जनवरी बीतने को लेकिन नहीं छपने गईं किताबें, टेंडर पर नहीं हो पाया निर्णय


जनवरी बीतने को लेकिन नहीं छपने गईं किताबें, टेंडर पर नहीं हो पाया निर्णय 


जनवरी खत्म होने को है लेकिन प्रदेश के लगभग 1.70 करोड़ बच्चों को दी जाने वाली पाठ्य पुस्तकें छपने के लिए नहीं जा पाई हैं। लिहाजा नया सत्र पुरानी किताबों के साथ ही शुरू होगा।

नई पाठ्य पुस्तकें पूरी तरह से सितम्बर-अक्तूबर तक स्कूलों में पहुंचेगी। पाठ्य पुस्तकों, कार्यपुस्तिका के पूरे सेट के साथ सत्र की शुरुआत की घोषणा भले ही होती हो लेकिन सत्र की शुरुआत में किताबें पहुंचना अब भी मुश्किल है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से 8 तक के विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्य पुस्तकें दी जाती है। लगभग 10 करोड़ किताबें हर वर्ष छापी जाती हैं लेकिन इन्हें छपने में 2-3 महीने लगते हैं और 15-20 प्रकाशकों को छपाई का काम दिया जाता है। अभी तक किताबों के वित्तीय टेंडर पर निर्णय नहीं हो पाया है।

★ हीलाहवाली
● परिषदीय स्कूलों में नया सत्र अप्रैल से शुरू होगा
● अभी तक किताबों के वित्तीय टेंडर पर निर्णय नहीं हो पाया है

जनवरी बीतने को लेकिन नहीं छपने गईं किताबें, टेंडर पर नहीं हो पाया निर्णय Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 2 on 8:08 AM Rating: 5

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