पीएम मोदी के नाम सांसदों के पत्र से शिक्षामित्रों को मिली संजीवनी, यूपी के दो दर्जन बीजेपी सांसदों ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर बहाल करने की रखी मांग
इलाहाबाद : सुप्रीम कोर्ट से परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद होने के बाद अब शिक्षामित्रों को भाजपा सांसदों से संजीवनी मिली है। यूपी के करीब दो दर्जन से अधिक सांसदों ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग किया है कि अध्यादेश लाकर शिक्षामित्रों को पुन: सहायक अध्यापक पद पर बहाल किया जाए।
पत्र में 10 अगस्त 2017 को संसद से बने कानून के अनुसार शिक्षामित्रों को अवसर दिए जाने की मांग की गई है। सांसदों ने आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन की मांग का हवाला देते हुए पीएम के नाम पत्र लिखा है, जिसमें मांग की गई है कि 10 अगस्त 2017 को संसद में पारित कानून का पालन कराया जाए। संसद में यह कानून सुप्रीम कोर्ट से 25 जुलाई, 2017 को शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक पद से समायोजन रद होने के बाद पारित हुआ था, जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2015 में जो अभ्यर्थी जिस पद पर रहे हैं, उन्हें बहाल करते हुए चार वर्ष तक योग्यता बढ़ाने का मौका दिया जाए।
इसी कानून के तहत उत्तराखंड में भी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति दी गई है। आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेंद्र शाही के अनुसार सहारनपुर के सांसद राघव लखनपाल, डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी, कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, धौरहरा से सांसद रेखा वर्मा, बांदा सांसद भैरो प्रसाद मिश्र, लालगंज से सांसद नीलम सोनकर सहित दो दर्जन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
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