मध्याह्न भोजन व बाल पुष्टाहार की एकीकृत प्रणाली लागू करने का सुझाव
- एमडीएम-पुष्टाहार का साथ हो संचालन
- सुप्रीम कोर्ट के विशेष आयुक्त हर्ष मंडर ने दिया सुझाव
- मध्याह्न भोजन व बाल पुष्टाहार की एकीकृत प्रणाली लागू करें
- अक्षयपात्र फाउंडेशन की दोबारा समीक्षा की जाए
- सुप्रीम कोर्ट के विशेष आयुक्त के सुझावों पर तत्काल अमल हो : आलोक रंजन
लखनऊ (ब्यूरो)। यूपी में मिड-डे-मील (एमडीएम) व बाल पुष्टाहार योजना एक साथ चलाई जाए। इसके लिए मध्याह्न भोजन प्राधिकरण व बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार मिलकर एकीकृत नई प्रणाली विकसित करें। इसके संचालन में महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद ली जाए। इससे बच्चों को गुणवत्तायुक्त पुष्टाहार तो मिलेगा ही, महिलाओं की आय भी बढ़ेगी। यह सुझाव सुप्रीम कोर्ट के विशेष आयुक्त हर्ष मंडर ने दिए।
मंडर ने सोमवार को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन तथा राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के समुचित निगरानी के लिए शासन व प्रशासन स्तर पर तैयारी की जरूरत बताई। कहा कि मातृत्व अधिकार के लिए सक्सेना कमेटी व हाशिम कमेटी के आधार पर इसका क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। एमडीएम को और बेहतर व प्रभावी बनाने के लिए अक्षयपात्र फाउंडेशन की पुन: समीक्षा की जानी चाहिए।
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म Read more @ http://primarykamaster.comखबर साभार : अमर उजाला
लखनऊ (डीएनएन)। सुप्रीम कोर्ट के विशेष आयुक्तहर्ष मंडर ने राज्य में बच्चों के पुष्टाहार प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव देते हुए कहा कि मध्यान्ह् भोजन प्रणाली एवं आईसीडीएस की पुष्टाहार प्रणाली को एकीकृत कर राज्य में एक नई प्रणाली के रूप में प्रस्तुत किया जाए और इसका संचालन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कराया जाए जिससे महिलाओं की आय बढ़े और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण पुष्टाहार मिल सके।
श्री मंडर ने यह बात अवस्थापना एवं औोगिक विकास आयुक्तआलोक रंजन एवं राज्य सरकार के अन्य प्रतिनिधियों के साथ बैठक में कही। उन्होंने राष्ट्रीय खा सुरक्षा अधिनियम को सुदृढ़ करने के लिए सुझाव दिया कि राष्ट्रीय खा सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के समुचित क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर तैयारी किए जाने की आवश्यकता है। इसके अंतर्गत सार्वभौमिक मातृत्व अधिकार को सक्सेना कमेटी एवं हाशिम कमेटी के आधार पर कार्यान्वित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त अक्षयपात्र फाउंडेशन की दोबारा समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने सेंट्रलाइज्ड किचेन व्यवस्था को लागू करने पर बल दिया। श्री मंडर ने कहा कि मध्यान्ह् भोजन व्यवस्था के अंतर्गत खाना बनाने के स्थल से खाना पहुंचाए जाने के स्थल तक अधिकतम एक घंटे का समय ही होना चाहिए। इससे बच्चों के लिए पका हुआ खाना खराब नहीं होगा।
अंत में अवस्थापना एवं औोगिक विकास आयुक्त आलोक रंजन ने कहा कि पब्लिक सर्विज गारंटी अधिनियम के अंतर्गत एक निश्चित अवधि के अंदर सभी को सरकार की प्रत्येक योजना का लाभ आवश्यक रूप से प्राप्त हो जाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के विशेष आयुक्त द्वारा दिए गये सुझावों को तात्कालिक प्रभाव से अमल में लाये जाने के निर्देश बैठक में उपस्थित सभी अधिकारियों को दिए। बैठक में नैशनल एडवाइजर टू विशेष आयुक्त, उच्चतम न्यायालय सज्जाद हसन, प्रमुख सचिव सूचना सदाकान्त, खाायुक्त अर्चना अग्रवाल, सचिव महिला कल्याण एवं बाल विकास कामिनी रतन, अपर आयुक्त मनरेगा रंजन कुमार एवं जिलाधिकारी बांदा भूपेंद्र चौधरी उपस्थित थे।अक्षयपात्र फाउंडेशन की दोबारा समीक्षा की जाए
खबर साभार : डेली न्यूज एक्टिविस्ट
मध्याह्न भोजन व बाल पुष्टाहार की एकीकृत प्रणाली लागू करने का सुझाव
Reviewed by प्रवीण त्रिवेदी
on
8:18 AM
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4 comments:
VICHAR TO GOOD HAI.
mantri je pustahar bicha ja raha hai
जैसे शिक्षक के लिये TET अनिवार्य व वैसे ही शिक्षा मन्त्री जी को भी TETअनिवार्य हो ना चाहिए
Jo maine socha tha wo sach hone ja raha hai...
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