बीएसए गोरखपुर के आदेश को चुनौती, टीचर ने एक ही साल में ली थी दो डिग्रियां, बर्खास्तगीे आदेश रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ही सत्र में दो डिग्री हासिल करने के आरोप में बर्खास्तगी करने के आदेश को रद्द करने के एकल पीठ के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि यह जानते हुए भी कि नियुक्त अध्यापक पद की निर्धारित योग्यता रखता है, फिर भी उसे बर्खास्त करना गलत है। कोर्ट ने कहा है कि अधिकारियों को ऐसे मामलों में संवेदनशीलता से निर्णय लेना चाहिए।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर एवं न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने दिया है। बीएसए ने एक ही सत्र में हाईस्कूल व समकक्ष दो डिग्री हासिल करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। खंडपीठ ने प्रधानाध्यापक की बर्खास्तगी को रद्द करने के एकल पीठ के आदेश को सही माना है और बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दाखिल विशेष अपील खारिज कर दी है।
याची जनवरी 2006 में सहायक अध्यापक नियुक्त हुआ। उसके बाद उसे जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नत किया गया। सात दिसम्बर 2019 को उसे निलंबित कर विभागीय जांच बैठाई गई और 13 जनवरी 2020 को आरोप पत्र दिया गया। आरोप लगाया गया कि उसने वर्ष 1984 में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी से पूर्व मध्यमा की डिग्री हासिल की और उसी साल उसने यूपी बोर्ड से हाईस्कूल भी पास किया। यानी एक साल में एकसाथ दो डिग्री हासिल की। जांच रिपोर्ट के बाद उसे 11 जून 2020 को बर्खास्त कर दिया गया। बीएसए गोरखपुर के इस आदेश को चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश रद्द कर दिया और सेवा में बहाली का आदेश दिया। साथ ही कहा कि अध्यापक को सुनवाई का मौका न देना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है। वह पद की निर्धारित योग्यता रखता है और नियुक्ति की गई है तो यह अवैध नहीं मानी जाएगी। एकल पीठ के इस आदेश को अपील में चुनौती दी गई थी।
खंडपीठ ने कहा कि बीएसए को पता है कि अध्यापक के पास दो डिग्री है और वह पद पर नियुक्ति की निर्धारित योग्यता रखता है तो उसे बर्खास्तगी जैसा दंड नहीं दिया जा सकता। इसी के साथ खंडपीठ ने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
बीएसए गोरखपुर के आदेश को चुनौती, टीचर ने एक ही साल में ली थी दो डिग्रियां, बर्खास्तगीे आदेश रद्द
Reviewed by Ram krishna mishra
on
4:38 AM
Rating:
Reviewed by Ram krishna mishra
on
4:38 AM
Rating:
No comments:
Post a Comment