बेसिक शिक्षा मन्त्री राम गोविन्द चौधरी द्वारा राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र को दिया गया साक्षात्कार
- प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 2 करोड़ 9 लाख स्टूडेन्ट हैं पंजीकृत
- हर दिन करीब सवा करोड़ बच्चों को ही वितरित हो रहा है मिड डे मील
- प्राइमरी स्कूल में प्रति छात्र 100 ग्राम भोजन व जूनियर में 150 ग्राम भोजन देने का है प्रावधान
- प्राइमरी में कनवर्जन कास्ट 3.75 रुपये(शायद गलत बताया गया या गलती से छप गया सही 3.34 है) व जूनियर में 5 रुपये प्रति छात्र
- किसी स्तर पर लापरवाही मिली तो होगी कड़ी कार्रवाई
- नहीं बदला जा सकता है मिड-डे मील का मेन्यू
- एनजीओ पर निगहबानी रखेंगे फूड इंस्पेक्टर
प्रदेश में परिषदीय स्कूलों की मिड-डे मील व्यवस्था को भले ही सराहना मिली
हो और इसे पूरे देश में लागू कराने की कवायद हो रही हो, लेकिन बिहार में
नौनिहालों की मौत की घटना ने सूबे को झकझोर दिया है। प्रदेश के बेसिक
शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने जिलाधिकारियों को मॉनीटरिंग बढ़ाने का
शासनादेश जारी कराया है। श्री चौधरी मानते हैं कि अब कागजों से बाहर निकल
कर जमीनी स्तर पर मॉनीटरिंग बढ़ानी होगी। राष्ट्रीय सहारा के संवाददाता कमल तिवारी ने
श्री चौधरी से मिड-डे मील की व्यवस्था सहित अन्य मुद्दों पर विस्तार से
बातचीत की, पेश है चुनिंदा अंश -:
प्रश्न-: बिहार के छपरा (सारण) में मिड डे मील खाने से बच्चों की मौत के बाद यूपी में क्या सतर्कता बरती जा रही है ?
उत्तर-: बिहार की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके बाद भी मैंने तत्काल मिड-डे मील को लेकर विभाग से जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कराया है। जिले से लेकर ब्लॉक और स्कूल स्तर के अधिकारियों-अध्यापकों की जवाबदेही तय करायी है। यहां कभी ऐसी घटना हुई तो बीएसए से लेकर हेड मास्टर तक को बख्शा नहीं जाएगा। मिड डे मील सिर्फ बच्चों की हाजिरी बढ़ाने का माध्यम नहीं है, पोषण के लिहाज से भी जरूरी है।
प्रश्न-: शासनादेश जारी हो जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है, इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर-: मेरी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं है। मिड डे मील के मामले में यूपी के मॉडल को देश स्तर पर पहला पुरस्कार मिला है, इसके बाद हमारे यहां की व्यवस्था को आदर्श के तौर पर दूसरे राज्यों में लागू कराया जा रहा है। यह जरूर है कि बिहार की घटना से सबक लेते हुए अब मॉनीटरिंग पर ज्यादा जोर होगा। मण्डल स्तर पर सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक को हर दिन 10 स्कूल, जिले में बीएसए को 10 स्कूल, ब्लाक स्तर पर एबीएसए व एसडीआई को 12- 12 स्कूलों की जांच करने के निर्देश दिये गये हैं। इनकी जांच रिपोर्ट हर सप्ताह निदेशालय आएगी, जहां समीक्षा होगी और किसी स्तर पर लापरवाही पायी गयी तो कड़ी कार्रवाई होगी।
प्रश्न-: मिड डे मील की गुणवत्ता को लेकर क्या कदम उठाये जा रहे हैं?
उत्तर-: विद्यालय में स्वच्छता सुनिश्चित की जा रही है। भोजन सामग्री की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए तेल, घी, मसाला आदि ब्राण्डेड ही इस्तेमाल किया जाएगा और भरोसेमंद दुकान से ही खरीदा जाएगा। रसोइयों को भोजन बनाने के दौरान सतर्क रहने और बर्तन बिल्कुल साफ- सुथरे रखने की हिदायत दी गयी है। तैयार भोजन को शिक्षक व रसोइये के चखने के 15 मिनट बाद बच्चों में वितरित कराने का प्रावधान होगा। साथ ही बच्चों में बांटे गये खाने का सैम्पल विद्यालय बंद होने तक कार्यालय में रखा जाएगा। ताजा सब्जी और साफ चावल-गेहूं का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा। शिक्षकों को साफ निर्देश है कि खाद्यान्न की गुणवत्ता ठीक न हो तो उसे तुरन्त लौटायें।
प्रश्न-: कई जगह मिड डे मील एनजीओ के हाथों में है, वहां के भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे भी हैं?
उत्तर-: एनजीओ का भोजन एक जगह पकाया जाता है, इसके बाद उसे विद्यालयों में भेजा जाता है। इसमें दो बातों पर निगरानी बढ़ायी जाएगी, एक तो समय पर मिड डे मील मिले, दूसरा गुणवत्ता से समझौता न हो। गुणवत्ता के लिए एनजीओ के खाने की जांच फूड इंस्पेक्टरों से करायी जाएगी और समय की रिपोर्ट विद्यालय के हेड मास्टर देंगे। रही बात मॉनीटरिंग की तो फील्ड के शिक्षाधिकारियों के ऊपर निदेशालय, सचिवालय और मंत्रालय की टीमें भी लगेंगी, ताकि कही पर भी कोताही की संभावना न रहे। हमने अपनी तैयारी के साथ ही अभिभावक व समाज के जिम्मेदार लोगों से भी सुझाव मांगा है।
प्रश्न-: बिहार की घटना के बाद क्या मिड डे मील के मेन्यू में बदलाव की योजना है?
उत्तर-: इसके मेन्यू का निर्धारण केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बेसिक शिक्षा विंग से होता है। और न ही मेन्यू में बदलाव करने का राज्यों को अधिकार हैं। रही बात पैकेट बंद बिस्किट आदि देने की तो जो पोषक तत्व भोजन में रहते हैं, उसका कोई विकल्प नहीं है।
प्रश्न-: परिषदीय स्कूलों में बच्चों को अभी तक यूनीफार्म नहीं मिली?
उत्तर-: सपा की सरकार बनते ही यूनीफार्म एक से बढ़ाकर दो की गयी। शासन ने यूनीफार्म का रंग बदला है। ड्रेस वितरण में बिचौलियों पर रोक के लिए सभी बच्चों की नाप विद्यालय में लेने व सिलाने के निर्देश थे। कुछ कारणों से देरी अवश्य हुई है, लेकिन उम्मीद है कि दो अक्टूबर से ड्रेस वितरण शुरू करा दिया जाएगा और अगले सत्र में किताबों के साथ ही यूनीफार्म भी मिलेगी।
प्रश्न-: शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले में भी लेन-देन के आरोप लगाये जा रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?
उतर-: यह पूरी तरह बेबुनियाद बात है। सारी प्रक्रिया ऑन लाइन है, आवंटन भी कम्प्यूटर से कराया जा रहा है। मुझे कोई शिकायत मिली तो जांच कराकर सख्त कार्रवाई करुंगा। (साभार-:-राष्ट्रीय सहारा)
प्रश्न-: बिहार के छपरा (सारण) में मिड डे मील खाने से बच्चों की मौत के बाद यूपी में क्या सतर्कता बरती जा रही है ?
उत्तर-: बिहार की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके बाद भी मैंने तत्काल मिड-डे मील को लेकर विभाग से जिलाधिकारियों को शासनादेश जारी कराया है। जिले से लेकर ब्लॉक और स्कूल स्तर के अधिकारियों-अध्यापकों की जवाबदेही तय करायी है। यहां कभी ऐसी घटना हुई तो बीएसए से लेकर हेड मास्टर तक को बख्शा नहीं जाएगा। मिड डे मील सिर्फ बच्चों की हाजिरी बढ़ाने का माध्यम नहीं है, पोषण के लिहाज से भी जरूरी है।
प्रश्न-: शासनादेश जारी हो जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही रहती है, इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर-: मेरी कथनी व करनी में कोई अंतर नहीं है। मिड डे मील के मामले में यूपी के मॉडल को देश स्तर पर पहला पुरस्कार मिला है, इसके बाद हमारे यहां की व्यवस्था को आदर्श के तौर पर दूसरे राज्यों में लागू कराया जा रहा है। यह जरूर है कि बिहार की घटना से सबक लेते हुए अब मॉनीटरिंग पर ज्यादा जोर होगा। मण्डल स्तर पर सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक को हर दिन 10 स्कूल, जिले में बीएसए को 10 स्कूल, ब्लाक स्तर पर एबीएसए व एसडीआई को 12- 12 स्कूलों की जांच करने के निर्देश दिये गये हैं। इनकी जांच रिपोर्ट हर सप्ताह निदेशालय आएगी, जहां समीक्षा होगी और किसी स्तर पर लापरवाही पायी गयी तो कड़ी कार्रवाई होगी।
प्रश्न-: मिड डे मील की गुणवत्ता को लेकर क्या कदम उठाये जा रहे हैं?
उत्तर-: विद्यालय में स्वच्छता सुनिश्चित की जा रही है। भोजन सामग्री की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए तेल, घी, मसाला आदि ब्राण्डेड ही इस्तेमाल किया जाएगा और भरोसेमंद दुकान से ही खरीदा जाएगा। रसोइयों को भोजन बनाने के दौरान सतर्क रहने और बर्तन बिल्कुल साफ- सुथरे रखने की हिदायत दी गयी है। तैयार भोजन को शिक्षक व रसोइये के चखने के 15 मिनट बाद बच्चों में वितरित कराने का प्रावधान होगा। साथ ही बच्चों में बांटे गये खाने का सैम्पल विद्यालय बंद होने तक कार्यालय में रखा जाएगा। ताजा सब्जी और साफ चावल-गेहूं का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाएगा। शिक्षकों को साफ निर्देश है कि खाद्यान्न की गुणवत्ता ठीक न हो तो उसे तुरन्त लौटायें।
प्रश्न-: कई जगह मिड डे मील एनजीओ के हाथों में है, वहां के भोजन की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठे भी हैं?
उत्तर-: एनजीओ का भोजन एक जगह पकाया जाता है, इसके बाद उसे विद्यालयों में भेजा जाता है। इसमें दो बातों पर निगरानी बढ़ायी जाएगी, एक तो समय पर मिड डे मील मिले, दूसरा गुणवत्ता से समझौता न हो। गुणवत्ता के लिए एनजीओ के खाने की जांच फूड इंस्पेक्टरों से करायी जाएगी और समय की रिपोर्ट विद्यालय के हेड मास्टर देंगे। रही बात मॉनीटरिंग की तो फील्ड के शिक्षाधिकारियों के ऊपर निदेशालय, सचिवालय और मंत्रालय की टीमें भी लगेंगी, ताकि कही पर भी कोताही की संभावना न रहे। हमने अपनी तैयारी के साथ ही अभिभावक व समाज के जिम्मेदार लोगों से भी सुझाव मांगा है।
प्रश्न-: बिहार की घटना के बाद क्या मिड डे मील के मेन्यू में बदलाव की योजना है?
उत्तर-: इसके मेन्यू का निर्धारण केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बेसिक शिक्षा विंग से होता है। और न ही मेन्यू में बदलाव करने का राज्यों को अधिकार हैं। रही बात पैकेट बंद बिस्किट आदि देने की तो जो पोषक तत्व भोजन में रहते हैं, उसका कोई विकल्प नहीं है।
प्रश्न-: परिषदीय स्कूलों में बच्चों को अभी तक यूनीफार्म नहीं मिली?
उत्तर-: सपा की सरकार बनते ही यूनीफार्म एक से बढ़ाकर दो की गयी। शासन ने यूनीफार्म का रंग बदला है। ड्रेस वितरण में बिचौलियों पर रोक के लिए सभी बच्चों की नाप विद्यालय में लेने व सिलाने के निर्देश थे। कुछ कारणों से देरी अवश्य हुई है, लेकिन उम्मीद है कि दो अक्टूबर से ड्रेस वितरण शुरू करा दिया जाएगा और अगले सत्र में किताबों के साथ ही यूनीफार्म भी मिलेगी।
प्रश्न-: शिक्षकों के अंतर जनपदीय तबादले में भी लेन-देन के आरोप लगाये जा रहे हैं, इस पर आप क्या कहेंगे?
उतर-: यह पूरी तरह बेबुनियाद बात है। सारी प्रक्रिया ऑन लाइन है, आवंटन भी कम्प्यूटर से कराया जा रहा है। मुझे कोई शिकायत मिली तो जांच कराकर सख्त कार्रवाई करुंगा। (साभार-:-राष्ट्रीय सहारा)
बेसिक शिक्षा मन्त्री राम गोविन्द चौधरी द्वारा राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र को दिया गया साक्षात्कार
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
1:46 PM
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15 comments:
siddharthnagar se jo trnsfer huwe hai we kis adhar par huwe hai janch karane par pata chal jayega....
Mantri ji avshesh logo ka tabadala unake grih janpad me kab karege ?
Kya avshesh logo ko dharna dena hoga?
mantri ji lucknow me 713 teachar transfer karke yah bata diya hai ki kitni pardarsita se transfer kiye gaye hai.
siksha hai anmol ratan. khane ka sab karo jatan.
siksha hai anmol ratan.khane ka sab karo jatan.
Mantri ji aapne kaha tha ki jo teachers 400 km dur service kar rahe hai unko apne home district me transfer kiya jayega. Kya hua apke wayde ka.....
Sab kam to offline hua hai kewal suchi ka prakashan online hone se kya hota hai
Kaha gaya tha jinke 3 saal pure ho gaye hai aise 18000 teachers hai unka transfer unke hone distt kar diya jayega lekin 3 saal se kam walo ka bhi kar diya paise lekar or 3 saal complete karne vale reh gaye.hai koi jawab????????
fgjbchopnmp
sir mere papa expire ho gaye mere 3bhai mansic ill se grast rahte hai.8 year ho gaya tranfer kanpur nahi hua.3year ke ho gaye my wife is teacher in kanpur .pure gar ki jimmedari mere upar hai .request tranfer me.
sir mere papa expire ho gaye mere 3bhai mansic ill se grast rahte hai.8 year ho gaya tranfer kanpur nahi hua.3year ke ho gaye my wife is teacher in kanpur .pure gar ki jimmedari mere upar hai .request tranfer me.
Sir mera transfer last option baghpat ho gaya hain waha ki bus service bhi delhi se direct nahin hain mere bache chote hain 5yeears ; 1year ki hain mere pati delhi govt main hain hamare paas bachho ki dekhbal ke leye koi nahin hain plz mera transfer ghaziabad karne ki kripa kare
ary sahab se yah to puchiye. tranfer list kab nikalege.
List 7august tak aa jayegi
20 august jab last date hai to transfer list kyon nahin nikali ja rahi hai
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