पांचवीं के बाद फेल किए जा सकेंगे छात्र : विधेयक के जरिए केंद्र सरकार राज्यों को कक्षा आठ तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करने का अधिकार देने जा रही
नई दिल्ली : शिक्षा के अधिकार (आरटीई) कानून में संशोधन के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने विधेयक तैयार कर लिया है। इस विधेयक के जरिए सरकार राज्यों को कक्षा आठ तक फेल नहीं करने की नीति में बदलाव करने का अधिकार देने जा रही है। कानून में संशोधन के बाद राज्य कक्षा पांच के बाद बच्चों को परीक्षा में खरा नहीं उतरने पर फेल कर सकेंगे। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विशेष बातचीत में कहा कि विधेयक तैयार कर लिया गया है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह अहम कदम है। अभी तक आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल नहीं किया जा सकता है लेकिन हमने इस नीति को पांचवीं कक्षा तक ही सीमित करने का फैसला किया है।
लेकिन हम यह अधिकार राज्यों को दे रहे हैं। कानून में संशोधन के बाद राज्य मौजूदा नीति में बदलाव के लिए स्वतंत्र होंगे। 2010 में लागू हुए शिक्षा के अधिकार कानून में आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किया जाता है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि इससे बच्चों के सीखने की प्रवृत्ति घट रही है। कई बैठकों में राज्य सरकारों की तरफ से इस नीति में बदलाव की मांग उठी थी। सरकार ने शिक्षा मंत्रियों की विशेष समिति भी बनाई थी जिसने मौजूदा नीति में बदलाव की सिफारिश की थी। केरल, आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों को छोड़कर करीब-करीब सभी राज्य इस बदलाव पर सहमत हैं।
नए विधेयक में प्रावधान है कि कक्षा पांच के बाद राज्य सरकारों को यह अधिकार मिल जाएगा कि वे बच्चे को उसी कक्षा में रोक सकते हैं। लेकिन छात्रों को एक बार फेल होने पर कुछ ही समय बाद दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा ताकि वे परीक्षा परिणाम को सुधार सकें। विधेयक के संसद के मानसून सत्र में आने की संभावना है। जावड़ेकर ने कहा कि नई शिक्षा नीति पर विचार-विमर्श की प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सीबीएसई से जुड़े स्कूलों को व्यावसायिक गतिविधियां जैसे किताबें और यूनिफार्म बेचने से मना किया गया है। इस बाबत 2011 में भी सकरुलर जारी हुए थे। हमने उन्हें क्रियान्वयन सुनिश्चित करने को कहा है।
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