर सहमति 09 सितंबर 2019 को आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में बनी थी। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा गया लेकिन डेढ़ साल से फाइल धूल फांक रही थी।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक मृतक आश्रित शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दिवाकर पांडेय ने कहा, '9 सितम्बर 2019 की बैठक में तय हुआ था कि जो नए मृतक आश्रित आने हैं उनका लिपिक के अधिसंख्य पदों पर नियुक्ति का आदेश जारी करने के बाद कार्यरत मृतक आश्रितों का आदेश जारी होगा। मार्च 2021 में अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने भी कहा था कि नए मृतक आश्रित के आदेश निर्गत होने के बाद कार्यरत कर्मचारियों पर निर्णय लेकर आदेश जारी किया जाएगा।'
यूपी : एमबीए, बीएड, एलएलबी करके चपरासी बने मृतक आश्रित
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
1:15 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment