चार महीने में कैसे साक्षर बनेंगे 62 लाख लोग, पांच हजार प्रेरकों के पद खाली, बीत गया मार्च- नहीं कराई परीक्षा

लखनऊ। पंद्रह वर्ष से ऊपर आयु वाले करीब 62 लाख लोग। इन्हें 30 सितंबर तक साक्षर बनाने का लक्ष्य। लेकिन कहीं प्रेरक तो कहीं स्वयं सेवकों की कमी। जी हां, राजधानी सहित सूबे के ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षर भारत योजना के तहत कुछ ऐसी ही स्थिति सामने आई है। बावजूद इसके जिम्मेदार योजना में तेजी लाने की जगह इसे आगे बढ़ाए जाने का इंतजार कर रहे हैं।दरअसल, वर्ष 2010-11 में देश भर में 15 वर्ष से ऊपर आयु वाले लोगों को साक्षर बनाने का अभियान शुरू किया गया था। साक्षर भारत योजना के तहत शुरू हुई इस योजना में प्रत्येक गांव में दो प्रेरकों का मानदेय पर चयन किया गया। इन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई कि 15 वर्ष के ऊपर वाले लोगों को चिन्हित कर उन्हें साक्षर बनाने की शुरुआत की जाए। ऐसे लोगों के पहचान की जिम्मेदारी स्वयं सेवकों को सौंपी गई। साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय के मुताबिक प्रदेश भर में एक करोड़ 82 लाख लोग साक्षर बनाने के लिए चिन्हित किए गए।




साक्षर भारत मिशन के तहत 99 हजार प्रेरकों का चयन किया गया था। लेकिन इनमें से 94 हजार ही तैनात किए गए। इनमें प्रत्येक गांव में दो प्रेरक (एक पुरुष, एक महिला) को जिम्मेदारी दी गई कि यदि जहां स्वयं सेवक न हों, वहां उन्हें ही कक्षाएं संचालित करनी होगी। इसके एवज मे उन्हें दो हजार रुपए प्रति माह मानदेय भी दिए जाने की व्यवस्था की गई। योजना से जुडे़ लोगों के मुताबिक 15 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के लोगों को साक्षर बनाने के बाद उनकी परीक्षा भी आयोजित की जाती है। अब तक एक करोड़ 82 लाख लोगों में से एक करोड़ 33 लाख लोग ही परीक्षा में शामिल होने के लिए अर्ह पाए गए। इनमें से भी एक करोड़ दो लाख परीक्षा में सफल हो गए हैं। लेकिन करीब 62 लाख लोग अभी साक्षर होना बाकी हैं।



प्रदेश भर में 15 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग वाले एक करोड़ 82 लाख लोग साक्षर करने के लिए चिन्हित किए गए थे। इनमें से एक करोड़ दो लाख सफल हो चुके हैं। शेष 62 लाख लोगों को भी साक्षर बनाने का काम किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि 30 सितंबर तक इस लक्ष्य को पूरा कर लिया जाए। -अवध नरेश शर्मा, निदेशक, साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा



योजना के मुताबिक जो लोग साक्षर हो जाते हैं, उनकी निर्धारित समय में एनआईओएस के माध्यम से परीक्षा कराई जाती है। परीक्षा पास करने वालों को कक्षा तीन स्तर की योग्यता के लिए अर्ह माना जाता है। बीते मार्च में इसके लिए परीक्षा आयोजित की जानी थी, लेकिन पर्चे न छप पाने की से परीक्षा नहीं कराई जा सकी। अब विभाग का कहना है कि यह परीक्षा अगस्त में एक साथ कराई जाएगी।30 सितंबर के बाद योजना बंदसाक्षर भारत योजना के तहत साक्षर बनाने की योजना 31 मार्च को समाप्त होनी थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इसे 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। ऐसे में सिर्फ चार महीने में प्रदेश भर के 62 लाख लोगों को साक्षर करना विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। क्योंकि इनमें जो लोग फेल हो गए तो उन्हें आगे कैसे साक्षर बनाया जाएगा।

चार महीने में कैसे साक्षर बनेंगे 62 लाख लोग, पांच हजार प्रेरकों के पद खाली, बीत गया मार्च- नहीं कराई परीक्षा Reviewed by प्राइमरी का मास्टर 1 on 6:43 AM Rating: 5

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