शिक्षा का अधिकार कानून : अवधि पूरी, तैयारी अधूरी
- 12 लाख शिक्षकों की कमी,मौजूदा में 8.6 लाख योग्य न प्रशिक्षित
- उत्तर प्रदेश.बिहार,पश्चिम बंगाल,मध्यप्रदेश,झारखंड ने बिगाड़ा गणित
नई दिल्ली : शिक्षा का अधिकार कानून के अमल के लिए तय तीन साल की मियाद रविवार को पूरी हो जाएगी। फिर भी जमीन पर बहुत कुछ नहीं बदला। छह से 14 साल के बच्चों को पढ़ाने वाले लगभग 12 लाख स्कूली शिक्षकों की कमी है। योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों का होना तो और बड़ी बात है। अब भी पीने का पानी, शौचालय और खेल का मैदान सभी स्कूलों मे उपलब्ध नहीं है। स्कूली पढ़ाई के प्रावधानों के पूरा न होने पर सोमवार से कोई भी अभिभावक कानूनी तौर अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
स्कूली पढ़ाई जैसे बुनियादी मसलों पर केंद्र और राज्य सरकारों की कुछ कर गुजरने की बार-बार की प्रतिबद्धता तीन साल बाद भी फिलहाल धरी की धरी रह गई। केंद्र अब राज्य सरकारों के साथ बैठकर शिक्षा का अधिकार कानून के अमल की समीक्षा करेगा। शिक्षा के नीतिगत मामलों की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी बॉडी केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की बैठक में आगामी दो अप्रैल को इस पर चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक, सीएबीई की बैठक में शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून के अमल की मियाद कुछ और बढ़ाने का भी रास्ता निकाला जा सकता है, क्योंकि ऐसा न होने पर स्कूलों पर अनावश्यक रूप से मुकदमों की भरमार हो सकती है।
आरटीई कानून के तीन साल के सफर पर नजर डालें तो सिर्फ उसे अपने यहां लागू
करने की अधिसूचना जारी करने के सिवा कोई भी राज्य ऐसा नहीं, जो सभी
मापदंडों पर खरा उतरता हो। वैसे तो देश में लगभग 12 लाख स्कूली शिक्षकों की
कमी है, लेकिन उसमें बड़े राज्यों में अकेले उत्तर प्रदेश में तीन लाख,
बिहार में 2.60 लाख, पश्चिम बंगाल में एक लाख, झारखंड में 68 हजार, मध्य
प्रदेश में 95 हजार शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इतना ही नहीं, जो स्कूली
शिक्षक हैं, उनमें भी 8.6 लाख शिक्षक योग्य व प्रशिक्षित नहीं हैं। वे
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के मानकों के तहत शिक्षक होने की जरूरी
अर्हता पूरी नहीं करते। इस मामले में 1.97 लाख अप्रशिक्षित शिक्षकों के साथ
पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है। जबकि, बिहार में 1.86 लाख, उप्र में 1.43 लाख
और झारखंड में 77 हजार शिक्षक जरूरी योग्यता नहीं पूरी करते। इस बीच,
एनसीटीई ने 13 राज्यों को दूरस्थ शिक्षक शिक्षा के जरिये उनके शिक्षकों को
प्रशिक्षित करने की छूट दी है। राज्यों में कानून की मानीटरिंग का जिम्मा
बाल अधिकार संरक्षण आयोग या फिर उसके समकक्ष दूसरे निकायों पर है। फिर भी
नौ केंद्र शासित राज्यों को मिलाकर सिर्फ 26 राज्यों ने इसका प्रावधान किया
है। इसके अलावा 41 प्रतिशत स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात मानक के लिहाज
से नहीं है। (साभार-:-दैनिक जागरण)


शिक्षा का अधिकार कानून : अवधि पूरी, तैयारी अधूरी
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
8:24 AM
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