छुट्टियों में भी देना होगा मिड डे मील, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश
गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को मिड डे मील में दिया जाए दूध या अंडा
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में गर्मी
की छुट्टियों में भी बच्चों को मिड डे मील देने का आदेश दिया है। इतना ही
नहीं कोर्ट ने बच्चों को भविष्य बताते हुए राज्यों को निर्देश दिया है कि
वे मिड डे मील में सप्ताह में पांच दिन या कम से कम तीन दिन अंडा या दूध
अथवा अन्य पोषक पदार्थ जरूर दें। इसमें राज्यों का पैसे की कमी का बहाना
नहीं चलेगा। इसके अलावा कोर्ट ने मनरेगा के भुगतान में देरी को खेदजनक
बताते हुए मुआवजा देने का आदेश दिया। 1कोर्ट ने मनरेगा का बचा हुआ फंड
तत्काल जारी करने का आदेश देते हुए टिप्पणी में कहा है कि मनरेगा की पचास
फीसद से नीचे की सफलता दर कोई गर्व का विषय नहीं है। दो साल बाद भी राज्यों
में खाद्य सुरक्षा कानून न लागू होने पर आश्चर्य जताते हुए कोर्ट ने
राज्यों को मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने का आदेश दिया। कोर्ट
ने कहा कि कानून लागू करना राज्यों का दायित्व है वे इसके लिए फंड की कमी
की आड़ नहीं ले सकते।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भोजन व अन्य राहत सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को तीन फैसले दिए। इसके पहले गत 11 मई को भी कोर्ट ने सूखे के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए थे। सूखे पर कोर्ट अभी तक कुल चार फैसले दे चुका है जिसमें सरकारों को निर्देशों की लंबी फेहरिस्त दी गई है। आज दिए फैसलों में कोर्ट ने राज्यों द्वारा संसद के बनाए कानून खाद्य सुरक्षा अधिनियम को दो साल बाद भी लागू न करने पर अफसोस जताया। कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कानून है और इसे लागू करना राज्यों का दायित्व है। कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा समय हो चुका है और अभी तक राज्यों ने इसे पूरी तरह लागू नहीं किया। गुजरात ने हाल में लागू किया है तो उत्तर प्रदेश ने 75 में से सिर्फ 28 जिलों में इसे लागू किया है।
ये चौंकाने वाली बात है कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा हो गए और राज्यों ने इसे अभी तक लागू नहीं किया। संसद मूक दर्शक बनी है। उत्तर प्रदेश ने 75 में से सिर्फ 28 जिलों में इसे लागू किया।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एनवी रमना की पीठ ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भोजन व अन्य राहत सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को तीन फैसले दिए। इसके पहले गत 11 मई को भी कोर्ट ने सूखे के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए थे। सूखे पर कोर्ट अभी तक कुल चार फैसले दे चुका है जिसमें सरकारों को निर्देशों की लंबी फेहरिस्त दी गई है। आज दिए फैसलों में कोर्ट ने राज्यों द्वारा संसद के बनाए कानून खाद्य सुरक्षा अधिनियम को दो साल बाद भी लागू न करने पर अफसोस जताया। कोर्ट ने कहा कि ये संसद का कानून है और इसे लागू करना राज्यों का दायित्व है। कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा समय हो चुका है और अभी तक राज्यों ने इसे पूरी तरह लागू नहीं किया। गुजरात ने हाल में लागू किया है तो उत्तर प्रदेश ने 75 में से सिर्फ 28 जिलों में इसे लागू किया है।
ये चौंकाने वाली बात है कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू हुए दो साल से ज्यादा हो गए और राज्यों ने इसे अभी तक लागू नहीं किया। संसद मूक दर्शक बनी है। उत्तर प्रदेश ने 75 में से सिर्फ 28 जिलों में इसे लागू किया।
खबर साभार : दैनिक जागरण
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छुट्टियों में भी देना होगा मिड डे मील, सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश
Reviewed by Brijesh Shrivastava
on
7:39 AM
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