नर्सरी प्रवेश में आरक्षण पर केंद्र और उप्र को नोटिस, आरटीई कानून के प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौती, याचिका में कमजोर वर्ग को आरक्षण पर भी उठाई गई है आपत्ति
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों में नर्सरी प्रवेश में वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों को 25 फीसद आरक्षण देने के शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने यह नोटिस इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन आफ इंडिया (आइएसएफआइ) की याचिका पर जारी किया है।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की पीठ ने गत सोमवार को निजी स्कूलों के संगठन के वकील रवि प्रकाश गुप्ता की दलीलें सुनने के बाद यह नोटिस जारी किया। गुप्ता का कहना था कि संविधान का अनुच्छेद 21ए सिर्फ छह से 14 वर्ष के बच्चों यानी कक्षा एक से कक्षा आठ तक मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार की बात करता है। यह अधिकार छह वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर लागू नहीं होता लेकिन कानून 2009 की धारा 12 (1)(सी) निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को नर्सरी के प्रवेश में भी वंचित और कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25 फीसद आरक्षण देने की बात करता है जो कि गलत है।
उन्होंने कहा कि आरटीई कानून को प्री-प्राइमरी स्तर पर लागू किया जाए कि नहीं इस पर अभी सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड ऑन एजूकेशन (सीएबीई) विचार कर रहा है। कानून सिर्फ छह से 14 वर्ष के बच्चों पर लागू होता है। संसद की मंशा कभी भी इसे छह साल से कम उम्र के बच्चों पर लागू करने की नहीं थी। जबकि राज्य सरकारें निजी स्कूलों पर इस कानून को प्री-प्राइमरी यानी नर्सरी स्तर पर भी लागू करने का दबाव डाल रही हैं।
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