PRAN रजिस्ट्रेशन के बिना वेतन निर्गत न किए जाने संबंधी आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, केवल याचियों को लाभ का आदेश

PRAN रजिस्ट्रेशन के बिना वेतन निर्गत न किए जाने संबंधी आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, केवल याचियों को लाभ का आदेश

हाईकोर्ट : NPS न अपनाने पर भी नहीं रुकेगा वेतन, राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश


लखनऊ :  एनपीएस न अपनाने के मामले में याचियों की ओर से दलील दी गई है कि 28 मार्च 2005 को अधिसूचना जारी करते हुए, एनपीएस उन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया गया था जिन्होंने 1 अप्रैल 2005 के पश्चात नियुक्ति प्राप्त की है और इसके पूर्व के कर्मियों के लिए यह स्वैच्छिक था। कहा गया कि याचियों ने एनपीएस को नहीं अपनाया है। यह भी कहा गया कि 16 दिसम्बर 2022 को सरकार द्वारा जारी शासनादेश में क्लॉज 3(5) के तहत यह प्रावधान किया गया कि जिन कर्मचारियों ने एनपीएस को नहीं अपनाया है और प्रान में भी पंजीकरण नहीं किया है, वे वेतन के हकदार नहीं होंगे। दलील दी गई कि इस प्रकार का आदेश मनमाना है, सरकार शिक्षकों के वेतन नहीं रोक सकती है।


लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) न अपनाने और प्रान (परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर) में पंजीकरण न करने वाले अध्यापकों का वेतन नहीं रोका जाएगा। बेसिक शिक्षा विभाग के याची अध्यापकों द्वारा राज्य सरकार के 16 दिसंबर 2022 के शासनादेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। शासनादेश में एनपीएस न अपनाने वाले शिक्षकों का वेतन रोकने का प्रावधान किया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विचार करने योग्य है।


यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने योगेंद्र कुमार सागर व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया गया। याचियों के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने 28 मार्च 2005 को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि एनपीएस उन कर्मचारियों के लिए अनिवार्य है, जिन्होंने 1 अप्रैल 2005 के बाद नियुक्ति प्राप्त की है। वहीं इससे पहले के कर्मचारियों के लिये यह अनिवार्य नहीं है।


कोर्ट को यह भी बताया गया कि याचियों द्वारा एनपीएस नहीं अपनाया गया था। राज्य सरकार द्वारा जारी 16 दिसंबर 2022 के शासनादेश में यह प्रावधान कर दिया गया कि जिन कर्मचारियों ने एनपीएस को नहीं अपनाया है और प्रान में भी पंजीकरण नहीं किया है, वे वेतन के हकदार नहीं होंगे। कोर्ट ने पूरी बहस सुनने के बाद राज्य सरकार को आदेश दिया कि अध्यापकों का वेतन नहीं रोका जाएगा। साथ ही राज्य सरकार व बेसिक शिक्षा विभाग को छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।


कोर्ट आर्डर 👇

Court No. - 17
Case :- WRIT - A No. - 8966 of 2022
Petitioner :- Yogendra Kumar Sagar And Others
Respondent :- State Of U.P. Thru. Addl. Chief Secy. Deptt. Of Basic Edu. Lko. And Others
Counsel for Petitioner :- Jitendra Vikram,Ravindra Kumar Yadava
Counsel for Respondent :- C.S.C.,Ajay Kumar,Ran Vijay Singh
Hon'ble Pankaj Bhatia,J.
Heard learned counsel for the petitioners and learned Standing
Counsel for the State.

The issue raised in the present petition is with regard to the directions for mandatory joining of National Pension System by the State government.

Learned counsel for the petitioner argues that initially by means of a notification dated 28.3.2005, the National Pension System
was made mandatory for the employees who had joined after

1.4.2005 and was made voluntary in respect of the employee who were employed earlier to 1.4.2005.

It is argued by the petitioner that the petitioners have not opted for National Pension System. He further argues that the State Government has issued a Government Order dated 16.12.2022
whereby by virtue of Clause 3(V) it has been provided that the employees who do not opt for the National Pension System and do not get their registration done under PRAN would not be
entitled to salary. The said government order is under challenge mainly on the ground that the National Pension System in the form in which it has been envisaged cannot be made mandatory
for the employees and in any case their salary cannot be stopped merely because the petitioners are unwilling to opt for the National Pension System.

The matter requires consideration.
Learned Standing Counsel accepts notice on behalf of respondent no.1/State, Shri Ran Vijay Singh, learned counsel for respondent nos.2 & 3 and Shri Ajay Kumar, learned counsel for respondent nos.4 & 5. They may file their counter
affidavit(s) within six weeks.

Rejoinder affidavit(s) shall be filed within two weeks thereafter. Connect and list alongwith Writ - A No.9336 of 2019. Until further orders, salary to the petitioners shall not be stopped only on the ground that they have not opted for
registration under PRAN in terms of Clause 3(V) of the Government Order dated 16.12.2022.

Order Date :- 3.1.2023





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PRAN रजिस्ट्रेशन के बिना वेतन निर्गत न किए जाने संबंधी आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, केवल याचियों को लाभ का आदेश Reviewed by sankalp gupta on 5:36 PM Rating: 5

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